माता-पिता को एकांतता देना भी हमारा दायित्व है-के कामेश्वरी : Moral stories in hindi

मनोज एक सरकारी दफ्तर में ऑफ़िसर के पद पर जॉइन हुआ था । सब उसके नसीब पर ईर्ष्या करते थे कि छोटी सी उम्र में ही उसे इतनी अच्छी नौकरी मिल गई है । माता-पिता की तो खुशी का ठिकाना ही नहीं था। उनके घर के सामने लड़कियों के पिताओं ने लाइन लगा दी थी ।

उसे सरकारी क्वार्टर गाड़ी नौकर चाकर सब मिलता था लेकिन उसे अपने माता-पिता के साथ रहना पसंद था ।

उनके घर में माता-पिता, दादा- दादी और उसकी एक छोटी बहन रहते थे । उसकी शादी तय होते ही उसने पिता से कहा कि घर के ऊपर दो कमरे और बनवा दीजिए मेरे और बहन के काम आ जाएँगे क्योंकि नीचे दो ही कमरे हैं । उन्होंने कहा कि ठीक है मैं अभी ही काम शुरू करवा देता हूँ । मनोज ने पैसे भेज दिया और वह निश्चिंत हो गया था कि पिता काम करवा देंगे ।

उसकी शादी विनीला के साथ तय हो गई थी। उस घर में सब खुश थे उन दोनों की शादी हुई और वे दोनों हनीमून मनाने के लिए चले गए ।

 एक दिन जब वे घूम रहे थे तो उन्होंने वहाँ एक वृद्ध दंपति को देखा जो हाथ में हाथ डालकर बातें करते हुए अपने में मस्त चले जा रहे थे । मनोज को बहुत अच्छा लग रहा था उन्हें देख कर कौतूहलवश वेदोनों उनके पीछे गए तो देखा थोड़ी सी दूर पर एक गाँव है वहाँ एक छोटे से घर का गेट खोलकर वे अंदर चले गए ।

मनोज ने विनीला के मना करने पर भी उनके दरवाज़े की घंटी बजा दिया था ।

पुरष ने डोर खोला और पूछा किससे मिलना है । मनोज ने विनीला का और खुद का परिचय देते हुए बताया था कि कैसे वे दोनों उन्हें देख कर प्रभावित होकर आए बताया तो अंदर से महिला आते भी आते हुए कहती है कि मैं हम दोनों के बारे में बताऊँगी ।

उसने कहा कि हमारे चार लडके हैं ये मेरे पति स्कूल में टीचर थे । हमने बड़े ही प्यार से अपने बच्चों को पढ़ाया लिखाया और वे सब आज की तारीख़ में अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं ।

हमारी बदक़िस्मती है कि वे लोग हम दोनों को एक साथ अपने घर में नहीं रखना चाहते हैं । एक के घर माँ तो एक के घर में पिता ऐसा उन्होंने बाँट लिया था । आप लोग ही बताइए कि हमारा दायित्व हमने अच्छे से निभाया उन्हें पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया है तो अब उनका दायित्व नहीं है क्या कि हमें ख़ुशी दे सके । हमने माँगा ही क्या था हम दोनों को साथ रहने दो साथ ही हमें भी प्राइवेसी चाहिए ना उन्होंने हमारे बारे में कभी नहीं सोचा था ।

बड़े बेटे के बेटी की शादी में हम दोनों एक साथ मिले थे वह भी छह महीने बाद इन्हें देखते ही मैं रो पड़ी और कहने लगी कि हम साथ रहेंगे आप कुछ कीजिए ना ।

मेरी बात मानकर इन्होंने अपने दोस्त से कहकर यह घर लिया है । आप दोनों नहीं जानते हैं कि कितनी बातें हमारे बेटे और बहुओं ने हमें सुनाई थी कि इस उम्र में साथ रहना ज़रूरी है क्या?

उन्हें तकलीफ़ इस बात की हो रही थी कि इन्होंने जायदाद के पाँच हिस्से किया और अपने हिस्से से यह घर ख़रीदा और हम यहाँ शिफ़्ट हो गए थे ।

इनका पेंशन आता है और गाँव के बच्चों को पढ़ा भी देते हैं । यहाँ गाँव में लोग हमारी बहुत इज़्ज़त करते हैं । उनके यहाँ से चावल सब्ज़ियाँ सब लाकर देते हैं । हमारे सुख दुख के साथी बनकर हमारे साथ खड़े रहते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि हम दोनों साथ हैं । इससे बड़ी ख़ुशी हमारे लिए और क्या हो सकती है बोलो कहते हुए दोनों हँसने लगे ।

उन्हें हँसते हुए देख मनोज और विनीला को भी अच्छा लगा था ।

वे दोनों हनीमून ख़त्म कर जैसे ही घर पहुँचे तो माँ ने उनका सामान दादा दादी के कमरे में रखवाया था । मेरे पूछने पर कहा कि इस उम्र में उनके लिए अलग कमरे की क्या ज़रूरत है । यहाँ हॉल में सो जाएँगे वैसे भी कल तुम्हारे चाचा दादा जी को लेकर चले जाएँगे तो दादी अकेली कहीं भी सो सकती हैं । मनोज विनीला दोनों को उस वृद्ध दंपति की याद आई । उन्होंने दादा दादी की तरफ़ देखा उनके चेहरे पर उदासी दिखी थी।

उसे पता चल गया था कि उसके भेजे गए पैसों से ऊपर रूम नहीं बने हैं । उसे पैसे भेजे हुए भी काफी दिन हो गए थे । मनोज ने कुछ नहीं कहा और उसने सरकारी क्वार्टर के लिए दरख्वास्त दे दिया ।

उस दिन वह ऑफिस से घर पहुँचा तो देखा चाचा जी आए हुए थे दादा जी को अपने साथ ले जाने के लिए । दादी की आँखें भरी हुई थी । उनसे हाल-चाल पूछने के बाद उसने सबके सामने कहा था कि विनीला सामान पैक करना है एक साथ मिलकर सबने कहा कहाँ जा रहे हो?

मनोज ने कहा कि मैंने क्वार्टर के लिए अप्लाई किया था आज एलॉट हो गया है वहाँ दो बेडरूम हैं एक हमारा और एक दादा दादी का । चलिए दादा जी आप दोनों हमारे साथ रहेंगे अपने कमरे में रहेंगे । हमें भी आपकी ज़रूरत है ।

माँ पिताजी और चाचा जी ने कहा यह कैसा बेहूदा मज़ाक़ है मनोज । मैं आप लोगों से छोटा हूँ मैं बेहूदा मज़ाक़ क्यों करूँगा । मैंने आप लोगों को पैसे भेजे थे कि घर के ऊपर दो कमरे बनवा दो हम दोनों भाई बहन के काम आएँगे ।

माँ आपने क्या किया था कि पैसे बैंक में जमा कर दिया है और दादा दादी को कमरे से बाहर यह कहकर कर दिया था कि इस उम्र में कहीं भी सो सकते हैं । माँ पति पत्नी को एक साथ रहने के लिए उम्र आड़े नहीं आता है । वे दोनों सात जन्मों तक साथ रहना चाहते हैं और आपने तो उन्हें इसी जन्म में अलग कर दिया है । एक बार भी नहीं सोचा था कि दोनों को एक-दूसरे के साथ की ज़रूरत होगी । उन्हें भी प्राइवसी की ज़रूरत होगी नहीं ना ।

माँ आप दोनों भी उस उम्र में पहुँच रहे हो आपके साथ कोई ऐसा करे उस एहसास से ही दिल घबरा जाता है फिर उनके साथ ऐसा क्यों?

ये दोनों मेरे साथ तब तक रहेंगे जब तक आप ऊपर कमरे ना बनवा दें । उसके बाद हम सब एक साथ यहाँ आकर रहेंगे ।

मैंने दादा दादी की तरफ़ देखा दोनों की आँखें चमक रही थी ।

दोस्तों अपने माता-पिता को अलग करने की बात सपने में भी मत सोचिए क्यों कि सभी को दायित्व निभाने की  ज़रूरत होती है  वैसे भी शादी का रिश्ता सात जन्मों का होता है बुजुर्ग हो गए हैं तो क्या रिश्ता तो निभाना ही है । 

के कामेश्वरी

1 thought on “माता-पिता को एकांतता देना भी हमारा दायित्व है-के कामेश्वरी : Moral stories in hindi”

  1. बहुत ही शानदार, अब तक उपेक्षित विषय पर इतना सटीक लेखन और उतना ही अच्छा उपसंहार, साधुवाद इतना परिपक्व लेखन के लिए।

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