खुशनसीब पिता – गुरविंदर टूटेजा

राजीव की पत्नी को गुजरे दो साल हो गये थे वो मान नहीं रहे थे पर माँ व दीदी ने पीछे पड़कर दूसरी शादी करा ही दी…रीमा जब उनकी पत्नी बनकर आयी तो साथ में चार साल का बेटा वंश भी लाई…!!!!

   उसने पहले दिन ही एक शर्त राजीव के सामने रखी कि वो अब दूसरी औलाद नहीं करेगी….माँ इंतजार करते-करते चल बसी व दीदी ने भी बोलना बंद कर दिया था…धीरे-धीरे सब नार्मल हो गया…!!!!

दोनो का स्वभाव बहुत एक जैसा था मिलनसार व पूजा-पाठ में भी बहुत अच्छा मन लगता था…राजीव को भी वंश से बहुत प्यार हो गया…!!

आज वो दोनों वंश का स्कूल में एडमिशन कराने गए…तो पहले मम्मी का नाम पूछा तो उसने नाम बताया फिर पापा का नाम पूछा तो वो बोला कि…राजीव सिन्हा मेरे अपने पापा हैं तो उसका जवाब सुनकर राजीव की आँखों मेें आँसू आ गए…!!!!

   वंश पढ़ाई व खेलकूद दोनों में ही बहुत अच्छा था…जब भी वो जीत कर आता तो सबसे ज्यादा खुश होता था उनका बहुत प्यारा सा खुशहाल परिवार बन गया थी पर लोगों की तो आदत होती है बात करना…कुछ भी हो तो यही कि उनकी अपनी औलाद थोड़ी हैं…!!!!

 वक्त बीतता गया आज वंश की नौकरी  बहुत अच्छी कंपनी में लग गयी और उसे नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ा तो राजीव को बहुत बुरा लग रहा था…फिर कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया तो वर्क फ्राम होम था इसलिए वंश भी घर आ गया…!!!!




     धीरे-धीरे सब ठीक हो गया दूसरा लॉकडाउन भी खत्म हो गया अब कंपनी वाले वर्क फ्राम होम खत्म कर सबकों वापस बुला रहें थे वंश को भी जाना था पर अभी एक महीने बाद बुलाया था…!!!!

  सब काम रूटीन में होने लगा था पर वक्त कह कर नहीं आता राजीव व रीमा एक बार कही गयें तो खाना खाते-खाते ही बी.पी. बढ़ जाने की वजह से एकदम जबरदस्त ब्रेनस्ट्रोक आया और राजीव वही बेहोश हो गयें…सब समाज वाले वही थे फटाफट हॉस्पिटल ले गए…!!!!

  वंश भी घर से हॉस्पिटल आ गया पहले तो पापा को देखकर घबरा गया पर फिर उसने हिम्मत करके डॉ० से बात करके पूरी कंडिशन समझी और पहचान की एक डा० हर बार पूरा समझता था वो पूरा ध्यान रख था…!!!!

उनकी एक सर्जरी भी हुई कंडिशन बहुत क्रिटिकल थी…पर कहते हैं ना उनका पूजा-पाठ काम आ गया चार महीने लगे उन्हें घर आने में पैरालाइजड था एक तरफ का हिस्सा एक लड़का रखा दिन भर के लिए व फिजियोथेरेपी भी चालू करवा दी…!!!!

  रीमा व वंश दोनों  बहुत सेवा करते थें दिन-रात एक कर दिए…वंश ने बात करके अपना वर्क फ्राम होम ही चालू रखा….सच तो ये था कि जी जान लगा  दी जो पहले कहते थे कि अपनी औलाद थोड़ी है वो ही आज उसकी तारीफ करतें नही थक रहें थे…!!!!




   धीरे-धीरे आराम आ रहा था अब उन्होंने जो लड़का रखा था उसको हटा दिया जब थोड़े ठीक हुए तो सब पीछे पड़ गये कि शादी कर ले तो वहाँ भी उसकी जिद्द की जब तक पापा खुद चलकर साथ नहीं जायेंगे तब तक शादी नहीं करूँगा….!!!!

  आज खुशियों ने दस्तक दी है वंश दूल्हा बना हैं मम्मी-पापा दोनों आशीर्वाद देने स्टेज पर आये तो आगे बढ़कर उसने पापा का हाथ थाम लिया तो राजीव ने दोनों के हाथ ऊपर उठाकर बोला कि और क्या चाहिए आज मेरे बेटे के हाथ में मेरा हाथ हैं मैं आज यहाँ खड़ा हूँ तो रीमा व इसकी वजह से मुझसे ज्यादा खुशनसीब पिता शायद ही कोई होगा…उनकी आँखों में खुशी के आँसू थे…!!!!

खुशनसीब होतें है वो माँ-बाप….

जिन्हें बच्चों का साथ मिलता हैं…!!!!

हाथ तो वो हर कदम पकड़ते है बच्चों का….

क्या कहनेे उनकी खुशी के….

जब उनकी जरूरत में बच्चों का हाथ उनके हाथ में मिलता हैं…!!!!

#औलाद

मौलिक व स्वरचित 

गुरविंदर टूटेजा 

उज्जैन (म.प्र.)

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