खानदान पर कलंक मैं नहीं आप हो भैया !! (भाग 1) : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : राज , अभी की अभी मेरी इंडिया की टिकट निकलवाओ , मुझे इंडिया जाना हैं रोते हुए फोन पर बोली प्रिया !!

प्रिया हुआ क्या हैं ?? तुम इतना रो क्यूं रही हो और अचानक इंडिया क्यूं जाना हैं तुम्हें ?? ऑफिस से राज बोला !!

प्रिया बोली पापा नहीं रहे राज , तीन दिन बाद पापा की तेरहवी हैं , हमें आज ही निकलना पड़ेगा !!

राज बोला एक बार मुझे घर आ जाने दो प्रिया , फिर मैं टिकट निकलवाता हुं इंडिया की !!

राज जल्दी से घर पहुंचता हैं , घर आकर देखता है तो प्रिया बहुत रो रही होती है !!

राज को देखते ही प्रिया कहती है हमारी जल्दी से इंडिया की टिकट निकालवाओ अभी की अभी !!

राज कहता है रुको प्रिया थोड़ा ठहरो !!

प्रिया कहती है यहां मेरे पापा मर चुके हैं और तुम्हें ठहरने की पड़ी है राज !!

राज बोला प्रिया पहले तुम्हारी हालत तो देखो और हम सब कैसे इंडिया जा पाएंगे ?? परसों से बच्चों की परीक्षाएं भी तो शुरू है, एक काम करो मैं तुम्हारी इंडिया की टिकट बनवा देता हूं !!

प्रकाश से कहता हूं वह तुम्हें एयरपोर्ट पर लेने आ जाएगा , पूरे छः साल बाद इंडिया जा रही हो , वहां भी बहुत कुछ बदल चुका होगा !!

प्रिया जल्दी से अपनी पैकिंग करती है , पति और बच्चों को अलविदा कर फ्लाइट में बैठ ती है !!

फ्लाइट में बैठते ही प्रिया अपने अतीत में चली जाती है !!

  राज प्रिया को कॉलेज के समय से पसंद करता था मगर कभी खुलकर बोल नहीं पाया था , प्रिया भी मन ही मन यह बात जानती थी , सारे दोस्तों के मुंह से सुन भी चुकी थी कि राज उसे बहुत पसंद करता हैं मगर राज ने कभी खुलकर प्रिया से अपने प्यार का इजहार भी तो नहीं किया था !!

आज जब कॉलेज के एनुअल डे पर प्रिया ने डांस किया तो राज अपने आप को रोक नहीं पाया और उसने जाकर प्रिया से अपने प्यार का इजहार कर लिया !!

इतने सालों से जो बात प्रिया दोस्तों के मुंह से सुनती आई थी वह आज राज ने सामने से आकर बयां कर दी थी !!

प्रिया कुछ बोलती उससे पहले राज बोला प्रिया कोई जल्दी नहीं है , तुम आराम से सोच समझकर जवाब देना , आखिर यह मामला ऐसा नहीं हैं कि तुरंत इसका जवाब दे दिया जाए , इतने सालों से इंतजार कर रहा हुं तो थोड़े दिन ओर सही !!

प्रिया भी कुछ बोले बिना चली गई मगर उसके दिन और रात राज के बारे में सोचने में चले गए क्योंकि पसंद तो वह भी राज को बहुत करती थी मगर डरती थी समाज से अपने घरवालों से क्योंकि जाति धर्म सब कुछ ही तो अलग था राज और प्रिया का और प्रिया के घरवाले बहुत कड़क लोग थे जो यह रिश्ता कभी स्वीकार नही करेंगे !! प्रिया जानती थी राज का प्यार महत्व आर्कषण नहीं हैं वह उसे बहुत सालों से चाहता हैं !!

प्रिया भी राज के प्यार के सामने झुक गई और उसने समाज के रीति रिवाजों को एक ओर कर राज को हां कह दी !!

अब तो राज और प्रिया के दिन और रात बातें करने और घूमने फिरने में जाने लगे !!

एक रोज दोनों गार्डन में बैठे हुए थे और प्रिया के भाई रमेश ने अपनी बहन को लड़के के साथ देख लिया !! रमेश ने ना आव देखा ना ताव और राज को पत्थर से मारकर अपनी बहन प्रिया का हाथ घसीटकर घर ले आया !! घर आकर पापा और मां के सामने दो थप्पड प्रिया को जड़ते हुए बोला खानदान का नाम खराब कर दिया इस लड़की ने पापा !! एक लड़के के साथ पार्क में बैठकर गुलर्चरे उड़ा रही थी आपकी लाड़ली , वह तो अच्छा हुआ मैंने देख लिया और उस लड़के को मारकर इसे सीधा घर ले आया !! आज से इसका कॉलेज जाना बंद , कोई पढ़ाई वढ़ाई नहीं करनी अब इसे !!

प्रिया अपने माता पिता की लाड़ली बेटी थी मगर भाई रमेश के सामने उसके माता पिता की एक ना चली और दोनों को रमेश की बात माननी पड़ी !!

वहां राज प्रिया से मिलने को बेताब था मगर प्रिया का कॉलेज , क्लासेस सब बंद करवा दिया गया था और उसकी शादी के लिए जल्द से जल्द लड़का देखा जा रहा था !!

अगला भाग

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आपकी सखी

स्वाती जैन

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