सफेद दाग कोई बीमारी नहीं है। – सुषमा यादव 

 

मीनल ट्रान्सफर होकर अपने पति के पास गई। नया शहर नये लोग सबके साथ सामंजस्य बनाने में थोड़ा समय लगा।

पतिदेव के आफिस में  उनसे वरिष्ठ अधिकारी थे, जिनसे इनकी बहुत दोस्ती थी, दोनों में बहुत पटती थी,, वो इनसे उम्र में बहुत बड़े थे, इसलिए गांव के नाते उनके सामने मीनल नहीं निकलती थी,,

एक दिन अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई, चुंकि मीनल के पति नहीं थे अचानक वो बाहर आ गई और बोली ये तो घर पर नहीं हैं।

लेकिन जब उसने आये हुए व्यक्ति को देखा तो वह एकदम सिहर उठी,, उनका पूरा शरीर चेहरा सफेद दाग धब्बों से भरा हुआ था। मीनल को सामने देख वो मुड़ गये और बोले कि कह दीजिएगा,कि गुप्ता जी आये थे,,वह हड़बड़ा गई, अरे इनके सर जी हैं, उसने पीछे से नमस्ते कहा,

और सोचने लगी, कि इनको तो बहुत ख़राब बीमारी है, ये तो छूत का रोग है। ये इनके साथ कैसे रहते हैं,,

जब उसके पति आये तो उसने बड़ी हिकारत से कहा,, आप ऐसे आदमी के साथ बिल्कुल नहीं रहेंगे,, उनकी बीमारी आप को भी लग जायेगी,, आपके सर गुप्ता जी की बात कर रही हूं।

 मीनल के पति ने हैरानी से कहा, उन्हें कौन सी बीमारी है, जो मुझे लग जायेगी। अरे, वो सफ़ेद दाग,आप उनसे दूर रहा करिए, ये एक छूत की बीमारी है,देखना आप को भी हो जायेगी और हां मैं अपनी इस छोटी सी बच्ची को तो बिल्कुल भी सामने आने नहीं दूंगी,,



मीनल के पति ने गुस्से से कहा, ऐसा कुछ नहीं है, किसी के पास रहने से ये बीमारी नहीं होती है। अगर ऐसा होता तो सबसे पहले उनकी पत्नी को ही होती ना, बेकार का वहम पाल रही हो, तुम इतने सज्जन व्यक्ति का अपमान और तिरस्कार कर रही हो। हां मैं कर रहीं हूं, मुझे नहीं जानना कि

उनकी पत्नी को है या नहीं,बस आप दूरी बना लीजिए, नहीं तो अपना तबादला दूसरी जगह करवा लीजिए।

,,मीनल तुम कैसी बातें कर रही हो, उन्होंने हमारी हमेशा ही मदद की है,जब जब भी कोई परेशानी आई ,इस अनजान शहर में कोई मुसीबत आई , तो उन्होंने एक बड़े भाई के समान हमारी सहायता की है। मैं उन्हें नहीं छोड़ सकता हूं,। तुमने साइंस नहीं पढ़ी है क्या, आज़ से इस विषय पर बात नहीं करना।।

उन्हें अलग करने में तो मीनल सफल नहीं हो सकी,पर वो हमेशा

ही जब भी मौका मिलता उनको तिरस्कृत करने से बाज़ नहीं आती थी,, उन्हें हमेशा घृणा भरी नजरों से देखती, उसने देखा कि उनकी खूबसूरत पत्नी भी उनकी उपेक्षा करती है, और मीनल को अपने पति और उसके पति के बारे में उल्टा सीधा कह कर भड़काती रहती है।

एक दिन मीनल ने देखा कि उसकी चार साल की बच्ची के सिर में एक दो जगह और गले में छोटे छोटे सफेद दाग जैसे धब्बे दिखाई दिया, वो एकदम से घबरा गई, ये कैसे,, मैंने तो इसे हमेशा उनसे दूर रखा, कभी प्यार से बुलाते तो भी वह खींच कर बेटी को अंदर कर लेती, वो भी अपने साथ हो रहे तिरस्कार को समझ रहे थे, चुपचाप उदास हो कर चले जाते,,मीनल के पति से बोलते,,इस सफेद दाग के कारण सब मुझे अपमानित करते हैं,मेरा तिरस्कार करते हैं, पर बताओ कि मेरा कसूर क्या है,, मेरे घरवाले भी मुझसे ढंग से पेश नहीं आते,

 



मीनल ने बेटी का इलाज करना शुरू कर दिया,,पर वो तो बढ़ने लगा,,मीनल घबराकर सोचने लगी, उसने गुप्ता सर को हमेशा तिरस्कृत नजरों से देखा, क्या भगवान ने उसे इसी की सज़ा दी है,,हे भगवान, मुझे माफ़ कर देना,, मुझे कोई अधिकार नहीं है, कि मैं किसी को जलील और अपमानित करूं।।

 

फिर उसने इस विषय में काफी छानबीन किया, और ये समझा कि ये कोई छूत की बीमारी नहीं है,लाल रक्त कण और श्वेत रक्त कण के लाभ हानि के बारे में जानकारी प्राप्त कर कुछ घरेलू औषधियों और आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज शुरू किया,, काफी हद तक उसे सफलता प्राप्त हुई,, ख़ान पान में भी खूब परहेज़ किया।। बाद में सब कहने लगे, अरे इसके दाग तो सब ठीक हो गये हैं,, लेकिन बड़े होने पर और बाहर रहने पर ना दवाई खाया और ना ही परहेज़ किया, जिसके कारण कई जगह सफेद दागों ने अपना कब्जा जमा लिया,

अब मीनल ये देखकर बहुत दुःखी होती है,,काश, उसने उनका अपमान और तिरस्कार नहीं किया होता, शायद इसका बदला उसे मिल रहा है,, बड़े बड़े डाक्टर्स को दिखाया, बहुत दवा किया, पर वो ख़तम नहीं हुआ।। विदेश में भी उसने दिखाया तो डॉक्टर बोले

ये कोई बीमारी नहीं है, इससे कोई नुक़सान नहीं है,पर हां मरीज़ को स्वयं सबके सामने बुरा लगता है, अपने शरीर तथा चेहरे को वो बदरंग महसूस करता है, स्वयं हीनभावना का शिकार हो जाता है,, और उसमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है,, लड़कियों की शादी में भी व्यवधान होता है,,पर ये एक गलतफहमी है,,इसे सामान्य रूप से ही देखा जाना चाहिए,, और इसके साथ खुशहाल जिंदगी जीना चाहिए, विदेशों में तो कोई इसकी तरफ ध्यान ही नहीं देता, और तो और कोई पूछता भी नहीं है कि ये क्या है।।

 

अब मीनल की बेटी भी अपने दागों को अनदेखा कर के अपने पति और बच्चों के साथ अपनी जिंदगी हंसी खुशी जी रही है,,

परंतु मीनल आज़ भी पछतावा कर रही है, ये सब किसी भले मानुष का तिरस्कार करने का परिणाम है,, क्यों कि मां पिता का किया धरा उनके संतान को ही भुगतना पड़ता है। 

पर अब पछताने से क्या फ़ायदा,

सही कहा है, कभी किसी का अपमान और तिरस्कार  नहीं करना चाहिए, किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए,,जब किसी के कारण किसी के दिल को चोट लगती है तो उसकी गूंज भगवान तक पहुंचती है,,

#तिरस्कार 

सुषमा यादव, प्रतापगढ़, उ, प्र,

स्वरचित मौलिक अप्रकाशित

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