खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 2) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : यहां प्रिया भी राज से मिलने के लिए बेकरार थी !! एक दिन रमेश के घर पर ना होने पर प्रिया घर से अपनी सहेली का बहाना बनाकर राज से मिलने पहुंची और बोली राज मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती , हमें भागकर शादी करनी होगी वर्ना मेरे घरवाले मेरी कहीं ओर शादी करवा देंगे !!

राज भी प्रिया को उसी पल अपने साथ लेकर भाग गया , सारी मदद दोस्तों ने कर दी और थोडे दिन बाद दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली !! राज के घरवालों ने तो प्रिया को अपना लिया मगर रमेश ने अपने माता पिता को प्रिया से सारे रिश्ते तोड़ने कहा और बोला आज से प्रिया से हमारा कोई रिश्ता नहीं , इस लड़की ने हमारे खानदान का नाम मिटटी में मिला दिया !! प्रिया ने अपने पापा मम्मी से बीच में बात करने की कोशिश की थी मगर वे बोले बेटा रमेश को पता चला तो वह तुम्हे और राज को जिंदा नहीं छोडेगा , भगवान करें राज तुम्हे बहुत खुश रखें , बस वह आखरी बात थी प्रिया की उसके मम्मी पापा के साथ और उसके बाद आज मां का यह कॉल कि बेटा , दो दिन बाद पापा की तेरहवी हैं तु हो सके तो आजा और वह भी इतना बोलकर फोन कट गया , फिर प्रिया ने तीन चार बार वापस फोन ट्राय किया मगर फोन बंद दिखाने लगा !!

मैम कॉफी , इयर होस्टेज की आवाज से प्रिया वर्तमान में लौटी !!

प्रिया बोली नो थैंक यूं , प्रिया का कुछ खाने पीने का मन नहीं था , उसे तो बस अपने मां पापा की याद सता रही थी !!

इंडिया के एयरपोर्ट पहुंची तो राज का भाई प्रकाश प्रिया को लेने आ पहुंचा था !!

प्रिया प्रकाश को देखकर बोली भैया , माफ किजिएगा मैं अभी आपके साथ घर नहीं आ पाऊंगी , मेरे पापा नहीं रहे , मुझे मायके की बहुत याद आ रही हैं इसलिए मैं पहले वहां जाना चाहती हुं !!

प्रकाश बोला जैसी आपकी मर्जी भाभी !!

प्रिया ने कैब की और अपने मायके के लिए रवाना हो गई !! कैब रफ्तार से चली जा रही थी और प्रिया की आंखों में नमी बढ़ती जा रही थी , लो आ गया प्रिया के मायके का शहर और मायके की गली भी !!

वह चंदू चाचा की श्रृंगार की दुकान आज भी वहीं हैं , बगल में किशोर अंकल की किराने की दुकान , यहीं पर तो आती थी प्रिया , भले घर का कुछ भी राशन का सामान हो , किशोर अंकल के पास मां एक डायरी रखा करती थी , जिसमें अंकल हमारे घर का सारा सामान लिख दिया करते थे और ऐसी ही एक डायरी मां के पास भी होती थी , फिर महिने के अंत में सारा हिसाब किताब होता था !! सारी स्मृतियां प्रिया की आंखों के सामने घूम रही थी , उतने में बनवारी काका की मिठाई की दुकान दिखी जहां की मिठाई बहुत स्वादिष्ट हुआ करती थी , कोई भी मेहमान आने पर पिताजी यहीं से मिठाई लाया करते थे , सोचते सोचते प्रिया की आंख भर आई और प्रिया का मायका आ गया !! बाहर से मकान का नक्शा बदला बदला सा लगा , शायद काम करवाया होगा सोचकर प्रिया ने कैब वाले को पैसे दिए और नीचे उतरी !!

दरवाजे की घंटी बजाने हाथ उठे तो देखा दरवाजा थोड़ा खुला था , जैसे ही दरवाजा खोला सामने एक औरत मां पर चिल्ला रही थी बुढिया तुझे पालने के लिए नहीं बैठी हुं मैं जो तुझे दो वक्त खाना दुं , तेरा पति तो सब बेटी के नाम कर गया , तेरी बेटी आ रही हैं या नहीं , तुने उसे बोला तो हैं ना आने को , वह औरत रमेश की पत्नी  लग रही थी !! दूसरी तरफ रमेश बोला हां इस बार तो आना ही होगा उसे मैंने मां से बात करवाकर तुरंत फोन भी कट कर दिया था ताकि उसे शक ना हो , मुझे जमीन- जायदाद चाहिए मां कहे देता हुं , अब प्रिया से सब लेकर तुझे मेरे नाम करवाना हैं समझी !!

प्रिया यह सारी बातें सुन हैरान थी , उसे समझ नहीं आ रहा था कि किस जमीन जायदाद की बात चल रही हैं और मां का ऐसा हाल देखकर तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई थी !!

उतने में बनवारी काका ने उसे बाहर देखा और पास आकर बोले प्रिया कैसी हो बेटा तुम ??

प्रिया ने झट से बनवारी काका के पांव छुए और बोली ठीक हुं काका आप कैसे हैं ??

बनवारी काका बोले तु चल जरा मेरे साथ मेरी दुकान पर बैठ तुझे कुछ बात बतानी हैं !! प्रिया भी उनके साथ उनकी दुकान पर चली गई !!

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खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 3) : Moral Stories in Hindi

खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 1) : Moral Stories in Hindi

आपकी सखी

स्वाती जैन

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