समर्पण – मीनाक्षी सिंह  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: चलिये जी जल्दी,, नहीं तो लेट हो जायेंगे बुआ जी के यहां पहुँचने  में…. 

तो सही हैं ना ,, तुम्हे कोई काम नहीं कराना पड़ेगा… रानी महारानी की तरह सज धजकर बैठी रहना… वैसे भी इतनी महंगी  साड़ी दिलाकर लाया हूँ उनके घर के प्रोग्राम के लिए… बस खाना पीना खाना चली आना…. पतिदेव निलेश पत्नी अल्का से मजाक करते हुए बोले… 

आप भी ना कैसी बात करते हैं… मेरा मायका नहीं हैं वो जहां सज धजकर महारानी की तरह बैठी रहूँ … आपकी बुआ हैं वो और मेरी बुआ सास…. आप तो आदमियों के बीच जाकर बैठ ज़ाते हैं आपको क्या पता अंदर सब रिश्तेदार कैसे घूरकर देखते हैं मुझे…. जैसे खा ही ज़ायेंगे…. दो पूड़ी भी मुश्किल से उतरी थी मेरे गले के नीचे जब आपने पिछली बार बिल्कुल लास्ट में पहुँचाया था चाचा जी के घर जब सब खाने के लिए बैठ गए थे…. अब चलिये भी… 

ठीक हैं मेरी भाग्यश्री , चलो… आजकल की औरतें कितनी तेज हो गयी हैं… दूसरों के कान काट दें… ऐसे ऐसे बहाने बना लेती हैं काम ना करने के … पर पता नहीं हमारी मैडम किस मिट्टी की बनी हैं… नौकरी भी करती हैं… घर भी चमकाकर रखती हैं… बच्चों का भी सारा काम टाइम पर और मेरी भी हर चीज जगह पर… तुम्हे पता है अल्का मेरे ऑफिस में ज़ितनी लेडीज हैं… सब कितने घमंड  में रहती हैं…. अपने से छोटी पोस्ट वालों को तो पूछती ही नहीं…. जैसे आईएस पीसीएस हो… और एक तुम सरकारी नौकरी में होने के बाद भी परिवार के प्रति, समाज के प्रति कितनी समर्पित हो  कि कहीं कोई कुछ कह ना पायें तुम्हे …. आई एम प्राउड ऑफ माय वाइफ …. 

आपको आज क्या हो गया हैं…. तारीफ पर तारीफ किये जा रहे हैं…. अब बात बंद कीजिये… गाड़ी थोड़ा तेज बढ़ा लिजिये…. 

कह तो ऐसे रही हो जैसे तुम्हारे बिना वहां पत्ता भी नहीं हिलेगा…. 

चलो बढ़ा दी स्पीड .. 

जल्दी से बुआ जी के घर पहुँच सभी बड़ों के पैर छू अल्का थोड़ा सा घूंघट कर रसोई में चली गयी… सभी के साथ खाना बनवाने लगी… उतनी देर में चाची की बहू चार बार बच्चे का बहाना कर हवा में बैठने चली गयी…. अबकी गयी तो वापस रसोई में आयी ही नहीं… 

भाभी आपकी वीडियो देखी किसी ने शेयर की थी कितने मन से पढ़ाती हैं आप बच्चों को… पूरी ईमानदारी से नौकरी कर रही हैं हमारी भाभी…. बुआ जी की बेटी बोली… 

अल्का कुछ ना बोली… बस मुस्कुरा दी… 

खाना खाकर सब हंसी ख़ुशी घर लौट आयें…. 

कोई भी परिवार में कहता आज आ रहे हैं घर … पतिदेव एक बार को ज़रूर कहते कि कैसे मैनेज करोगी सब काम… बहाना कर दो कुछ… परेशानी होगी तुमको…नौकरी पर भी जाना हैं…पर अल्का कभी झूठ ना बोलती किसी से… सभी का बड़े प्रेम से स्वागत करती…. जो भी आता खुश होकर ही जाता…. 

अल्का की सास बिमार हो गयी… ससुर जी का फ़ोन आया पतिदेव के पास… बेटा तेरी माँ बहुत बिमार हैं… चला फिरा भी नहीं जा रहा अब… लगता नहीं कि अब ज्यादा दिन चलेगी… बोलते हुए ससुरजी भावुक हो गए…. 

पापा मैं तो बाहर आया हूँ शहर से…बहुत ज़रूरी मीटिंग हैं… अल्का से कह दे रहा हूँ…. वो आप दोनों को घर ले जायेगी … कल आकर दिखाता हूँ माँ को… 

अल्का गाड़ी चलाना जानती हैं… पति के एक फ़ोन पर घबराती हुई सास ससुर को अपने साथ बैठाकर ले आयी… रास्ते में डॉक्टर को भी दिखाती हुई लायी…. आते ही सास की सेवा में लग गयी…. अपनी नौकरी से जो छुट्टी बच्चों के लिए मिलती हैं सीसीएल ,, 1 महीने  की ले ली… दिन रात सेवा की उसने सास की… जब भी सास की सांस ऊपर को चढ़ती ,, ससुर जी बिना दांतों के अपने मुंह को चबाते और घबराते हुए इधर उधर घूमने लगते…. उनकी भी हिम्मत बढ़ाती अल्का. .. अब सासू माँ इस लायक हो गयी थी की सहारे से चलकर निवृत्त हो आयें…. अल्का की छुट्टी भी खत्म हो गयी थी … उसका मन अभी भी उन्हे ऐसी हालत में छोड़कर नौकरी पर जाने का ना था … पतिदेव ने अब कुछ दिन की छुट्टी ली…. घर आते हुए रास्ते में सब ज़रूरी सामान,, सास की दवाई , फल , सब्जी सब लेती हुई आती अल्का. .. घर आकर एक मिनट का आराम नहीं… सुबह भी करके ज़ाती काम ,, लौटकर भी करती…. ससुर जी भी वैसे ही इतने भावुक ऊपर से अल्का की हालत देख उसके आते ही दोनों हाथ ऊपर कर डबडबायी आँखों से उसको आशीर्वाद देते… अब उन पर बोला भी ना जाता ठीक से… पर कहना तो यहीं चाहते कि तेरी जैसी बहू ईश्वर सभी को दे…. 

आज सासू माँ और ससुर जी दुनिया में नहीं हैं पर उनका आशिर्वाद बहू बेटों पर हमेशा बना हुआ हैं… खैर बददुआ तो दुनिया का कोई भी माँ बाप नहीं देता अपने बच्चों को चाहे औलाद कितनी भी नालायक क्यूँ ना हो… पर जिसने हमें जन्म 

दिया ज़िन्होने आपको अपना ज़िगर का टुकड़ा सौंप दिया हमेशा के लिए… उनके प्रति समर्पित होना हमारा भी तो फर्ज हैं… ईश्वर से यहीं कामना हैं कि सभी बच्चे अल्का जैसे समझदार हो जायें तो बुढ़ापे में कोई माँ बाप दुखी ना हो…. 

स्वरचित 

मौलिक अप्रकाशित 

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

 

 

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