#मर्यादा -आज और कल – गुरविंदर टूटेजा

 रूही गुस्सें में मुँह फूलायें बैठी थी…!!

   पापा(राजीव) ने घर में घुसते ही बोला…क्या हो गया हमारी गुड़िया को गुस्सें में क्यूँ  है..??

   बिना कुछ जवाब दिये रूही अपने कमरे में चली गयी..!!

   राजीव ने रीमा से पूछा तो वो बोली कि उसकों दोस्तों के साथ जाना था रातभर वही रहना है पार्टी करनी है तो मैंने मना कर दिया…छोड़ दीजियें अपने आप सही हो जायेगी…!!

  रात को खाना खाने भी नहीं आयी…राजीव बुलाने गया तो दरवाजा भी नहीं खोला…!!!!

  रीमा को गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर सुबह बात करेगी सोचकर व कल समझाकर ही रहेगी वो सो गयी…!!

   राजीव का मन भी नहीं लग रहा था बहुत लाडली जो थी तो रीमा से पहले वो ही उसके कमरे में चला गया…उसने प्यार से रूही के सिर पर हाथ फेरा तो रूही ने गुस्से से हाथ को झटक दिया…इतनें में रीमा आ गयी उसे खींचकर एक चाँटा लगाया…ये -क्या बदतमीजी हैं…??




   राजीव व रूही दोनों ही सकपका गये फिर रूही जोर से बोली कि मम्मी आपको हर बात में अपनी ही चलानी होती है…मैं फोन पर बात करूँ तो आप बीच-बीच में  सुनती हो व देखती हो कि किससे बात कर रही हो…!!!!

   मेरे दोस्त आतें है तो भी आप आकर वहाँ बैठ जातें और बिना सोचें कुछ भी बोलती रहती हो…इंग्लिश आती नहीं तो भी बोलना जरूर है…मुझे तो सिखातें हो बेटा वहाँ नहीं जा सकती थोड़ी मर्यादा तो रखनी होती है…आप जो हम बच्चों के बीच में घुसतें हो…मेरी भी तो बेइज्जती होती है…आपके लिये कोई मर्यादा नहीं है क्या…????

  उसकी बातें सुनकर रीमा व राजीव दोनों के आश्चर्यचकित रह गयें थे कि ये क्या बोल रही हैं…हम कहाँ कम रह गयें…????

  रीमा ने सोचा आराम से बाद में समझाऊँगी…अभी बोला तो और बात बढ़ेगी..दोनों अपने कमरे में आ गये…राजीव मुझे लगता है ये कल और आज का फर्क है हम उस वक्त में है जब हमारें बड़ें हमें जो बोलते हम उसे सिर झुकाकर मानतें थे उनके सामनें बोलना हमारी मर्यादा के खिलाफ होता था…!!!!

  आज हमारे बच्चें भी हमें ही सिखा रहें हैं कि आप ऐसे मत बोलों…आपने ऐसा क्यूँ किया…हम उस वक्त में खड़ें हैं जब बड़ों व बच्चों दोनों के सामने हमें ही मर्यादा में रहना है…!!!!

   राजीव ने कहा कि तुम सही बोल रही हो रीमा…पता नहीं कैसा वक्त आ गया हैं…!!!!

 “मर्यादा में भी आज और कल का फर्क है…

कल बड़ों के आगे झुकतें थे….

आज बच्चों के सामने झुकना पड़ रहा हैं….!!!!”

#मर्यादा_

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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