लड़के वाले सीजन -2 (भाग -8) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि उमेश का दोस्त राहुल उमेश को मैडम कामिनी के झूठे इलजाम से बचा लेता हैँ… सभी को मैडम कामिनी की सच्चाई का पता चल जाता हैँ… इधर शुभ्रा के घर वाले उमेश के घर शादी की तारीख तय करने आयें हुए हैँ… पंडित जी सगाई की 16 अक्टूबर और विवाह की 23 नवंबर तारीख शुभ बताते हैँ… सभी लोगों में ख़ुशी की लहर दौड़ ज़ाती हैँ… समीर अपने भाई को मेसेज से डेट बताता हैँ… उमेश बहुत खुश होता हैँ…और शुभ्रा को बताने के लिए उसे फ़ोन लगाता हैँ… दूसरी बार में शुभ्रा फ़ोन उठाती हैँ… उमेश बोलता हैँ… आपको पता है अब आप मेरी….

अब आगे…

आपको पता हैँ अब आप मेरी धर्मपत्नी बनने वाली हैँ.. … हमारी शादी की तारीख फिक्स हो गयी हैँ…

जी अच्छा… कौन सी तारीख बतायी हैँ पंडितजी ने… शुभ्रा अपनी भावनाओं पर संयम रखते हुए बोली…

जी 16 अक्टूबर इंगेजमेंट और 23 नवंबर की शादी हैँ हमारी…

ओह… बस कुछ दिन रह गए हैँ… शुभ्रा की आँखों में आंसू आ ज़ाते हैँ…

जी…. आप तो रोने लगी… मुझे लगा इस बात की ज़ितनी ख़ुशी मुझे हैँ उतनी ही आपको होगी…

जी.. आप नहीं समझेंगे…आपका घर तो नहीं छूट रहा ना .. पर मैं अपना सब कुछ छोड़कर आऊंगी आपके यहां… माँ पापा कैसे रहेंगे मेरे बिना… पापा तो मुझे देखे बिना घर से भी नहीं निकलते और माँ तो अभी से चुपके चुपके रो लेती हैँ और किसी की नजर उन पर पड़ ज़ाती हैँ तो साड़ी से आंसू पोंछ काम में लग जाती हैँ…. शुभ्रा फिर रोने लगती हैँ…

मैने आपको रूलाने के लिए फ़ोन नहीं किया…ये तो मैने सोचा ही नहीं कि ज़िनके साथ आप बचपन से रह रही हैँ एकदम से किसी अंजान के साथ सात फेरें ले उसके चले आना आसान नहीं हैँ….आपका जब मन हो आप अपने मम्मी पापा के घर चली जाया करना… ज्यादा दूर नहीं हैँ…. उमेश शुभ्रा को रोता देख थोड़ा उदास हो गया….

जी… कोई ससुराल वाला नहीं भेजता शादी के बाद… बन्नो बुआ बता रही थी ऐसा…

आपकी बन्नो बुआ तो अजीब ही हैँ…क्या वो नहीं आयी जब हम आयें थे आपको देखने तब… वो भी तो अपने ससुराल से ही आयी थी…आपसे मैं वादा करता हूँ आप जब चाहे तब जा सकती हैँ अपने घर …

शुभ्रा मन ही मन बोली… शादी से पहले सभी ऐसे ही वादे करते हैँ… फिल्मों में देखा हैँ… शादी के बाद सब बदल जातें हैँ…

जी… अच्छा आप सुबह किसी ज़रूरी काम से जा रहे थे… आपने कहा था बाद में बताऊंगा … क्या मैं जान सकती हूँ आप कहां गए थे ?? शुभ्रा बोली…

एक लड़की के साथ डेट थी मेरी…. उमेश मजाकिया अन्दाज में बोला…

तो डेट के सक्सेसफुल होने के लिए आप भगवान से प्रार्थना करने के लिए बोल रहे थे मुझे… शुभ्रा के मन में जलन की भावना जाग गयी थी…

क्यूँ आपको जलन हो रही हैँ… उमेश ने शुभ्रा का मन जानना चाहा…

जी नहीं… पर क्या सच में आप डेट पर गए थे… शुभ्रा दुखी होकर बोली…

जी आपको परेशान तो देख ही नहीं सकता मैं बस वो आपका मूड चेंज करने के लिए कह दिया… बस एक तूफान आया था जीवन में पर आपका प्यार उस पर भारी पड़ गया…

शुभ्रा शर्मा ज़ाती हैँ… आप मजाक भी करते हैँ… पर ऐसा मजाक दुबारा मत कीजियेगा ….

क्यूँ हम आपके हैँ कौन ?? उमेश शरारत भरे लहजे में बोला…

जी तीन बज गए… मैं चलती हूँ…. कल फ़ोन कीजियेगा अब …शुभ्रा शर्मा गयी…और सुनिये अपनी फोटो भी आप भेज देते तो… शुभ्रा सकुचाते हुए बोली…

जी मैं तो अब आपका ही हूँ… आप कहे तो आ जाऊँ आपके पास …. ठीक हैँ जी अभी भेजता हूँ…. उमेश बोलता हैँ…

शुभ्रा बाय बोल फ़ोन काट देती हैँ…

उमेश हवा में अपने बाल संवारते हुए बाइक बढ़ाता हैँ… ये उम्र, जीवन का ये पड़ाव ही कुछ ऐसा होता हैँ कि मन में नई नई ऊमंगे अठखेलियां करती हैँ… मन बस ख्यालों में खोया रहता हैँ… जीवन के इन पलों का खुलकर आनन्द लीजिये …. क्युंकि बाद में तो ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दब आदमी अपनी ज़िन्दगी में बस परिवार की जरूरतों को पूरा करने में गुजार देता हैँ.. जब वो जवानी के दिन याद आतें हैँ तब तक बालों में सफेदी छा ज़ाती हैँ और हाथों में बाइक की जगह लाठी ले लेती हैँ… उमेश और शुभ्रा भी उम्र के सबसे खुशनुमा दौर से गुजर रहे हैँ…

उमेश यूनिट की पार्किंग में बाइक लगा राहुल के पास आता हैँ…

सुन… सर ने मेरे बारें में पूछा तो नहीं कि मैं कहां था सुबह से…

तेरे कामिनी मैडम वाले कांड का सबको पता चल गया हैँ यूनिट में…

क्या सच में??

अरे नहीं यार.. अच्छा ये बता बात हो गयी भाभी से…. वैसे बात कहां तक बढ़ी …. आई लव यू साई लव यू बोला य़ा नहीं तुम दोनों ने…

अरे यार कहां…. अजीब लड़की हैँ…. शादी की बात सुन तो रोने लगी…. वो अपने माँ पापा से बहुत जुड़ी हुई हैँ….. पर उसकी ये बात उसका शरमाना मेरे मन में और जगह और प्यार बढ़ाता जा रहा हैँ… कुल मिलाकर बहुत प्यारी हैँ… ये सब छोड़ ये बता तूने गाड़ी चेक कर ली… कल बड़ी मेस हैँ सब फैमिली को लेने जाना हैँ….

हां बॉस… सब कुछ फिट हैँ… बस तू सर से बोलकर मुझे 5 नंबर वाली गाड़ी में ही भेजना …

तू नहीं सुधरेगा…. वो आंटी हैँ यार दो बच्चों की माँ हैँ…

पता है … पर लगती नहीं… मैं ही नहीं वो आंटी भी मुझे कितने प्यार से देखती हैँ तूने भी तो देखा हैँ… दिल में तो मोहिनी ही हैँ वो तो बस थोड़ा मजाक कर लेता हूँ उनसे…

ठीक हैँ… चल मेस अब… पेट में चूहे कूद रहे हैँ… आज तो स्पेशल खाना बना होगा संडे हैँ… उमेश बोला…. .

हां यार… तेरे कांड के चक्कर में मैने भी कुछ नहीं खाया हैँ…

चल चलते हैँ… पहले पेट पूजा बाद में काम दूजा….राहुल बोला…

दोनों लोग खाना खाने मेस में ज़ाते हैँ….

इधर शुभ्रा के घर सभी लोग उमेश के यहां से शादी की बातचीत कर आ चुके हैँ…

तभी दादा नारायणजी अपने सिन्हासन पर सवार हो बोलते हैँ… सभी घर वाले बातें सुनने के लिए उन्हे घेरकर खड़े हुए हैँ… नारायणजी बोलते हैँ… हमारी शुभ्रा बहुत भागो वाई हैँ… बहुत ऊँचे घराने में ब्याह हैँ रहो हैँ लाली को…. भले ही छोरे वारे कछु ना कहें पर हमें भी उनकी बराबरी के हिसाब से खर्च तो करनो पड़े हैँ… य़ा लिए गाम के चार बीघा साझे के खेत बेचन पड़ेंगे …

यह सुन शुभ्रा की ताई बेहोश होकर गिर ज़ाती हैँ….

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