“प्रीत बड़ी या सात वचन”…. -सिन्नी पाण्डेय : Moral stories in hindi

तानी अपने मामाजी के बेटे के तिलक में आई हुई थी और काम काज में हाथ बंटा रही थी।घर मे भीड़ भाड़ होने के कारण खूब मजा आ रहा था,सब लोग मस्ती कर रहे थे।अचानक तानी की नज़र उसी भीड़ में अपनी ओर देखती हुई नज़रों से टकराई और उसने अनायास ही नज़रें झुका लीं। पर कुछ तो था

उसकी शख्सियत में,जो तानी उसकी निग़ाहों के मोहपाश में बंध गयी थी।तानी ने अपनी ममेरी बहन से उसके बारे में पूछा तो पता चला कि वो उनका दूर का रिश्तेदार है और उसका नाम जयश है। बात आई गयी हो गई।समारोह के दौरान कई बार दोनो का आमना सामना हुआ और दोनों एक दूसरे को देखकर रोमांचित हो उठे। दोनों आंखों से मूक वार्तालाप कर रहे थे।

तिलक और शादी में दस दिन का अंतर था तो दोनों अपने घर वापस चल दिये पर मन मे एक दूसरे की यादों को लेकर…..।

दस दिन तक तानी ने शादी में जाने की खूब तैयारी की और मन में एक उमंग भी थी कि शादी में पहुँचकर फिर उससे मुलाकात होगी। इसी उधेड़बुन में सात दिन निकल गए और जाने का समय आ गया।दो दिन पहले अपने परिवार के साथ तानी पहुंच गई मामा के घर।

वहाँ पहुँचते ही तानी की नज़र सामने खड़े जयश से टकराई और तानी के भीतर अप्रत्याशित तरंगें दौड़ गयीं। शादी का घर अपने आप में तमाम खुशियां समेटे होता है,फिर अगर कोई प्रेमी जोड़ा प्रेम की चौखट पर खड़ा हो तो वो शादी का घर उसके लिए किसी मंदिर से कम नहीं होता।

शादी के कार्यक्रमों के बीच तानी और जयश का प्रेम फल फूल चुका था और अब इनके प्रेम को पनपने के लिए शादी रूपी बगिया की ज़रूरत थी।जयश की बहन पूजा से भी तानी की अच्छी दोस्ती हो गई थी और पूजा भी तानी में अपनी होने वाली भाभी की छवि देखने लगी थी।

तानी हिम्मत जुटा के अपने घर वालों से बात करना चाहती थी पर उससे पहले उसके दादाजी की तबीयत बहुत बिगड़ गई और वो किसी भी हालत में तानी का ब्याह देखना चाहते थे। उधर जयश के पिताजी गुज़र गए तो बहन की ज़िम्मेदारी उस पर आ गई क्योंकि उसकी मां पहले ही गुज़र चुकी थीं। जब परिस्थितियां एकदम विपरीत हो गईं तो तानी ने नियति के सामने घुटने टेक दिए और मेहुल से शादी करने के लिए हां कर दी। दिल मे बेपनाह दर्द लेकर तानी मेहुल के घर पहुंच तो गई पर अधूरे प्रेम की टीस कहीं न कहीं उसको आहत कर रही थी।

वहीं मेहुल बेहद समझदार और सुलझा हुआ लड़का था,उसने तानी के मनोभावों को समझकर तानी से निःसंकोच होकर पूछा,”तानी अब हम दोंनो पति पत्नी हैं,हमे पहले एक दूसरे का अच्छा दोस्त बनना चाहिए और अच्छे दोस्त एक दूसरे से कुछ नहीं छुपाते।तो अब तक हमारे जीवन में जो कुछ भी महत्वपूर्ण घटा है और जो हमारे भावी जीवन को प्रभावित कर सकता है,वो जानने का हम दोनों को अधिकार है,इसलिये मैं न कुछ तुमसे छुपाउंगा और न ही उम्मीद करूँगा कि तुम मुझसे कुछ भी छुपाओ।

तानी पहले से ही उधेड़बुन में थी और पति के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो और परेशान हो गयी पर मन ही मन उसने प्रण किया कि वो मेहुल को सब कुछ बताकर निर्भीक होकर अपना जीवन बिताएगी और तानी ने मेहुल से जयश के बारे में सब कुछ बता दिया।मेहुल ने तानी को समझाते हुए कहा,

“तानी,जो बीत गया उससे आगे बढ़ने की कोशिश करो,अब हमारा भविष्य एक दूसरे के सुख दुःख और विश्वास पर निर्भर है। मैं इस बात को आज यहीं खत्म करता हूं और उम्मीद करता हूँ कि तुम भी अपने वर्तमान और भविष्य पर ध्यान दोगी।” तानी अब जज़्बातों से बाहर निकलकर यथार्थ के धरातल पर खड़े होकर मेहुल से बोली,”धन्य हो गई मैं आपको अपना पति पाकर,बहुत खुशकिस्मती से ऐसा जीवनसाथी मिलता है,मैं कभी आपको शिकायत का मौका नही दूंगी।”

समय एक जादूगर होता है ,वो हर जटिल स्थिति को सामान्य कर देता है।बस उसी समय के साथ तानी अपने जीवन मे आगे बढ़ती रही,अब वो एक प्यारे से बेटे की मां बन चुकी थी। घर और बच्चे में उलझकर तानी के मन से जयश की यादें धूमिल पड़ चुकी थीं।जब कभी उसे पुरानी बातें याद भी आती तो वह सोचती कि मेरी तरह जयश भी अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ चुका होगा।

पर कहते हैं न कि दुनिया गोल है,अक्सर घूम फिर कर हम वहीं पहुंच जाते हैं जहां से हम शुरुआत करते हैं।ऐसा ही एक खामोश तूफान तानी के सामने आने को तत्पर था।

जब अपने बेटे का एडमिशन कराने के बाद तानी पहली बार स्कूल छोड़ने पंहुची तो क्लास टीचर से मिलने के लिए क्लास तक पंहुच गई,वह टीचर कोई और नहीं पूजा थी,जयश की बहन। तानी तो समझ ही नही पाई कि वो आगे बढ़े या पीछे हटे,उसकी मनोदशा पूजा ने पढ़ ली और औपचारिक वार्तालाप करके तानी को विदा दी।

तानी का बेटा स्कूल से लौटकर पूजा मैडम की बहुत तारीफ करता। तानी ने मेहुल से यह बात भी नहीं छुपाई कि पूजा जयश की बहन है। तानी का बेटा जो पूजा मैडम का जबरदस्त प्रशंसक था और मैडम की वजह से चहक कर स्कूल जाता था,वो 3-4 दिनों से स्कूल जाने में हिचक रहा था,तो तानी और मेहुल वजह पता करने स्कूल पहुंचे और वजह सुनकर तानी के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।

प्रिंसिपल ने बताया कि पूजा मैडम के माता पिता तो हैं नहीं,एक बड़ा भाई है और उसका तीन दिन पहले बहुत भीषण एक्सीडेंट हुआ है और पूजा अकेले घर और अस्पताल सब संभाल रही है,इसलिए वो छुट्टी पर हैं।

तानी ने जानना चाहा कि पूजा की भाभी तो उसके साथ ही होगी,पर प्रिंसिपल ने बताया कि उसके भाई की शादी ही नहीं हुई थी,ये सुनकर तानी अचानक से अधीर हो उठी।

मेहुल ने तानी के मनोभावों को स्पष्ट रूप से पढ़ लिया था और जयश के लिए उसके दिल में हो रही पीड़ा भी महसूस कर ली थी।

मेहुल ने तानी से कहा,”जाओ और गाड़ी में बैठो,मैं अभी आता हूं।” और खुद वो प्रिंसिपल से बात करता रहा।इधर गाड़ी में बैठकर तानी न चाहते हुए भी जयश के साथ बिताए पलों को याद करने लगी और आंसुओं की धार उसकी आँखों से बहते हुए उसके हृदय का द्वार खटखटाने लगी। पर अपनी इस पीड़ा को वो मेहुल के सामने नहीं लाना चाहती थी। कुछ ही देर में मेहुल आया और गाड़ी स्टार्ट करके चल दिया। तानी विचारमग्न ये भी न देखी कि गाड़ी किस दिशा में जा रही है और कहाँ रुक गई।

“तानी नीचे उतरो और मेरे साथ चलो”,मेहुल की आवाज़ सुनकर तानी की तंद्रा टूटी। वो चौंक गई कि वो अपने घर नहीं बल्कि अस्पताल के बाहर खड़ी है। मेहुल बिना कुछ कहे तानी का हाथ पकड़कर एक कमरे तक ले गया,वहाँ पहुँचकर तानी अपनी भावनाओं के सैलाब को रोक नही पाई।

सामने जयश बेसुध हालत में पड़ा था और पूजा पास बैठकर रो रही थी। जयश को इतने सालों बाद इस हालत में देखकर तानी अपने आप को रोक नहीं पाई और जयश का हाथ पकड़कर रोने लगी। मेहुल ने पूजा से जयश की शादी न करने की वजह पूछी तो पूजा ने संकोचवश बताया कि भैया किसी और को चाहते थे इसलिए शादी करने को राज़ी नहीं थे और दूसरी वजह ये थी कि पहले वो मेरी शादी करना चाहते थे। तानी पूजा का जवाब सुनकर जड़ हो गई। वो जयश से बात करना चाहती थी,उसका दर्द बांटना चाहती थी।

तानी की आवाज़ सुनकर जैसे जयश के अंदर जीवन की एक तरंग दौड़ गई और उसने बहुत हिम्मत और ताकत के साथ थोड़ी सी आंख खोली,तानी को विस्मय के साथ देखा,हल्के से मुस्कुराने की असफल कोशिश की और फिर आंखे बंद कर लीं।पर इस बार आँखे हमेशा के लिए बंद हो गई थीं,वो जैसे तानी के इंतजार में ही रुका हुआ था। पूजा तो बदहवास हो गई थी और तानी समझ नही पा रही थी कि कौन सा तूफान आकर  सब कुछ झकझोर कर चला गया,एक ही दिन में दुनिया बदल गयी।

मेहुल ने जयश का अंतिम संस्कार किया और तानी से कहा कि पूजा की शादी की ज़िम्मेदारी अब मेरी,आज से ये मेरी बहन है।

तानी पूजा को अपने साथ घर ले आई।तानी मेहुल से बोली,”आप इस दुनिया के सबसे अच्छे पति और प्रेमी हैं। आपके जैसा कोई हो ही नहीं सकता। पत्नी के अतीत को इतना सम्मान और भावनाओं का इतना आदर कोई साधारण व्यक्ति कर ही नहीं सकता। अगर जयश त्याग का सागर था तो आप प्रेम और सहनशीलता का महासागर हो। ये वही कर सकता है जो प्यार की अहमियत जानता हो। आप सच मे भगवान हो,पहले मैं आपसे प्यार करती थी, आपका सम्मान करती थी पर आज से आपकी पूजा करूँगी। मेहुल ने तानी को गले से लगा लिया।

सात वचन विजयी हुए।।।

-सिन्नी पाण्डेय

5 thoughts on ““प्रीत बड़ी या सात वचन”…. -सिन्नी पाण्डेय : Moral stories in hindi”

  1. आपकी कहानी, कहानी ही है आज भी। रचना अच्छी लगी पर ऐसा होते नहीं देखा हमने और शायद कोई देखेगा भी नहीं कभी……

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