पश्चाताप – पूजा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज सोना का बर्थडे है पर सोना नही है मुखर्जी बाबू और दीपाली उसकी फोटो के आगे कैंडल जलाते केक काटते और पास के अनाथालय में बच्चो को खाने के गिफ्ट पैक देने जाते ।

    दोनो अपनी इकलौती बेटी से दूर होने का जिम्मेदार खुद को समझते हुए पश्चाताप से आंसू बहाते और उस मनहूस दिन को याद करते जब उसे लेकर वह आई आई टी कानपुर में काउंसलिंग के लिए गए थे ।सोना को कंप्यूटर साइंस ब्रांच चाहिए थी और उसे केमिकल मिल रही थी वह कंप्यूटर के लिए एन आई टी में जाकर एडमिशन लेना चाहती थी परंतु हम दोनों को लगता आई आई टी में ही रहना है आई आई टी की बात अलग है ।

     सोना को मना कर फीस डिपोजिट किया तभी वह कह रही थी ,

     बाबा मुझे यहां नही पढ़ाई करनी मैं आपके साथ चलूंगी उधर एन आई टी में ज्वाइन कर लूंगी ।

   नही बाबू मैने तेरी कोचिंग आई आई टी के लिए दिलाई तुमने एग्जाम भी पास किया रैंक से क्या अभी अप ग्रेट भी हो जायेगी फर्स्ट सेमिस्टर की प्रोग्रेस से जिनकी सी पी आई अच्छी होती है उनकी ब्रांच ऊपर हो जाती है ।

       मां मैं इतनी दूर नहीं रहूंगी तुम्हारे को छोड़ कर दीपाली के गले लगकर रो रही थी ,दीपाली का कलेजा भी बेटी को छोड़ते दुख रहा था ।

   क्यों माखू जी इसे मत कराए यहां से ले चलते है , एन आई टी में कर लेगी दीपाली ने पति से कहा 

तुम्हारा दिमाग खराब है सभी बच्चे आते है घर से दूर

  एक साल तैयारी करने के बाद सोना सब जगह स्लैक्ट हो गई मेरी बेटी यहां बहुत अच्छा करेगी ।

 आई प्राउड ऑन माई डॉटर ,सोना की पीठ थपथपाते हुए 

उसे वही रहने को मजबूर कर दिया था ।

   वापस आते दीपाली रह रह कर आंसू बहा रही थी बेटी के बिना अब घर सूना लगेगा ।

सोना अक्सर फोन पर मां से रोती और दीपाली को भी पूरे दिन सोना की बहुत याद आती थी ।

   सोना ने पढ़ाई में बहुत अच्छा किया पापा के सपने पूरे कर रही थी साथ ही कुछ सपने उसके भी जाग रहे थे ।

   उसकी ब्रांच अब इलेक्ट्रिकल हो गई थी ।अपनी ब्रांच में 

मुदित नाम के एन आर आई कोटा के स्टूडेंट से उसकी नजदीकियां भी बढ़ती जा रहीं थी । जो सोना मम्मी के बिना रह नहीं सकती थी वह अब मम्मी के फोन पर बहुत देर बात भी नही करती अक्सर कहती _

  मां मैं अभी बिजी हूं फिर कॉल करती हूं .

     चौथी साल में जी आर ई एक्जाम  देकर वह एम एस पी एच डी के लिए यू  एस  जाने की बात करने लगी ।

      मुखर्जी जी को बड़ी शान लगती थी ये बताते हुए की मेरी बेटी  यू एस जा रही है  पी एच डी करने ।

    (सोना )सुवर्णा मुखर्जी को जब कन्वोकेशन में डिग्री मिली तभी उसने अपने मां बाबा से मुदित को मिलवाया था ।

    बाबा इस बात से खुश थे की ये लड़का अमेरिका से है और सोना जहां जाना चाहती है वहां से दो सौ मील दूर का रहने वाला है ।

    उन्हें उसके दोस्त पर भरोसा हो गया की वह सोना की मदद करेगा अमेरिका में सैट होने के लिए।

    सुवर्णा मुखर्जी को कुछ समय में स्कॉलर शिप मिलने लगी मां बाबा को अमेरिका बुलाया वहां की दुनियां में दोनो को लगा कि सोना ने यहां आकर अच्छा किया ,अमेरिका की सुविधाओं को देखकर दोनो को बेटी के पास रहने का दिल करने लगा ।

       कभी कभी दीपाली को लगता सोना मुदित के साथ  

कुछ ज्यादा दोस्ती निभा रही है ।

      एक दिन जब उनको मर्यादा की सीमा लांघते हुए चुम्मन करते देखा तो उसे अपनी बेटी पर शर्म आने लगी जब उससे इस संबंध में बात की तो उसका जवाब सुन कर दीपाली तो सकते में आ गई ।

   माम   दिस इज़ माई पर्सनल मैटर वी आर फ्रेंड  

हमको अपने हिसाब से रहने की फ्रीडम है ये अमेरिका है ।

मुखर्जी साहब को अब अपने समाज में बंगाली दामाद लाने का सपना टूटता नजर आ रहा था ।

   ये अमेरिका है यहां सब अपने हिसाब से लाइफ एंजॉय करते है इंडिया की तरह नही लाइफ के डिसीजन मां पिता की मर्जी से होते हैं । यहां अठारह साल के बाद बच्चे अपना कैरियर खुद चुनते हैं अपने लिए अर्न भी करते है और अपने निर्णय भी खुद लेते हैं ।

     एक साल बाद फोन आया बाबा मैने मुदित से शादी कर ली है अब मैं उसके साथ रहती हूं शादी के कई  फोटो भेजे मुदित के भाई पापा मां थे परंतु सुवर्णा तुमने हम लोगों को क्यों नहीं बताया हम लोग भी आ जाते ।

   हम लोग अगले महीने इंडिया आ रहे हैं तब अपने रिवाज से शादी करेंगे मुदित बहुत एक्साइटिड है बंगाली शादी देखने के लिए ।

      देखा दीपाली शादी इसके लिए मजाक है तरह तरह से की जाएगी ,मेरा तो मन करता है की उसे आने को मना कर दू।

     अरे नही अपनी बेटी की शादी में खुश होना चाहिए लड़का बुरा नही है उसका परिवार अमेरिका में है सोना को मदद करेगा । 

      अपने मन में दीपाली को भी बेटी का इस तरह शादी करना अच्छा नहीं लग रहा था ।

     सुवर्णा & मुदित  की शादी भारत आने पर बंगाली रिवाज से संपन्न हुई और तीन हफ्ते के प्रवास के बाद वह वापस चले गए ।

    मुदित का व्योवहार अब बदल रहा था वह सोना पर कुछ ज्यादा अधिकार समझने लगा था और कभी कभी उसके साथ झगड़ा भी करने लगा था ।

  मुदित के इस तरह रंग बदलने से सोना परेशान हो जाती और उसे उससे शादी करने का पश्चाताप भी होता था ।अब उसे अपने मां और बाबा की बहुत याद आती थी ,क्यों नही उसने अपने देश में अपने समाज में आकर शादी की अपने मां बाबा की खुशी को अपने स्वार्थ के आगे कुछ नहीं समझा ।

     एक रविवार ने सोना की जिंदगी की दिशा बदल दी वह मन से परेशान रहती थी तभी मुदित से कुछ झगड़ा हुआ मुदित उसे टॉर्चर कर रहा था उसके बदन पर जलती सिगरेट से निशान बना रहा था सोना के अंदर भी काली मां जाग गई उसने ब्रेड काटने  की चाकू से मुदित पर बार किया और धोखे से वह चाकू सीने में घुस गया अनजाने उससे हत्या हो गई ।

    सोना को जेल हो गई उसने अपने आई आई टी के साथियों से जो अमेरिका में थे मदद मांगी ,सभी मित्रो ने उसकी मदद की ।

भारत से उसके पापा वहां गए परंतु उनके कानून से वह मुकाबला करने में अपने को अक्षम समझ रहे थे आज पांच साल से वह ईश्वर और दुआओ के भरोसे अपनी बेटी की रक्षा करना चाहते हैं ।

        आज उसके जन्मदिन पर वह पश्चाताप के आंसू रोते है क्यों नही उसे अपने पास रखा क्यों इतनी दूर भेज दिया था  । 

      # पश्चाताप  # 

   पूजा मिश्रा 

      कानपुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!