मेरा खत – डाॅ उर्मिला सिन्हा Moral Stories in Hindi

प्यारी सखी,  मधुर स्मृति।

  आज वर्षों बाद मैं तुम्हें पत्र लिख रही हूं। याद है  जब हम छुट्टियों में अपने अपने घर चले जाते थे तब ये चिट्ठियां  ही हमारा सहारा होती थी। हम कभी डाक से या कभी किसी हरकारे के हाथों एक-दूसरे को कुशलक्षेम भेजती।

   उस कागज के टुकड़े में कितना कुछ होता था। हिंदी कविताओं का भावार्थ  ,इतिहास के तथ्य, भूगोल संबंधी नोट्स ,अंग्रेजी कविताओं का सारांश कीट्स वर्ड्सवर्थ … साथ में अपना दुख-सुख। एक-दूजे के सहारे हम नोट्स बनाते और कक्षा में प्रथम द्वितीय स्थान पाते।

   फिर आये कालेज के दिन। हमदोनों पुनः जुदा हो गई। किंतु खतों का सिलसिला नहीं टूटा। उन पत्र में अपनी सहेलियों की चर्चा  ,स्वेटर में कौन सा नया डिजाइन सीखा उसका नमूना  ,क्रोशिया के झालरों का आदान-प्रदान, रेशमी रुमाल चादर के बेलबूटे का  डिजाइन  साझा करने लगे।  युवापन के शौक …धर्मवीर भारती के सुधा चंदर, अमृता प्रीतम का पिंजर, गुलशन नंदा के रोमांटिक उपन्यास  के पात्र भी हमारे खत में जगह पाने लगे थे। प्रेमचंद, रेणु, शरतचंद्र, बंकिमचंद्र इत्यादि  का साहित्य हमें भाने लगा था।

ग्रामीण लोकगीतों में सोहर, झूमर नचारी, विवाह गीत  ,छठगीत भी खतों के माध्यम से   पहुंचने लगे।

  अम्मा पूछ बैठती, “कैसी है तुम्हारी सखी”!!

मैं हंसकर बोलती, “मजे में। “

  बाबूजी  टोकते, “तुमदोनों की पढ़ाई कैसी चल रही है। “

“अच्छी चल रही है। “

अब हमदोनों के अभिभावक  हमारे विवाह की चर्चा करने लगे। उन दिनों साढे सोलह आना विवाह  माता-पिता ही तय करते थे। लड़को का तो नहीं मालूम लेकिन लड़कियों को कुछ भी जानकारी नहीं रहती थी।कितने चिंतित रहते थे हमारे सुखी वैवाहिक जीवन के लिए हमारे माता-पिता … यह बातें हम तुम खत के माध्यम से ही  साझा करते।

उस जमाने में न  फोन  न मोबाइल  न इंटरनेट … किस चिडिया का नाम है कोई नहीं जानता था। बस खत का ही सहारा था। जहाँ किसी खाते-पीते घर और कमासुत लड़के का पता चलता पिता जी हक्कासे-पियासे दौड़ पड़ते।

  हमें भी पहली बार मां की भारी कामदार बनारसी साडी़, कान में झुमके, गले में जडा़ऊदार लडी़ पहनाई गई।  आंखों  के कोने तक काजल लगाये स्थानीय  स्टुडियो में  विवाह के लिये फोटो खिंचवाने पहुंच गये। स्टुडियो वाला छोकरा कभी इधर बैठाता कभी उधर  देखने के लिए बोलता। कभी साडी़ का प्लेट ठीक करता कभी आंचल  ।हमें उलझन होती किंतु बाबूजी की  गंभीर मुखमुद्रा और मां का सलीके से  बैठ सहज ढंग से हमें  निहारते देख  …हम भी शांत ही रहते।

  हफ्ते भर बाद ही  ब्लैक एंड व्हाइट फुल साईज का रंगीन जिल्द में सजा फोटो हमारे  हाथ में था। उन दिनों विवाह योग्य कन्याओं का फोटो स्टुडियो में खिंचवाने का रिवाज था। वही तस्वीर विवाह  के लिए भेजा जाता था।

   अपनी ही  छवि कुछ अलग सी दिखाई दी। हमने एक दूसरे को खत के साथ तस्वीर भी भेजी।

स्वाभाविक था हम एक-दूसरे की तारीफ़ ही करते। दैवकृपा से हमदोनों का विवाह एक ही दिन एक तिथि को संपन्न हुआ।

दोनों के घर शहनाई बजने लगी। बेटी विवाह का सुमधुर गीत गूंजने लगा, “हम्मर दुलारी हो बेटी चाँद के रे टुकडिया

चाँद के टुकड़िया ए समधी आंख के रे पुतरिया।

   दिनवा हरेली ए समधी भुखिया रे पिअसिया, रतिया हरेली ए समधी बाबा आंखी रे निंदिया।। “

  खत  में एक-दूसरे से  मिलने का वादा किया। रोये-धोये और एक अनजान अनदेखे के साथ सात फेरे ले  सात जन्मों के लिए परिणय-सूत्र में बंध अपने अपने  जीवनसाथी के साथ चल पड़े गृहस्थी बसाने।

   फिर सांसारिक दस्तूर  अपनीअपनी गृहस्थी में  ऐसा उलझे कि होश न रहा।

ऐसा नहीं था कि हम एक-दूसरे को भूल गये थे  बल्कि सामाजिक पारिवारिक दायित्वों ने हमें  उलझा रखा था।

आज न तुम्हारे माता-पिता रहे न मेरे। भाई-बहन अपनी दुनिया में मस्त हो गये।

  हम भी बाल-बच्चेदार… उन्हीं के नींद सोना उन्हीं के जरुरत अनुसार जगना। अब सब सेटल हो  गये। हम भी उम्र के चौथेपन में  खुशियां लुटा रहे हैं।

और अब हाथ में आया स्मार्ट मोबाइल। पोता ने  फेसबुक एकाउंट खोल दिया ह्वाटस एप  से जोडा़। कई पुराने चेहरे दीखने लगे। मैंने तुम्हें सर्च किया… सुखद आश्चर्य  तुम मिल गई। तुम्हारे नाम के आगे सरनेम बदल गया  था लेकिन तुम थी मेरी वही प्यारी सखी। दोनों गालों में डिंपल बडी़-बडी़ चमकदार आंखें  …मैंने झट पहचान लिया ।   बालों में सफेदी झांकने लगी है, वजन भी बढ चला है। फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा और अगले पांच मिनट में हम पुनः फ्रेंड  बन गये। एड्रैस  लिया-दिया गया और आज यह खत मैं तुम्हें लिख रही हूं।

   आधुनिक युग में  प्लेन, रेल आवागमन के हजारों साधन है। अपनी गाड़ी  ,वीडियो कालिंग की सुविधा  ,रुपया पैसा सुख-साधन  ईश्वर का दिया हुआ सबकुछ है,शीघ्र ही मिलने का प्रयास करते हैं।

तुम्हारे उत्तर का इंतजार रहेगा  !कहाँ मिला जाये तुम्हारे शहर या मेरे या कहीं  और?

किसी के मोबाइल का रिंगटोन बज  रहा है,”बिछुडे़ हुए मिलेंगे हम किस्मत ने  गर मिला दिया…! “

#हमारे रिश्ते का डोर टूटे ना बल्कि आखिरी सांसों तक बरकरार रहे।

  शुभकामनाओं के साथ तुम्हारी बिछुडी सहेली ।

  

   सर्वाधिकार सुरक्षित मौलिक रचना -डाॅ  उर्मिला सिन्हा ©®

रिश्तों  का डोर टूटे ना

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