मुझे मेरे बेटे पर पूरा विश्वास है। – नीरू जैन

कहते हैं ना खुशियां जब भी आती है चारों और से आती है शायद दुख भी ऐसे ही आता है।

चारों तरफ पूरी दुनिया में हाहाकार मच रहा है। पिछले साल अक्टूबर 2020 में पूरी दिल्ली में कोरोना की लहर थी। उसमें मेरे घर में और अधिकतर सभी रिश्तेदारों के यहां कोरोना हो रहा था। मेरे घर में मेरे सास, ससुर और पति को कोरोना पॉजिटिव आया।

अब मुझे कैसे अपने परिवार को इस बीमारी से बाहर निकलना है….यह विचार मेरे मन में चल रहा था।

संयुक्त परिवार होने से घर में और लोगों को भी कोरोना हो गया था। पूरी बिल्डिंग को मिनी कंटेंटमेंट जॉन बना दिया गया और सरकार की तरफ से एक पुलिस कर्मचारी हमारी सहायता के लिए पूरे दिन घर के बाहर बैठे रहता था।

इस माहौल को देखकर अपने आप को एक सकारात्मक ऊर्जा से भरने के लिए मेरे पास सिर्फ भगवान का सहारा था।

मेरे सास-ससुर लगभग 65 वर्ष के हैं। सरकार की तरफ से उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट होना था, परंतु घर का शुद्ध भोजन खाने की वजह से उन्हें हॉस्पिटल नहीं भेजा गया। बार-बार एमसीडी के लोग आते फोटो खींच कर ले जाते, तो कभी उनका बुखार और बीपी शुगर पूछ चले जाते थे।

इन सबके बीच मुझे टूटना नहीं था, घबराना नहीं था, अपने आप को और मजबूत बनाना था।

इन सभी के चलते बड़े बेटे की पंजाब की एक यूनिवर्सिटी से फोन आया जिसके एडमिशन को अभी 15-20 दिन ही हुए थे।



पति (सुमित) के पास फोन आया कि आपके बेटे ने डायरेक्टर की मेल से कुछ बच्चों को मेल भेजी है कि आपका एडमिशन कैंसिल किया जाता है, क्योंकि आपने प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया और बाद में उसने एक सॉरी मेल भी भेजी है जिसमें लिखा है कि मैं तो मजाक कर रहा था। दोस्तों मुझे माफ कर दो।

यह सुनकर मेरे और मेरे बेटे के होश उड़ गए जैसे ही  सुमित ने बताया। सुमित ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की, कि मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता, पर वह मानने को तैयार नहीं थे और उन्होंने कह दिया आपको मिलने और बात करने यूनिवर्सिटी आना होगा।

सुमित ने कहा … मैं क्वारंटाइन हूं, अभी नहीं आ सकता, ठीक होते ही आता हूं, पर उन्होंने एक न मानी।

अगले दिन हमने कुछ लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि आपके बेटे के साथ साइबर क्राइम हुआ है। किसी ने उसकी मेल आईडी से यह सब किया है। यह सुन बेटा रोने लगा। मुझे बेटे को भी संभालना था। मैं बार-बार उसको समझाती कि बेटा मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है कि तू ऐसा कभी नहीं कर सकता। बेटा अभी तेरे मां- बाप, दादा- दादी जी, जिंदा है, तो तू चिंता क्यों करता है। हम सब तेरे साथ है और तुझे कुछ नहीं होने देंगे।



मां का फोन आया बेटा…. भाभी जी, भाई साहब और सुमित जी सब कैसे हैं। “मम्मी कुछ ठीक नहीं है।”

क्यों बेटा?….. मैंने मम्मी को सारी बाते बताई। वह भी बहुत परेशान हो गई, पर उन्होंने मुझे बहुत हिम्मत दी। उनके कहे शब्द मुझे आज भी याद है “मेरी बेटी तो झांसी की रानी है वह बिना डरे, बिना घबराए हिम्मत और सच्चाई के साथ इस समस्या का सामना करेंगी।”

अगले दिन मैं, मेरा बेटा और मेरे एक जीजा जी पंजाब में  यूनिवर्सिटी पहुंचे। वहां उन्होंने हम पर बहुत प्रेशर किया कि यह सब आपके बेटे ने ही किया है। परंतु जो गलती मेरे बेटे ने नहीं की थी, हम उसे कभी नहीं मानेंगे। शाम 5:00 बजे तक वह हमें अपॉलिजी लेटर लिखने के लिए कहते रहे, पर हमने नहीं लिखा। फिर उन्होंने कहा कि आप एक लेटर लिखे कि हमारे साथ फ्रॉड हुआ है। हमने लेटर लिखकर उन्हें दिया और वापसी दिल्ली के लिए निकले। घर पर मेरे छोटे बेटे ने अपने दादी दादा जी और पापा का पूरा ध्यान रखा।

अगले दिन सासु मां की तबियत खराब हो गई,जो दवाइयाँ उन्हे दी जा रही थी, वे उन्हें सूट नहीं करी और पूरी बॉडी में एलर्जी हो गई। मैंने डॉक्टर से बात करी। उन्होंने उनकी उन दवाइयों को बंद करके दूसरी दवाई दी। वह दवाइयाँ लेकर सासु माँ की हालत मे सुधार आना शुरू हो गया। उन सब के 15 दिन पूरे हो गए और सब क्वॉरेंटाइन से बाहर आ गए।

मेरे सास, ससुर और पति ने बाहर आकर मेरी हिम्मत और हौसले की भरपूर सराहना की और हम सब के चेहरो पर खोई खुशी लौट आई।

दोस्तों यह मेरी स्वरचित और एक वास्तविक रचना है मेरी यह कहानी पसंद आए तो लाइक शेयर कमेंट जरुर करें और मुझे फॉलो करें।

#भरोसा

धन्यवाद 

आपकी सखी 

नीरू जैन

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!