‘ सच्चा सुख ‘ –   विभा गुप्ता

 आज पूरा घर रंग – बिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था।ममता दुल्हन बनी अपने होने वाले पति के सपनों में खोई बारात के आने का इंतज़ार कर रही थी।बचपन से वह राजकुमार-सा पति ,बड़ी गाड़ी , नौकर- चाकर और सुख -सुविधाओं से भरे घर का सपना देखती आई थी

जो आज पूरा होने जा रहा था।तभी किसी ने आकर बताया कि पटाखों की शोर से घोड़े ने बिदक कर दूल्हे को गिरा दिया जिससे दूल्हे की वहीं मौत हो गई।

               इस बुरी खबर से उसके सपनों का महल टूट गया।पिता ने उसी मंडप में अपने सहकर्मी के बेटे शशांक से बेटी का विवाह करा दिया।शशांक की आमदनी ज्यादा नहीं थी लेकिन जरूरत की सभी चीजें घर में मौजूद थीं।

वह ममता को खुश रखने का हरसंभव प्रयास करता था लेकिन ममता हर वक्त अपने टूटे सपनों के अतीत में खोई रहती।उसका मन हमेशा गाड़ी में घूमने और होटल में खाना खाने को चाहता था जो पति की आमदनी से संभव नहीं था।

         एक दिन सब्ज़ी मंडी में उसे चचेरी बहन विनीता मिल गई।लेकिन ये क्या! “विनी दी, आप पैदल!आपकी बड़ी गाड़ी कहाँ है?आप तो हमेशा जेवरों से लदी रहतीं थीं, आज क्या हो गया?” ममता ने आश्चर्य से पूछा।

विनीता ने प्यार से ममता के कंधे पर हाथ रखा और मुस्कुराते हुए बोली, ” ममता, ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव तो आते ही रहते हैं, हमें दोनों को खुशी-खुशी स्वीकार करना चाहिए।तुम्हारे जीजाजी के पार्टनर ने धोखे से सारा बिजनेस अपने नाम कर लिया

।हम सड़क पर आ गये।तब तुम्हारे जीजाजी ने अपनी मेहनत और हिम्मत से फिर से अपने व्यवसाय को खड़ा किया और परिवार की डूबती नैया को संभाला।” लेकिन विनी दी,आराम की ज़िन्दगी के बाद ऐसा जीवन तो…..आपको बहुत तकलीफ़ होती होगी।” ममता दुखी होते हुए बोली।




          अरे नहीं ममता, भौतिक सुख-सुविधाओं में तो बनावटी सुख होता है।फिर जो नहीं है, उसका मातम क्यों? जो है उसी में सच्चा सुख है।

पैसा कमाने की धुन में तुम्हारे जीजाजी के पास मेरे लिए बिल्कुल भी वक़्त नहीं था।अब रोज शाम की चाय हम साथ बैठकर पीते हैं।एयर कंडिशन कमरों से अच्छा है समुद्र के किनारे की स्वच्छ हवा में सैर करना।” खुशी से चहकते हुए विनीता ने जवाब दिया।

      सच में विनी दी,आपने तो मेरी आँखें खोल दी।ममता के मनःस्थिति से अनजान विनीता ने आश्चर्य से पूछा,” क्या मतलब?” कुछ नहीं दी, अब चलती हूँ।”हँसते हुए ममता ने कहा।

    शाम को ऑफिस से आते ही शशांक ने ममता से कहा,”चलो,आज पिक्चर चलते हैं,तुम्हारा मूड फ़्रेश हो जायेगा।” जरूर चलेंगे लेकिन पिक्चर नहीं, समुद्र के किनारे सैर करने।”शशांक की तरफ मुस्कुराते हुए ममता बोली और पति का हाथ पकड़कर अपनी नयी ज़िन्दगी की डगर पर निकल पड़ी।

                                           विभा गुप्ता

                                             स्वरचित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!