कुयें की बेटी कहानी –   

मीनू ने जैसे ही तीसरी बेटी को जन्म दिया घर में कोहराम मच गया। उसका पति सोमेश तो उसे मार ही देता अगर उसकी सास शन्नो देवी ने उसे  छुड़वाया  न होता ।वह सोमेश से बोली,” जेल में जाएगा और पता नहीं कितने सालों की जेल हो जाए। तू इसको छोड़, मैं देखती हूं। इसका क्या करना है?”

सास भी पूरा दिन मीनू को बुरा भला कहती रही। रात होते ही शन्नो देवी ने मीनू से कहा, ” अगर तुम इस घर में रहना चाहती हो तो इस लड़की को किसी कुएं में डाल आ ,नहीं तो इस लड़की के साथ तू भी निकल जा । इस घर में इस लड़की के साथ तेरे लिए कोई जगह नहीं ।”

मीनू अपनी बेटी को कलेजे से लगाए घर से निकली। ठंड से उसके दांत बज रहे थे । कलेजे के टुकड़े का क्या करें उसे समझ नहीं आ रहा था। एक बार सोचा इसको लेकर कहीं दूर निकल जाती हूं। फिर पीछे छोड़ी दो बेटियां याद आ गई।  उसके बिना उनका क्या होगा । फिर दृढ संकल्प करके एक निर्णय लिया और उसे पूरा करके घर लौट आई।

सास ने अकेली मीनू को देखा तो घर के अंदर आने दिया। अब सास ने कहना शुरू कर दिया कि साल के अंदर अंदर अगर मुझे पोता नहीं दिया तो इन दोनों पत्थरों (दोनों  बड़ी बेटियां ) को लेकर इस घर से दफा हो जाना। मैं अपने बेटे की दूसरी शादी कर लूंगी ।मीनू के मायके में भी उसे रखने वाला कोई नहीं था। मां बाप दुनिया से जा चुके थे। भाभी


और भाइयों की अपनी गृहस्थी थी। वहां जाने का तो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी। ज्यादा पढ़ी लिखी भी नही थी कि कोई नोकरी कर ले। बस अब उसने दोनों टाइम भगवान से प्रार्थना करनी शुरू कर दी कि प्रभु एक लड़का दे दे जैसा भी हो ।बस मैं उसके कारण इस घर में बस जाऊंगी। भगवान ने सुनी और साल में वह बेटे की मां बन गई। घर में खुशियों की बरात सी आ गई। सास ने दिल खोलकर बेटियों को सूट, साड़ीया और गहना दिया और पूरे गांव में लड्डू बांटे। सोमा ने दिल खोलकर पूरे गांव में  लोगों को  दारू पिलाई।

सोमा और उसकी मां शन्नो देवी के पैर खुशी के मारे जमीन पर नहीं पड रहे थे। शन्नो देवी ने पोते का नाम मोनू रखा। मेरा मुन्ना मेरा मुन्ना मेरा मोनू सारा दिन सासू उसे अपनी गोद में लेकर खिलाती रहती और ढेरों ढेरों खुशी उसकी आंखों से टपकती साफ दिखाई देती।

समय पंख लगा कर उड़ने लगा । मोनू जैसे जैसे बड़ा होता गया उसकी आदतें बिगड़ती गई। बाप और दादी के लाड ने उसे कहीं का नहीं छोड़ा । रोज उसके स्कूल से और अड़ोस पड़ोस से उलाहने आने लगे ।दादी भी अब तो उससे तंग आ गई ।घर में तोड़फोड़ करना, पैसे चुरा कर ले जाना, सब बड़ों के आगे जुबान चलाना मोनू की रोज की बात हो गई थी।

दूसरी तरफ मीनू की दोनों लड़कियां दादी की जुबान में पत्थर पढ़ाई भी करती और घर का काम भी करवाती । सुबह जल्दी उठकर पशुओं का सारा काम करती, फिर स्कूल जाती , आकर अपनी माँ के साथ सारा घर का काम करवाती।खाने को मिलती सूखी रोटियां। घर का दूध , घी तो मोनू, सोमा और शन्नो देवी के लिए ही था बस। तब भी दोनों बेटियां दादी की खूब सेवा करती। उसके सिर में तेल लगाना, गर्म गर्म रोटी खिलाना, रात को दादी को ज्यादा खाँसी होती तो शहद चाटने को देती, कभी चाय बना कर पिलाती।

वो इस तरफ ध्यान नही देती थी कि दादी उनके और उनकी माँ के साथ इतना भेदभाव और दुर्व्यवहार करती है। उन्हें तो अपनी माँ की एक ही बात याद रहती थी जो वो हमेशा उन्हें कहती थी कि मेरी बच्चियों तुम्हें पढ़ लिख कर अपने पैरों पर खड़े होना है।ताकि मेरे जैसा तुम्हारा जीवन न हो। दूसरी तरफ मोनू देर से उठता और ढेरों मक्खन खाकर और दूध पीकर स्कूल के लिए निकलता। फिर वो रास्ते में ही रह जाता , स्कूल तो पहुँचता ही नही था। धीरे धीरे मोनू नशा करने वाले लड़कों के साथ दूर नहर के किनारे बैठने लग गया ।

घर में देर से आना एक आम बात हो गई थी। दोनों बड़ी बहने चुपके से उसे दरवाजा खोलती और उसे खाना देकर कहती सो जा चुपचाप। जब थोड़ी ठीक हालत में होता और उसका मूड दोनों बहनों को थोड़ा अच्छा लगता तो मोनू को समझाने की कोशिश करती। पर सब बेकार। दिन और बीते मोनू पूरी तरह से नशेड़ी हो गया । अब वह नशा बेचने भी लगा था और कई कई दिन उन्हीं लोगों के साथ रहने लगा।


          एक दिन गांव में ए एस पी खुद आई। धड़धड़ कई गाड़ियां शन्नो देवी के घर के बाहर आकर रुक गई। पुलिस मोनू और उसके दूसरे साथियों को पकड़ कर ले जाने लगी। मोनू की दादी, पिता, मां सारा गांव इकट्ठा हो गया। सब उन्हें छोड़ने के लिए मिन्नतें कर रहे थे। पर ए एस पी यंग लड़की नीरा टस से मस नहीं हुई। कहने लगी ,” बहुत दिनों से इस गिरोह की शिकायतें मिल रही थी ।पूरे इलाके के जवानों को इन्होंने नशेड़ी बना दिया। मैंने नशे के विरुद्ध मुहिम छेड़ी है । जल्द ही इस इलाके को नशा मुक्त बना दूंगी।”

मीना ने नीरा के मुंह से जैसे ही यह सुना तो एकदम बोली, ” बेटी यह मोनू तेरा भाई है, कुछ ऐसा कर कि इसकी बुरी आदतें छूट जाए। यह अच्छा इंसान बन जाए। पर इसे जेल में मत डाल ।”

          मीनू की सास शन्नो देवी एकदम बोली ,”इस पुलिस वाली का मोनू कैसे भाई है? क्या कहीं और भी मुंह काला करती रही है हमारी पीठ पीछे।”  

        “माँ जी यह वही कुँए की बेटी है यानी आप की तीसरी  पोती,  जिसको आपने कुएं में डाल आने का आदेश दिया था। मैं इसे मास्टरनी अंजू के दरवाजे पर छोड़ कर,  छुप गई। जब इसे मास्टरनी जी ने उठा लिया तो घर लौट आई क्योंकि अब वह सुरक्षित हाथों में जा चुकी थी। जब भी शहर जाती , इसको दूर से देख आती और खोज खबर ले आती कि क्या कर रही है। आज आप द्वारा फेंकी पोती आपके लाडले  बिगड़े पोते को पकड़ने आई है।” मीनू ने सब विस्तार से बताया।

          मीना की सास और पति कुछ बोल नहीं पा रहे थे। सब गांव वाले और पुलिस वाले हैरान थे। नीरा बड़ी अजीब सी स्थिति में थी। इतने में अंजू मास्टरनी वहां पहुंच गई।  उसने कहा,” मीनू जो कह रही है वह सब सच है। मुझे जैसे ही दरवाजे पर नीरा मिली थी। मैंने आसपास के इलाके से पता करवाया कि किसके घर बच्ची पैदा हुई है तो पता चला,

मीनू के लड़की पैदा हुई थी वह रात को मर गई सुबह घर वाले उसे दफना आए। मैं सारा किस्सा समझ गई। मीनू अपने कलेजे के टुकड़े को मार नहीं सकी। वह एक आस के साथ मेरे दरवाजे पर अपनी लाड़ली को छोड़ गई। मैंने भी मीनू को कुछ नहीं बताया की मुझे पता चल गया है कि मेरे दरवाजे पर बच्ची को तुम छोड़ कर गई हो, न हीं कभी नीरा को कुछ बताया।


मैं सही और उपयुक्त समय का इंतजार कर रही थी । पर मीनू और उसके परिवार पर हमेशा नजर रखी ।आज नीरा ने बताया कि गांव में नशेड़ियों को पकड़ने जा रही हूं। तो मैं समझ गई। इसलिए मैं पीछे पीछे आ गई कि अब सच बताने का सही समय आ गया।”यह तोआपने कमाल कर दिया मास्टरनी जी।” सब गांव वाले एक साथ बोले।

” कमाल मैंने नहीं, मीनू ने किया मेरे पास बच्ची छोड़कर, नीरा ने किया इतनी बड़ी ऑफिसर बन कर।” फिर मीनू की सास से बोली, ” “आपने अपनी पोती को तो कुएं में फेंकने को कहा और पोते को दुनिया भर के लाड लड़ा लड़ा कर बिगाड़ दिया। जब तक आप जैसी महिलाएं बेटियों की कद्र  नहीं करेंगी और बेटों को अनुशासन में रहना नहीं सिखाएगी तब तक यूं ही समाज में अव्यवस्था का आलम बना रहेगा। बेटियां यूँही मरती और दुखी होती रहेगी। “

मीनू की सास और पति दोनों हाथ जोड़कर कह रहे थे, ” हमें माफ कर दो, हमने बहुत बड़ा पाप किया है।”

” माफी मुझसे नहीं मीनू और अपनी बेटी नीरा से मांगो। तुम्हारे अन्याय के कारण मां बेटी अलग हुई।” अंजू ने थोड़ा गुस्से में कहा ।

नीरा अंजू के पास आकर खड़ी हो गई। मीनू के कदम भी अपनी बेटी की तरफ बढ़े। अंजू ने  नीरा का हाथ मीनू के हाथ में थमाते हुए कहा,”मीनू अपनी अमानत संभाल ।”

मीनू की सास, पति और बेटे की गर्दने  शर्म से झुकी हुई थी और मीनू की ममता अपनी बेटी को गले लगाने को मन मे हिलोरें मार रही थी जो वर्षों से उसने दबा के रखी हुई थी पर उसकी आंखों में खुशी और गर्व के आंसू थे।

डॉ अंजना गर्ग

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