पतिदेव, मैं आपमें और नौकरी में से तो नौकरी को ही चुनूगीं। – सुल्ताना खातून 

“मैंने कह दिया चित्रा अब तुम रिजाइन कर रही हो, मैं तुमसे अब नौकरी नहीं कराने वाला” – अभय ने हाथ उठाकर चित्रा को कुछ और बोलने से मना कर दिया।

“लेकिन अभय तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो, मैं नौकरी शादी से पहले से कर रही हूं, शादी को 2 साल बीत गए इससे पहले तो तुम्हें कभी बुरा नहीं लगा, “

” देखो चित्रा मैंने घर वालों के खिलाफ जाकर तुम्हें नौकरी करने दिया, घर वाले कभी नहीं चाहते थे, कि तुम नौकरी करो, लेकिन मैंने तुम्हारा साथ दिया, पर अब मैं कह रहा हूं तुम नौकरी नहीं करोगी”।

चित्रा जानती थी, अभय ने हमेशा उसका साथ दिया,किसी की बातों को बुरा नहीं मानता था, पर आज जरूर ऐसी कोई बात हुई है जो अभय को बहुत बुरी लगी है!

अचानक उसके जहान में धमाका हुआ, आज अभय उसे उसके मायके ले गया था, मजाक मजाक में पड़ोस की आंटी ने कह दिया- यह जमाई भी मेहर की कमाई खाने वाला निकला, क्यों रे चित्रा अब शादी हो गई, अब आराम से घर बैठ पति को कमाने दे, उल्टा तू ही उसे कमा कर खिला रही है।

जरूर अभय को आंटी किया बात बहुत बुरी लगी है क्योंकि अभय की जॉब 6 महीना पहले छूट चुकी थी वह तब से ट्राई कर रहा था, लेकिन उसे जॉब अभी नहीं मिली थी,

उसने अभय को प्यार से समझाने की कोशिश की देखो, अब अगर तुमने आंटी की बातों को दिल पर लिया है तो मैं उनकी तरफ से मैं तुमसे माफी मांगती हूं, छोड़ो इन बातों को जाने दो, वह पुराने ख्यालात के लोग हैं, तुम्हें इन बातों से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए।

लेकिन अभय नहीं माना। चित्रा जानती थी इस समय कुछ भी समझाना बेकार है इसलिए वह चुप हो गई, इस समय उसके मर्दाना इगो को ठेस पहुंची थी, इस मामले में मर्द काफी संवेदनशील होते हैं कि उन्हें औरत की कमाई खाने का ताना दिया जाए।

अगले दिन अभय का मूड काफी अच्छा था, क्योंकि उसने जिस कंपनी के लिए इंटरव्यू दिया था वहां से कॉल लेटर आ गया था चित्रा ने सोचा यह अच्छा मौका है बात करने का आज रात में बात करेगी, यह सोचकर वह काम जल्दी-जल्दी करने लगी।



लेकिन रात होते-होते अभय का मूड  फिर खराब हो गया, जैसे ही चित्रा ने अभय से नौकरी वाली बात की, वह फिर गुस्सा हो गया, तुम्हें एक बात समझ नहीं आती मैंने कह दिया नौकरी नहीं करना तो नहीं करना।

अभय के इस कदर अड़ जाने पर चित्रा को भी गुस्सा आ गया, वह बोलने लगी- देखो अभय मैंने होश संभाला तब से मेरी एक ही ख्वाहिश रही, कि मैं अपनी कमाई से अपने खर्चे उठाएं, मैंने अपनी मां को एक एक पाई जोड़ते हुए और को हिसाब देते हुए देखा है, मेरे आस-पास की लगभग सारी महिलाएं,  खुश तो दिखती हैं लेकिन हर एक को मैंने यही कहते हुए सुना की उनके पति उन पर खर्च तो करते हैं, पर पाई पाई का हिसाब लेते हैं खुद मेरी चाची ने एक डायरी बना रखी थी जिसमें पनीर से लेकर आटा, चावला और मसालों तक का दाम लिखा जाता था, वह डायरी मैं खुद लिखती थी इसीलिए शुरू से मेरी जहन पर यही छाप पड़ा, कि अगर मैं खुद कमाऊंगी तो किसी को हिसाब देना नहीं पड़ेगा इसीलिए मैंने शादी से पहले नौकरी भी की।

अभय उसकी बातें सुनकर थोड़ा नरम पड़ गया लेकिन एक बार फिर उसने कोशिश की देखो चित्रा अब वह जमाना नहीं रहा, अब कोई हिसाब नहीं लेता अब तो घर की मालकिन औरतें होते हैं,

और मेरी बहनों को देखो घर बैठकर कितना अच्छा आराम से रहती हैं…।

अभय के बोलने पर चित्रा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दी, और कहां- अरे मेरे भोले पतिदेव आपकी बहन मुझे हर दफा सुनाते हैं किसी चित्रा तुम्हारा अच्छा है, अपना कमाती हो, हमें देखो 1-1 चिज का हिसाब देना पड़ता है, हाथ उठाकर किसी को कुछ मनमाना दे भी नहीं सकते, नाहीं अपने हिसाब से खर्च कर सकते हैं।

उसकी बात सुनकर अभय बोला- “एक बात बताओ चित्र अगर मैं तुमसे कहूं कि मुझ में या नौकरी में से किसी एक को चुना तो?”

चित्रा जानती थी, अब वह मान चुका है और मजाक में यह प्रश्न पूछ रहा है, इसलिए उसने भी मुस्कुराते हुए कह दिया-” पतिदेव यह बात आप अच्छी तरह जानते हैं कि मैं तो नौकरी को ही चुनूंगी।

उसके कहने पर दोनों खिलखिला कर हंस दिए, और चित्रा के मन में एक खुशी की लहर दौड़ गई कि उसे इतना प्यार करने वाला और सहयोग करने वाला पति मिला है।

मौलिक एवं स्वरचित

सुल्ताना खातून 

दोस्तों आपको मेरी रना कैसी लगी कमेंट बॉक्स में मुझे जरूर बताएं, और मेरी त्रुटियों से भी मुझे अवगत कराएं ताकि मेरे लेखन को मैं और अच्छे से सुधार सकूं, धन्यवाद

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