दोष किसका – मंजू ओमर Moral Stories in Hindi

मम्मी तुम आज मेरी लाई हुई साड़ी ही पहनोगी तभी मैं अपनी इंगेजमेंट करूंगी नहीं तो मैं नमन को मना कर दे रही हूं प्रोग्राम कैंसिल कर देती हूं , एकता बोली अपनी मम्मी सिया से ।सिया बोली क्यों बेटा जिद कर रही हो अब इस उम्र में मैं और इस स्थिति में ऐसे कलर की साड़ी पहनकर क्या अच्छी लगूंगी क्या और फिर मुहल्ले वाले ,आस पड़ोस वाले और सबसे पहले तो तुम्हारी दादी ताने मारेगी ।

कुछ सोचो जरा। मुझे कुछ नहीं सोचना ।आजतक सबके बारे में सिर्फ तुम ही सोचती रहती हो तुम्हारे बारे में कोई सोचता है क्या।और फिर मोहल्ले पड़ोस वाले या दादी इनकी तो तुम प्रवाह ही न करों इन लोगों का तो काम ही है कुछ न कुछ कहना। हां जहां तक रिश्तेदारों की बात है तो मामा लोग तो सब समझते हैं ।और बड़ी मौसी , बड़ी मौसी तो तुमको कितनी बार बोल चुकी है कि इतने सिम्पल से कपड़े क्यों पहनती हो

थोड़े अच्छे रंगों के कपड़े पहना करो ।और जब आपने उनसे पूछा था कि क्या अब सिर्फ सफेद कपड़े पहनूं तो उन्होंने आपको कितनी हिम्मत दी थी कि नहीं ऐसा नहीं है सब तरीके के कपड़े पहनो ।जो कुछ भी हुआ उसमें तुम्हारी क्या ग़लती है ।

                  सात भाई बहनों में सिया सबसे छोटी थी ।घर में सबसे छोटी होने के कारण उसकी शादी की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था । पिता जी बाकी सभी शादी तो निपटा गए थे पर सिया की शादी नहीं हो पाई थी और वो इस दुनिया से चले गए ।अब सिया सोच रही थी क्या मेरी शादी नहीं होगी ।घर में बड़े भाई थे अपनी अपनी गृहस्थी में मग्न थे वो लोग किसी तरह का प्रयास ही नहीं कर रहे थे कि चलो एक बहन है तो उसकी भी शादी कर दें । मां भी चिंतित रहती थी ।

                  पढ़ाई पूरी करके सिया स्कूल में टिचिग करती थी । स्कूल की छुट्टियां थी तो बस ऐसे ही कुछ समय के लिए बड़ी बहन के घर आई थी ।सिया की बड़ी बहन रिया के पड़ोस में एक आंटी रहती है वो एक दिन रिया के घर आई वहां सिया को देखकर पूछने लगी ये तेरी बहन है क्या रिया ,तो रिया ने जवाब दिया हां आंटी। शादी की उम्र तो हो गई है अभी तक शादी नहीं हुई।

तो रिया ने बताया नहीं आंटी सभी भाई बहनों की शादी हो गई है इसकी शादी की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दे रहा है । अच्छा तू कहे तो मेरी नज़र में एक लड़का है उसकी भी अभी तक शादी नहीं हुई है तू कहे तो मैं बात करूं । हां हां आंटी करिए बात बात बन जाए तो अच्छा है ।बहन भी हमारी पढ़ी लिखी है स्कूल में टीचर हैं । आजकल छुटियां चल रही थी तो मेरे पास आ गई है।रिया के मन में एक आस जगी गई थी ।

               आंटी की एक बेटी थी उसकी ससुराल के सामने वो परिवार रहता था जिसकी आंटी बात कर रही थी वो रिया के जात-बिरादरी के भी थे । तीन बेटे थे उनके अभी किसी की शादी नहीं हुई थी।बस यही था कि लड़का देखने  सुनने में बहुत अच्छा नहीं था ।दवाओं की कम्पनी में काम करता था। लड़का मंगली था तो कोई जोड़ नहीं बैठ रहा था।

                आंटी ने बात चलाई बात आगे बढ़ी और सिया को देखने का प्रोग्राम बनाया ‌। दोनों परिवार पहले एक पार्क में मिलना चाहते थे। औपचारिक तौर पर मिले तो दोनों को सब ठीक लगा ।बस लड़का कुछ जंचा नहीं था रिया को। लेकिन सिया तैयार हो गई क्योंकि उसको समझ आ रहा था कि घर में कोई ध्यान दें नहीं रहा है आगे कुछ होगा भी ये भी समझ नहीं आ रहा है ।

थोड़ा कम बेशी ही सही । परिवार ठीक था पढ़ें लिखे लोग थे सिया तैयार हो गई। फिर रिया ने मां से बात की मां भी खुश हो गई। सबसे मिलने जुलने का प्रोग्राम रखा गया।भाई भाभी भी आए लेकिन भाइयों ने मना कर दिया कि लड़का देखने सुनने में अच्छा नहीं है लेकिन अपना आगे का भविष्य अंधकारमय दीख रहा था सिया को तो बस सिया अड़ गई कि नहीं मुझे तो शादी करनी है ।

                  शादी हो गई दो बच्चे हो गए सिया को सबकुछ ठीक चल रहा था । बच्चे भी बड़े हो गए थे बेटा बारह साल का और बेटी पंद्रह साल की हो गई थी। लेकिन एक दिन सिया का पति रंजन रात को सोता तो फिर सुबह उठा ही नहीं । सिया की तो दुनिया ही उजड़ गई ।

                 सिया स्कूल में टिचिगं करती थी तो किसी तरह बच्चों को पढ़ाया लिखाया। लेकिन सांस हमेशा ताने मारती कि हमारे बेटे को खा गई ।ऐसी स्तिथि में घर की बहू को ही दोषी मान लिया जाता है । सिया कभी ढंग के कपड़े पहन लेती या बिंदी लगा लेती तो सास ताना मारती कि मेरा बेटा नहीं है और तुम्हें साज श्रृंगार की पड़ी है ।आज तो हद हो गई घर की काम वाली बाई कहने लगी बहूं जी तुमको ऐसे चटक रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए और साज श्रृंगार भी नहीं करने चाहिए तुम विधवा हो न । सिया का कलेजा मुंह को आ गया ।अब पग पग पर टोका टोकी से परेशान हो गई थी सिया।

                     कुछ समय बाद सिया आज अपने पति की आलमारी की सफाई कर रही थी तो उसको कपड़ों के नीचे दबी एक फाइल दिखी ‌। सिया ने जब निकाल कर देखा तो पति रंजन की कुछ मेडिकल रिपोर्ट रखी थी जब उसने बारीकी से देखा तो समझ आया कि रंजन तो थैलेसीमिया नामक गंभीर बीमारी से ग्रस्त था , जिसमें शरीर में खून नहीं बनता । सिया का दिल धक से रह गया इतनी बड़ी बीमारी को मुझसे छिपाया गया ।अब तो सिया में हिम्मत आ गई जवाब देने की ।

                आज स्कूल में पी,टी ,एम था तो थोड़ा सा ठीक से स्कूल जाना था । ज्यादा कुछ नहीं थोड़ा सा तैयार हो गई थी और जब स्कूल जाने को नीचे उतरी तो सांस ने कहा मेरे बेटे को खा गई और ऐसे में इतना तैयार होकर स्कूल जा रही है ।तो आज तो सिया ने जवाब दे ही दिया क्या खा गई ,खा गई करती रहती है आपके बेटे को इतनी बड़ी बीमारी थी वो हमसे छिपा लिया और हर वक्त लांछन हमपर लगाती रहती है रंजन को हमने नहीं खाया उसकी बीमारी ने खाया ।इस तरह के जवाब की उम्मीद न थी सिया के सास को ।अब तो थोड़ी हिम्मत आती जा रही थी सिया को जब भी सास कुछ कहती सिया तड़ाक से जवाब दे देती ।अब तो बेटी भी साथ देने लगी थी मम्मी का ।

                 अब तो बेटी भी हर समय सिया को प्रोत्साहित करती रहती थी मम्मी ढंग से तैयार होकर स्कूल जाया करो वहां इतने लोगों के बीच उठना बैठना होता है ।अब सिया को भी हिम्मत आने लगी और वो धीरे-धीरे रंगीन कपड़ों का चुनाव करने लगी और थोड़ा ठीक से तैयार होने लगी।

                आज बच्चे पढ़-लिख कर बड़े हो गए हैं । दोनों बच्चे नौकरी कर रहे हैं । बेटी ने नमन को पसंद किया है उसी का आज रोका है । जिसमें पहनने के लिए एकता ने मम्मी के लिए लाल साड़ी लाई है । एकता को पता है कि मम्मी को लाल रंग बहुत पसंद है ।आज बेटी की जिद पर सिया ने उसकी लाई हुई साड़ी पहनी और हल्का सा मेकअप भी किया । बहुत सुंदर लग रही थी सिया ।अब पति नहीं है तो क्या बच्चों की खातिर जीना है सिया को ।आज अड़ोसी पड़ोसी और सांस के तानों से बेफिक्र होकर सिया बच्चों की खुशी में शामिल हैं । लोगों का तो काम है बातें बनाना  उसको कौन रोक सकता है ।

             यदि पति की मृत्यु हो गई है तो उसमें पत्नी का क्या हाथ । जीवन और मृत्यु तो ऊपर वाले के हाथ में है । लेकिन ये कहां लिखा है कि पत्नी सारी उम्र ग़म में ही जीती रहे अपने मन को मार कर ।

पाठकों आपकी क्या राय है बताइएगा ।

धन्यवाद 

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

7 मई

#रिश्तो की डोरी टूटे न

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