“खोखले बन्धन” – कविता भड़ाना

“सिया” एक छोटे शहर की, बेहद खूबसूरत लेकिन बहुत महत्वाकांक्षी लड़की है। मध्यमवर्गीय परिवार की होने के कारण कमी तो किसी चीज़ की नहीं थी, पर सब कुछ सीमित मात्रा में ही मिल पाता था। परिवार में मम्मी पापा के अलावा एक बड़ा भाई ही है, तो लाडली भी बहुत है, सुंदर इतनी की रिश्तेदारों से लेकर स्कूल कॉलेज सब जगह चर्चे।

सिया हमेशा से ही एक सुंदर से राजकुमार के सपने देखती रही है, उसे अपनी सुन्दरता का घमंड भी बहुत है। सिया के कॉलेज में ही एक लड़का “दिनेश”हैं। अच्छे रईस खानदान का, साधारण सी शक्ल सूरत वाला, सीधा सा लड़का है, जोकि सिया को मन ही मन बहुत प्यार करने लगा था।

एक दिन हिम्मत करके उसने अपने प्यार का इज़हार सिया से कर दिया तो सिया ने पूरे कॉलेज के सामने दिनेश को बेइज्जत किया, उसे बदसूरत कहा और मजाक उड़ाते हुए कहा कि अपनी शक्ल भी देखी है कभी आईने में, तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरे जैसी खूबसूरत लड़की के बारे में सोचने की भी।।।। बेचारा दिनेश इतना अपमान सह ना सका और कॉलेज छोड़ दिया।।।इधर सिया के लिए रिश्ते भी बहुत आ रहे थे पर कोई भी उसकी पसंद का नही था।

फिर एक दिन उसके कॉलेज में “पंकज”नाम का लड़का आया, दिखने में हीरो जैसा पंकज, जब अपनी बड़ी सी कार में आया तो सभी लड़कियां उसे देखती ही रह गई।

सिया भी उसे देखते ही अपना दिल हार बैठी और खुद ही पहल करके दोस्ती का हाथ आगे बढाया। पंकज तो सिया को देखते ही उसका दीवाना हो गया, फिर भला इतनी सुंदर लड़की को कैसे मना करता और फॉरन सिया का हाथ थाम लिया। बस फिर क्या अब तो दोनो का कॉलेज में सारा दिन साथ ही गुजरता और कॉलेज के बाद भी दोनो अधिकतर साथ ही होते। छोटे शहरों में ऐसी बातें छुपती नही है और जल्दी ही दोनो के मिलने की खबर सिया के घरवालों को भी पता चल गई बहुत समझने पर भी दोनो ने मिलना नहीं छोड़ा तब एक दिन सिया के घर के सामने चार गाड़ी खड़ी देख मुहल्लो वालो में खुसर फुसर होने लगी, तभी किसी ने बताया कि शहर के सबसे बड़े सेठ “दीनानाथ “जी अपने बेटे पंकज के लिए सिया का हाथ मांगने आए है।



सगाई की रस्म के दौरान सिया ने देखा की दिनेश भी वहा मौजूद है, पता चला की पंकज और दिनेश दोनो चचेरे भाई है। खेर सिया तो बहुत खुश थी, आखिर उसके सपनों का राजकुमार उसे मिल ही गया था ऊपर से इतने अमीर खानदान से। सगाई के दौरान दिनेश ने सिया को शुभकामनाएं दी और पूछा “क्या तुम पंकज को अच्छे से जानने के बाद ही विवाह कर रही हों ना?… क्योंकि तुम्हे तो सिर्फ सुंदरता पसंद है।… सिया एक पल को चौंकी की दिनेश आखिर कहना क्या चाहता है, फिर उसने अपने राजकुमार की तरफ देखा और दिनेश की बात पर ध्यान ना देकर सगाई की रस्म पूरी की, और 15दिन बाद बहुत धूमधाम से शहर के सबसे अमीर खानदान की बहु बन गई।

सुहागरात में फूलों की सेज पर बैठी सिया अपने नए जीवन की शुरूआत के बारे में सोच कर ही रोमांचित हो रही थी की तभी पंकज ने कमरे में प्रवेश किया,उसके हाथ में एक बड़ा सा लाल रंग का डब्बा था, जो उसने सिया को मुंहदिखाई में दिया। सिया की आंखें फटी रह गई जब उसने देखा कि डब्बे में हीरो का हार जगमगा रहा हैं और मारे खुशी के पंकज के गले लग गई। पंकज कपड़े बदलने लगा और सिया हीरो का हार देख देख कर खुशी से फूली नहीं समा रही थी की उसने कपड़े बदलते हुए पंकज को देखा और सदमे में आ गई जब देखा की छाती से लेकर दोनो पैरो तक और दोनो हाथ कोहनियों तक , सारा बदन ” सफेद दागों “से भरा हुआ है।…… सिया को वितृष्णा सी होने लगी और आंखों से झर झर आंसु बहने लगे। इतने बड़े फरेब के बाद, कैसे इस “खोखले बंधन” को निभा पायेगी और सोचते हुए बेहोश हो गई।….

 

स्वरचित काल्पनिक रचना

कविता भड़ाना

 

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