शर्मिंदा – महजबीं : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : ” ये कैसे पुराने फैशन के सिंपल कपड़े पहनती है।। इसका तो हेयरकट भी नहीं है, लंबी सी  चोटी बना कर आ जाती है। मिडिल क्लास लगती है, बहन जी टाइप।  सस्ती सी कार से आती है। अपने आप को पता नहीं क्या समझती है।” नव्या के कानों में ये सब आवाजें आतीं पर वो इन सब पर कोई ध्यान ना देती। वह चुप- चाप कार से उतरती और कक्षा में चली जाती।

      नव्या बहुत खुश थी उसका यूनिवर्सिटी में एडमिशन हो गया था। उसने एम.ए  मनोविज्ञान में प्रवेश लिया था।वह एक बहुत ही सिंपल लड़की थी। हालाँकि उसके पिता शहर के एक बड़े बिजनेसमैन थे। और नव्या एकलौती बेटी थी उनकी। घर में कई मंहगी कारें थी आलीशान कोठी थी। पर नव्या बचपन से सरल सवभाव की थी।

उसको दिखावा बिलकुल नहीं पसंद था। या शायद उसकी माँ ने उसकी परवरिश ही ऐसी की थी कि उसे घमंड और अपनी शानो- शौकत दिखाना बिल्कुल पसंद नहीं था। वो सदा सिंपल कपड़े पहनती तथा  अपने ही जैसी लड़कियों से दोस्ती करना  पसंद करती थी।उसने कॉलेज की पढ़ाई हॉस्टल में रह कर की थी।

पढ़ाई समाप्त कर वो अपने शहर वापस आ गई थी तथा यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था। यहाँ यूनिवर्सिटी में तो मानो फ़ैशन  की एक प्रतियोगिता चलती रहती थी। सब लड़के लड़कियाँ हर दिन एक से एक क़ीमती तथा नये नये  नये फैशन के कपड़े पहनकर इतराते रहते। कुछ  विद्यार्थी जिनके पास इन के लिए पैसा नहीं था या ग़रीब् घरों के थे। वह बेचारे  हीन भावना से दुखी रहते।

     पर नव्या तो बहुत आत्म सम्मान वाली तथा अपनी प्रतिभाओं में विश्वास रखने वाली लड़की थी।यूनिवर्सिटी भी वह बहुत सादगी से जाती।  पढ़ने में वह बचपन से तेज थी। उसके क्लास में कुछ और भी काफी अमीर लड़के और लड़कियाँ पढ़ते थे  जो बहुत घमंडी स्वभाव के थे। क्लास बंक कर के सारा दिन कैंटीन में बैठ कर हल्ला मचाते तथा दूसरों पर व्यंग्य कसते।

पर नव्या को  उन लड़के लड़कियों से दोस्ती करने का कोई शौक नहीं था। उसको तो लोगों की मदद करनी , उनका दुख सुख बांटना अच्छा लगता था। तथा अपनी शिक्षा पर उसका  सदा ध्यान केंद्रित रहता। अपने पैसों से वो हमेशा दीन दुखियों की सहायता करती रहती। उसके जीवन का एक ही मूल्य था “सादा जीवन उच्च विचार। “

   बारिश का मौसम शुरू हो गया था। इस वर्ष बादल टूट कर बरसे। कई दिनों तक  लगातार धुआँ – धार वर्षा हुई और पास के कई गाँव  बाढ़ की चपेट में आ गए। हर ओर भयंकर तबाही थी। नव्या का दिल समाचार पढ़ कर और देख कर बहुत विचलित हो जाता था। वो बाढ़ पीड़ितों की सहायता करना चाहती थी। तभी यूनिवर्सिटी में डोनेशन कैंप लगा। हर कोई अपनी अपनी इच्छानुसर दान कर रहा था। कक्षा के  घमंडी विद्यार्थी  दान करने के नाम पर मुँह बना रहे थे। 

वह बस  औपचारिकता कर रहे थे।हँस हँस कर कह रहे थे “अरे, हम क्यों अपना पैसा दान करें यह तो सरकार की ज़िम्मेदारी है। यह तो हमारी पॉकेट मनी है मज़े करने के लिए। ”  पर नव्या तो थी सबसे भिन्न, उसने अपने पैसे जो बचा कर रखे थे उसमें से दो लाख रुपये निकाल कर तुरंत दान कर दिये।

नव्या के  मना करने के बाद भी कि यह बात किसी को न पता चले ये समाचार उसके सहपाठियों तक पहुँच ही गया। और ये सुनकर उसकी सादगी पर व्यंग्य कसने वालों के होश उड़ गए। उनके सिर शर्म से झुक गए। अब उन्हें पता लगा कि नव्या  कोई साधारण लड़की नहीं है। और वह इतनी सिंपल किसी मजबूरी से नहीं रहती बल्कि यह तो  उसके उत्तम चरित्र की निशानी है। अपनी बातों पर वो इतना शर्मिंदा हुए मानो  उनके शरीर में  काटो तो रक्त नहीं।

वो सब शर्मिंदा हो कर नव्या के पास गए कि ” प्लिज़ हमें माफ कर दो। हमने अनजाने में बहुत तुम्हारा दिल दुखाया है। तुम तो सही मानों में धनी हो हम सब तो दिखावे के अमीर तथा दिल से गरीब हैं। ” उनकी बातें सुन कर नव्या बस मुस्कुरा कर रह गयी और बोली, ” तुम लोगों  को  अपनी गलती का एहसास हो गया मेरे लिए  यही बहुत है । तुम सबको मुझसे माफी माँगने की  आवश्यकता  नहीं है तथा सबसे हाथ मिल कर वो क्लास की ओर चल दी।  

लेखिका:  महजबीं

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!