लड़के वाले (भाग -13) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेशजी और उनके परिवार को अपने बड़े बेटे उमेश के लिए लड़की शुभ्रा पसंद आ चुकी हैं… पर उमेश के अनाथ होने का पता जब लड़की वालों को चलता हैं तो बड़ी असमंजस की स्थिति आन पड़ती हैं कि एक अनाथ लड़के से अपनी बेटी का ब्याह कैसे करें … घर के बड़े बुजूर्ग दादा नारायणजी अपने घर वालों की इस बात पर राय जानने के बाद कहते हैं …. मैने फैसला ले लिया हैं… ज्यादा बखत ना खराब करते हुए सभी लोग बैठक में चलो….

अब आगे…

सभी लड़की वाले बैठक में आ ज़ाते हैं… घर की बहुएं घूंघट की ओट में खड़ी हुई हैं… बुआ बन्नो मन ही मन सोचती हैं… बाऊ जी मेरी बात से सहमत दीखें हैं…. अब तो जे ब्याह होगा नाये….

बुआ अन्दर ही अन्दर गुब्बारा सी फूल रही हैं… उमेश और शुभ्रा की धड़कने बढ़ी हुई हैं…. समीर के चेहरे पर भी अपने भाई को देख चिंता की लकीरें साफ झलक रही हैं…. बाकी नरेशजी, भाई साहब रमेशजी और वीना जी को कोई खास चिंता नहीं हैं क्यूँकि उन्हे अपने बेटे पर गर्व हैं कि यहां नहीं तो कहीं और इससे अच्छे घर में हो ही जायेगा उमेश का रिश्ता ….तभी नारायणजी अपने सिंहासन (पलंग) पर विराजमान होते हैं… नारायण जी पालथी मारकर बैठे हुए हैं.. अपने दोनों हाथों को मोड़कर वो कहते हैं… मैं घर का मुखिया नारायण मिश्रा घरवारों की बातों और तर्क वितर्क सुनने के बाद एक फैसला लेकर आया हूँ…

समीर सोचा.. बुढ़ऊँ ख्ड़ूँस हैं… कुछ उल्टा सीधा ही बोलेगा…

उमेश के ताऊ रमेशजी बोलते हैं.. हां तो कहिये नारायणजी… आप क्या कहना चाहते हैं…

हां तो नरेशजी आप मेई दहेज वाई बात पर कुछ गाड़ी का बोल रहे थे… तो पहले आप अपनी दहेज की बात पूरी करो…. तब मैं अपनों फैसलो सुनाऊँ …

नारायण जी की यह बात सुन उमेश और समीर सोचे… दहेज आ गया बीच में अब तो हो गया बँटाधार … शादी चाहकर भी ना हो पायेगी….

बेचारा उमेश अपने दोनों हाथों को मोड़कर सर नीचे करके बैठा रहा क्युंकि दरवाजें के पीछे खड़ी शुभ्रा से वो नजर नहीं मिला पा रहा था… . तभी नरेशजी लड़के वाले होने का रूतबा दिखाते हुए बोले… देखिये नारायण जी मुझे घुमा फिराकर बात करना पसंद नहीं.. मेरे घर में एक छोटी गाड़ी हैं… पर बहू के आने के बाद आवाजाही बढ़ेगी .. सदस्य बढ़ेंगे तो इस छोटी गाड़ी से काम चलना मुश्किल होगा …. इसलिये हम शादी पर एक बड़ी गाड़ी लेंगे ….

ये तो मुश्किल हैं… भाई साहब … तीन बेटियों का बाप हूँ… इतना नहीं हैं मेरे पास देने को… भुवेश जी बोले…

बन्नो बुआ शुभ्रा की माँ बबिता को टोहनी मारकर बोली… देख लो… बड़ी गाड़ी मांगे हैं छोरे वाले मुंह खोल के … आजतक तो किसी के ब्याह में गाड़ी ना दी गयी अब ये बिन माँ बाप के छोरे को देनी पड़े हैं…

बबिता जी भी नरेशजी की गाड़ी की बात सुन थोड़ा दुखी हुई…

उधर शुभ्रा भी उमेश को घूरकर देख रही जैसा कहना चाह रही हो समझा नहीं सकते अपने पापा को.. बेचारे मेरे अपाहिज पापा पर गाड़ी लायक इतना पैसा कहां से आयेगा… थोड़ा तो दिमाग से सोचो…

बेचारा उमेश भी भुवेश जी की मजबूरी समझ रहा था… पर पिता के आगे उसकी कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं थी.. उसने बस एक नजर उठाकर शुभ्रा को देखा फिर अपनी पलकें झुका ली…

तो फिर जे रिश्ता नामुमकिन सो हैं… वैसे जे बड़ी गाड़ी कितने की आवे हैं?? दादा नारायण जी बोले…

य़हीं कोई 13-14 लाख की… ताऊ रमेशजी बोले…

फिर तो रिश्ता ना हो पावे रमेशजी ..

अरे अरे नारायण जी…. किसी फैसले पर पहुँचने से पहले मेरी पूरी बात तो सुन लीजिये … मैने ये ज़रूर कहां कि हमें बड़ी गाड़ी लेनी हैं पर ये कब कहां कि आपसे लेनी हैं… नरेशजी बोले…

तो का कहना चाहे हैं आप समझ ना आयी… शुभ्रा के ताऊ जी बोले…

जी उमेश हमारा गोद लिया लड़का हैं…. ये रिश्तेदारी में सब जाने हैं… अगर हमने समाज में दिखाया कि हम शादी में कुछ भी नहीं ले रहे छोरी वालों से तो सभी सोचेंगे कि खुद का बेटा नहीं था इसलिये ऐसे ही घर की लड़की ले आयें होंगे… समाज में आपका भी मान सम्मान बना रहे और हमारा भी.. इसलिये…

ऐसी अनोखी बात सुनने के लिए बन्नो बुआ नरेशजी के बगल में ही आकर खड़ी हो गयी…

हां तो आप का कह रहे… बड़बोली बुआ फिर बोली…

जी यहीं कि गाड़ी और बाकी सब सामान हम लेंगे बाकी शादी में भी जो सहयोग की ज़रूरत होगी आपको हम करेंगे… पर व्यवस्था और इंतजाम सब एवन हो . .. क्युंकि समाज में हमारी पद प्रतिष्ठा हैं.. इसलिये आप लोग ऐसे दिखाईयेगा जैसे सब आप लोगों ने किया हैं… बस यहीं दहेज चाहिए मुझे कि आप बस इतना झूठ बोल दे…

नरेशजी की यह बात सुन रमेश जी पर रहा ना गया… वाह छोटे तूने तो दिल जीत लिया… मुझे तो लगा पता नहीं क्या क्या मांग करेगा तू ..

तभी शुभ्रा के ताऊजी बोले.. . अगर बखत पर आप मुखर गए तो हम कहां से पैसा लायेंगे… हमाई नाक ना कट जायें … आप जैसे पैसे वाले ना सही हम,,पर मान सम्मान हमारा भी हैं…

तभी समीर बीच में टपक पड़ा … बोला… इतना विश्वास नहीं हैं अंकलजी ,,तो एक सौ रूपये वाले स्टैंम्प पेपर पर लिखवा लीजियेगा …

ताऊ जी बोले.. ये सही रही…. नरेशजी के मुंह से यह सुन सभी लड़की वाले मन ही मन खुश हुए कि भई वाह… पहली बार ऐसे लड़के वालों से मिले हैं जो खुद दहेज देंगे….

तभी नारायण जी जो काफी देर से सब लोगों की वार्तालाप सुन रहे थे तेज दहाड़ती आवाज में बोले… तो फिर ठीक हैं… मैं भी पुरानी लाठी हूँ… इतना इंतजाम रखता हूँ कि अपनी लाली के ब्याह में कुछ दे पाऊँ ….. शादी को सारो खर्च मैं करूँगा… पर एक बात हैं….पर उसके पहले एक बात कि हामी भरनी होगी आप सब को….

जी क्या …..

आगे का और अंतिम भाग कल…..

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

लड़के वाले (भाग -12)

लड़के वाले भाग 14 

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