किसान का कर्ज़ – विभा गुप्ता

 अविनाश कृषि महाविद्यालय में प्रोफ़ेसर थें।पढ़ाने के बाद उन्हें जो भी समय मिलता,उसमें वे आसपास के गाँवों में जाकर वहाँ के किसानों को उन्नत खेती करने के तरीके बताते थें,साथ ही,उपज बढ़ाने और बीज-मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार कैसे की जाए, की जानकारी भी उन्हें देते थे।

      एक बार ‘कृषि में नई तकनीकि’ विषय पर हो रहे एक  सेमिनार को अटेंड करने उन्हें कृषि विश्वविद्यालय,सबौर जाना पड़ा।सेमिनार के दूसरे दिन फ़ाइनल ईयर के विद्यार्थियों के साथ उनकी मीटिंग थी।सभी विद्यार्थी उनसे कृषि के बारे नई-नई जानकारियाँ हासिल कर रहें थें, कुछ विद्यार्थी अपने डाउट्स भी क्लियर भी करते जा रहें थें।

         प्रोफ़ेसर अविनाश उन्हें बता रहें थें कि हमारे किसान हम सबका पेट भरने के लिए कितनी कड़ी मेहनत करते हैं।धूप-बारिश सहकर हमारे लिए अनाज उपजाते हैं।हमें उनका एहसान मानना चाहिए।हम भूखे न रहे,इसके लिए वे स्वयं भूखे रहते हैं और प्रकृति की मार सहते हुए दिन-रात मेहनत करते हैं।हम सब ताउम्र उनके कर्ज़दार रहेंगे।आप लोगों को अपनी पढ़ाई के साथ-साथ किसान भाईयों की सम…, तभी विनय नाम के एक विद्यार्थी ने प्रश्न पूछने के लिए अपना हाथ ऊपर किया।

 ”  कोई प्रश्न पूछना चाहते हो?”

     ” जी सर”

        “पूछिये “

  ” सर, हम किसानों को अच्छी खेती करने की कितने भी उपाय बता दें लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या तो पूँजी न होने की है।दिनोंदिन बीज-खाद की कीमतें बढ़ रहीं है,ऊपर से बेमौसम की बरसात तो कभी अकाल जिसके कारण वे कर्ज़ के भारी बोझ तले दबे हुए हैं।पिछले कुछ सालों में कितने ही किसान भाईयों ने आत्महत्या भी की हैं।बेहद दुख की बात है सर कि हमारे अन्नदाताओं को भूखे रहना पड़ता है, आत्महत्या करनी पड़ती है।मैं भी एक कृषक परिवार से संबंध रखता हूँ।मेरे मामा ने बैंक से कर्ज़ लिया था लेकिन फ़सल बर्बाद हो जाने के कारण वे रकम नहीं लौटा पाये।आर्थिक तंगी और शर्मिंदगी के कारण पिछले साल उनके पूरे परिवार ने आत्महत्या कर ली थी।




         सर, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जो किसान कर्ज़ अदायगी में असमर्थ हैं, उनके कर्ज़ माफ़ कर दिये जायें।”कहते हुए उसने अपने दोनों साथ जोड़ लिए,उसकी आँखों से अश्रुधारा बह निकली।

      विनय के प्रश्न ने प्रोफ़ेसर अविनाश को अंदर तक झकझोर दिया।उस रात उन्हें नींद नहीं आई, विनय का प्रश्न उन्हें व्यथित कर रहा था।वापस आकर उन्होंने किसानों के कर्ज़ माफ़ी के लिए बहुत भाग-दौड़ की,सरकारी दफ़्तरों के महीनों चक्कर लगाये और तब जाकर उन्हें अपने जिले के अंदर आने वाले गाँवों के दस किसानों के कर्ज़ माफ़ कराने में सफलता मिली।राह आसान तो नहीं थी लेकिन अच्छी नीयत और पूरी लगन से किये गये कार्य में तो भगवान भी साथ देते हैं।

       उन्होंने विनय को फ़ोन करके खुशखबरी सुनाई और ये भी कहा कि ये तो अभी शुरुआत है,बाकी किसानों को भी न्याय दिलाने का मेरा प्रयास जारी रहेगा।

                                -विभा गुप्ता

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