मुसीबत – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसे ही घर की बड़ी बेटी बीना ने फोन करके अपनी मां को बताया कि वह व आपके जमाई जी कल दोपहर तक घर पहुंच जायेंगे।मां प्लीज़ स्टेशन पर जरूर से किसी को भेज देना हम लोगों को रिसीव करने के लिए।इनका स्वभाव तो तुम जानती ही हो,यदि स्टेशन पर कोई हम लोगों को रिसीव करने नही पंहुचा तो इनका मूड तो घर पहुंचने से पहले ही उखड़ जायगा।बीना की मां के चेहरे पर कुछ झुंझलाहट सी आगई,स्टेशन से घर दूर ही कितना है,खुद भी टैक्सी करके आ सकते हैं।पर अपनी जेब क्यों ढीली करें भला,नखरा तो ऐसे दिखाते हैं जैसे पहली बार ही आरहे हों।

एक तरफ बीना के मायके आने की खुशी के भाव थे वहीं दूसरी तरफ जमाई जी द्वारा की गई उल्टी,सीधी फरमाइश ोंके कारण होने वाली। परेशानी भी झलक उठी थी।

मन ही मन बुदबुदाते हुए कहा,लो फिर आगई मुसीबत।

बड़ी बहू ने जब उनको इस तरह बुदबुदाते हुए सुना तो झट से बोल उठी, मां क्या बीना दीदी व जीजाजी आरहे हैं,बैसेकहतोआप सच ही रहीं हैं,जमाई कम मुसीबत अधिक लगते है।

बीना कोई पहली बार मायके नहीं आरही है उसकी शादी को ८साल हो गए हैं,लेकिन जब भी मायके आती है जमाई जी उसके साथ जरूर आते हैं।एक तो उनका नकचढा स्वभाव ऊपर से बेतुकी फरमाइशें।

जैसे ही घर में सबको पता चला कि बीना दीदी व जीजाजी आरहे हैं ,सबएक स्वर से कह उठे,लो आगई मुसीबत फिर से १५दिनों के लिए।

बीना ने एक दो बार कहा भी है कि मुझे मायके अकेले जाने दो,तो यह सुनते ही तुरंत कह उठते हैं, खबरदार जो तुमने अकेले जाने की बात की तो। तुम्हारा जाना भी बन्द करवा दूंगा,फिर बैठी रहना यही मायके की याद में टसुए बहाते हुए।बिचारी बीना दीदी बेवस हो जाती हैं,न मायके जाने का मोह छोड़ पाती हैं और न अपने पति को छोड़ने का सोच सकती हैं।

उनकी आदतें भी अजीबोगरीब ही हैं,या यहां ससुराल में आकर कुछ अधिक ही नखरा दिखाते हैं।

जमाई जी की आदत है जब खाना खाने बैठै तो एक एक फुलका गरम गरम ही मिलना चाहिए,यानी जब पहला फुलका खतम हो जाय तभी उनकी थाली में दूसरा गर्म फुलका परोसा जाय।

इतना ही नहीं सब्जियों में भी उनको बैराइटी चाहिए,ओर इन १५दिनों में कोई सब्जी रिपीटनही होनी चाहिए। यानी हर रोज एक नई सब्जी,जब तक थाली में ५-६ सब्जियां न हों खाना उनके गले के नीचे नहीउतरत।इतना ही नहीं खाने के बाद स्वीट डिश भी हर रोज नई चाहिए।आज यदि आइसक्रीम खाईहै तो कल चमचम फिर अगले दिन गुलाबजामुन।घर के बड़े बच्चे उनकी फरमाइशें पूरी करने के चक्कर में मार्केट दौड़ते ही रहते हैं। उनकी इन्हीं फरममाइशों को पूरा करने में घर का बजट भी कभी गड़बड़ाने लगता है।भगवान कव छुटकारा मिलेगा इस मुसीबत से।यदि जब कभी बीना दीदी उनको कुछ समझाने की कोशिश करती हैं कि नाहक ही आप मेरे घरवालों को तंग करते रहते है,तो उनका जवाब होता है तुमको तो अपने घरवालों की चिंता है मेरे मान सम्मान कीजरा भी चिन्ता नहीं है।

अरे हमारी शादी को पूरे आठ साल हो चुके हैं और आप ऐसे बिहेव करते हैं जैसे आजही बरात लेकर आयेहों।यहां मायके में आकर कुछ ज्यादा ही नहीं बोलने लगती हो तुम।जमाई जी डाट कर दीदी को चुप करा देते हैं।बीना दीदी बेवसहो जाती हैं , इन लोगों के मेरे यहां आने से इतनी ही परेशानी है-तो बुलाते क्यों हैं तुम को,यदि बुलाया है तो झेलने दो न।

खाने के बाद पान खाने की आदत भी निराली है ,पान में क्या क्या पड़ेगा इसकी लिस्ट भी उनकी लम्बी होती है। यदि उनकी पसन्द का पान नही हुआ तो बे तुरंत नाराज़गी दिखाने लगते हैं।उनकी पसंद का पान

भी पूरे २००रूपयेका होता है।इन १५ दिनों में ये नकचढे तुनकमिजाज जमाई जी ससुराल में सबकी नाक में दम करके रखते हैं सच पूछो तो सब राह देखते हैं कि अपने घर बापिस जांय तो इस मुसीबत से छुटकारा मिले।

स्वागत सत्कार वही अच्छा होता है जो खुशी से किया जाय। स्वभाव की नाराजगी दिखा कर जो सम्मान किया जाता है वह केवल रिश्ते को निभाने के लिए होता है।इसलिए जब भी कहीं जाऐ उस घर के अनुसार ही अपने को ढाल लें ताकि उसघर के लोग आपसे और अधिक रूकने का आग्रह करें न कि आपको मुसीबत समझ कर आपके बापिस का इन्तजार करें।

स्व रचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता 

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