लड़के वाले (भाग -10) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

जैसा कि अभी तक आप सबने पढ़ा कि नरेशजी अपने बड़े बेटे उमेश के लिए लड़की शुभ्रा को देखने भुवेश जी के यहाँ आयें हुए हैं… सभी लड़के वालों को शुभ्रा पसंद आ जाती हैं… नरेशजी लड़की वालों को बुलाकर बात करने ही वाले होते हैं तभी उमेश कहता हैं… पापा रुकिये… पहले मैं शुभ्रा को सब कुछ बताना चाहता हूँ… तभी हां कीजियेगा… वीना जी बोलती हैं… ये तो हम भूल ही गए कि हमारा उमेश…

अब आगे…

वीनाजी कहती हैं… हमारा उमेश… तभी उनकी बात काटते हुए नरेशजी कहते हैं ठीक हैं बेटा मैं बुलाता हूँ सबको… तू बात कर ले शुभ्रा से… तभी समीर बाहर जाकर सभी लड़की वालों को अंदर आने को बोलता हैं.. अपने पलंग पर बैठ दादा नारायणजी जी अपना सिन्हासन संभालते हुए कहते हैं… हाँ तो बताओ… हमाई लाली पसंद आयी ना आप सबको… वैसे तो उसे कोई फेल कर ही ना सके हैं…

जी वो उमेश बेटी शुभ्रा से अकेले में कुछ बात करना चाहता हैं.. आप लोग दोनों को कहीं अकेले थोड़ी देर के लिए बात करने के लिए भेज दीजिये .. वीनाजी सकुचाते हुए बोली…

घर के सभी लोग अकेले में लड़का लड़की की बात करने की सुन सन्न पड़ ज़ाते हैं… बड़बोली बुआ बन्नो फिर बोली… शादी के बाद पूरा जीवन बात ही करें हैं खसम लुगाई … जे कोई अच्छा लागे हैं… हमाये घर में ऐसे कभी बातचीत ना करी छोरा छोरी ने ब्याह से पहले .. अभी तो पक्की भी ना हुई… आप बताओ बाऊजी मैं सही बोले हूँ कि नहीं??

बात तो सही कह रही हैं बन्नो… पर जमाना बदल गया हैं… मैं टीवी पर देखे हूँ कि आजकल छोरा छोरी को छत पर अकेले बात करने भेज देवे हैं परिवार वारे … फिर ऊपर से आने पर खुशखबरी ही मिले हैं… नारायण जी बोले… भेज दे 10 मिनट कूँ भुवेश छत पे .. पर बन्नो वहां दूर खड़ी रहवेगी जिससे कोई ऊँच नीच ना हो जावे….

जे सही कहीं … मैं तो पास ना आने दूँगी दोनों को… बस दूर से ही बात कर लेवे….

लड़के वाले मन ही मन सोच रहे कहां चिड़िय़ांघर में आयें हैं उमेश के लिए लड़की देखने… समीर के मन में तो आयी कि बन्नो बुआ से कह दे क्या भईया वहां चूमाचाटी करने जा रहे तुमायी छोरी से…

तभी घर के सदस्यों की इजाजत मिलने पर सबसे आगे उमेश, फिर बन्नो बुआ लास्ट में शुभ्रा धीरे धीरे सीढ़िय़ां चढ़ते हुए छत पर पहुँच गए… बुआ जी खड़ी रही उन्ही के पास … उमेश ने उन्हे घूरा .. बोला.. थोड़ा दूर तो जाईये आप…

हां मेरे सामने बात ना हो पावे… ठीक हैं… दस मिनट बोले हैं बाऊजी… मैं बखत देख रही हूँ…

बन्नो बुआ थोड़ा दूर जाकर खड़ी हो गयी पर उनके कान यहीं थे..

उमेश ने शुभ्रा की तरफ मुस्कुराकर देखा… शुभ्रा भी देखकर मुस्कुरा दी…

जी, कहिये क्या कहना हैं आपको मुझसे… शुभ्रा बोली…

तो आप नौकरी करना चाहती हैं?? ..

जी, पापा ने अपना सब कुछ न्योछावर कर अपनी तीनों बेटियों को पढ़ाया हैं .. तो मेरा भी फर्ज हैं कि मैं उनके कर्ज को चुकाऊँ …

ये तो बहुत अच्छी सोच हैं आपकी… आप अपने पापा से इतना प्यार करती हैं..

जी… मेरा वजूद उनसे हैं ..

देखिये शुभ्रा जी…. मुझे ज्यादा बात करना आता नहीं… मैं सीधा ज़रूरी बात पर आता हूँ जिस वजह से मैने आपको बुलाया हैं…

जी बोलिये… मैं सुन रही हूँ…

शुभ्रा जी…. मैं जब दो साल का था तब एक एक्सीडेंट में मेरे माँ पापा की डेथ हो गयी थी. ..

दूर खड़ी बुआ ज़िंनके कान इधर ही थे. . बाकी बात तो समझ गयी पर डेथ का मतलब नहीं समझ पायी..

फिर ये लोग जो बैठक में बैठे हैं वो कौन है ?? शुभ्रा आश्चर्य से बोली…

जी वो तो वो इंसान हैं ज़िनका कर्ज में चाहूँ तो भी सात जन्मों में भी नहीं उतार सकता…. मैं दो साल का था ….माँ , पापा के जाने के बाद किसी ने मुझे मन्दिर में छोड़ दिया … कुछ दिन वहां रहा… फिर इधर उधर गंदे मैले कपड़े पहन घूमता रहता था… तभी ये जो ज़िन्हे मैं भगवान की तरह पूजता हूँ उनकी नजर मुझ अनाथ पर पड़ी… पहले ही इनके एक बेटी थी… पर मेरे मासूम चेहरे पर इन्हे दया आ गयी… इन्होने मुझसे मेरे माँ बाप के बारे में पूछा. .. मैने बताया कि अब वो इस दुनिया में नहीं हैं… मैं रो पड़ा.. बोला कि माँ मुझे अपने आँचल में ढक दूध पिला रही थी तभी सामने से आतें ट्रक ने माँ पापा को मार दिया … मैं घंटो रोता रहा… कोई मुझे उठा ले गया.. मंदिर छोड़ आया….

यह बात सुन मेरी य़शोदा मईया ने मुझे सीने से चिपका लिया… दोनों लोग मुझे अपने घर ले आयें… मेरी य़शोदा माँ मुझे बिल्कुल मेरी माँ की तरह प्यार करती हैं…. मेरे पापा वो तो अनहोने हैं… जिस चीज पर हाथ रखा मैने छोटे (समीर ) से पहले ,, वो मेरे लिए आयी.. बस य़हीं बताना था आपको शुभ्रा जी .. अब फैसला आपका हैं कि आप मुझ अनाथ से शादी करेंगी य़ा नहीं?? .

तभी शुभ्रा की नजर जिसने अभी तक उमेश को ठीक से नहीं देखा था, उसके चेहरे पर गयी. .. लंबे पतले शरीर का उमेश, गोरा रंग, आँखें बहुत ही निरछल ज़िसमे छल , कपट , मैल कुछ भी नहीं था… एक आर्मी मेन…. जिसने हल्के आसमानी रंग की शर्ट और काले रंग की पैंट पहन रखी थी… शुभ्रा को उमेश बहुत ही मासूम सा , प्यारा सा , जिसके दिल में प्यार ही प्यार हो, ऐसा लड़का लगा… उमेश की ऐसी भावुक बाते सुन शुभ्रा का मन तो हुआ कि उसे गले से लगा ले.. पर ज़जबातों पर काबू रखना पड़ता हैं… शुभ्रा बोली… आपको मैं पसंद हूँ य़ा नहीं?? आप गोरे रंग के, मैं सांवली ,, आप एक सरकारी नौकरी में, मैं , मैं तो कुछ नहीं अभी …

पहले आप बताईये शुभ्रा जी… यह बात जानना मेरे लिए बहुत ज़रूरी हैं… मैं अन्दर से बहुत ऊलझन में हूँ… क्यूँकि मुझे पहली बार कोई लड़की पसंद आयी हैं ज़िसे देख मैने कुछ ही देर में कई ख्वाब बुन लिए… पर अगले ही पल अपनी सच्चाई याद कर सिहर उठा हूँ… आप बताईये ??

शुभ्रा कुछ कहती उससे पहले ही हमारी बन्नो बुआ दहाड़े मारते हुए नीचे जाने लगी… अरे बाऊ जी छोरा तो…..

शुभ्रा और उमेश भी घबराते हुए जल्दी जल्दी नीचे जाने लगे कि आखिर बन्नो बुआ को हुआ क्या …

आगे की कहानी कल…. सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं … बप्पा आपकी और उमेश की सभी मनोकामनायें पूरी करें …

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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