खानदान – करूणा मलिक  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : निशा , कल आलोकजी अपनी पत्नी के साथ हमारी वंशु से मिलने आ रहे हैं ।

प्रदीप, आपने अच्छी तरह देख लिया है ना ? वंशु अपने मुँह से कुछ नहीं कहेगी पर आजकल के बच्चों की ख़्वाहिशें  तो ,आप जानते हैं। भाभी तो सब कुछ ठीक ही बता रही है ।

हाँ-हाँ निशा , भाई-भाभी का देखाभाला है सब कुछ । ऊँचे ख़ानदानी लोग हैं।

ठीक है । मैं वंशु को बता देती हूँ । कल कॉलेज जाने के लिए भी मना कर दूँगी ।

निशा अपनी बेटी वंशु को उसे देखने आने वाले लड़के वालों के बारे में बताते हुए कहती है-

बेटा! बी० एड० के केवल फ़ाइनल पेपर बचे हैं । तुम्हारे ताऊ-ताईजी के जाने-पहचाने ख़ानदानी इज़्ज़तदार लोग हैं । लड़का वन विभाग में गज़ेटिड आफ़िसर है । दो भाई और एक छोटी बहन है । हमारे हिसाब से तो सब ठीक लग रहा है ।

ठीक है मम्मी, अगर आप सब को ठीक लग रहा है तो…पर मैं लड़के से एक बार मिलना चाहती हूँ और शादी के बाद मेरी नौकरी वाली बात भी कर ली है ना ?

हाँ, मैंने तुम्हारी ताईजी को नौकरी करने वाली बात बता दी है । लड़का तो कल आएगा ही ।

अगले दिन वंशु के रिश्ते के लिए आया लड़का आदित्य अपने माता-पिता, छोटे भाई और बहन के साथ आ गया । वंशु के ताऊ-ताईजी तो सुबह-सुबह ही आ गए थे । प्रदीप और निशा दोनों ने बड़ी गर्मजोशी के साथ मेहमानों का स्वागत किया । 

जब वंशु चाय रखकर वापस जाने लगी तो आदित्य की माँ ने उसे अपने पास बैठा लिया और औपचारिक माहौल को पारिवारिक माहौल में बदल दिया । पहले प्रदीप और निशा के मन में यह सोचकर घबराहट हो रही थी कि ऊँचे पुराने ख़ानदानी लोग हैं, जाने कैसा मिज़ाज होगा पर वे तो बड़े ही साधारण से लग रहे थे ।

चाय के बाद ताऊजी बोले- 

बच्चों, शादी-ब्याह उम्र भर का बंधन होता है । तुम दोनों को जो भी बात एक- दूसरे से पूछनी हो या कहनी हो तो निःसंकोच पूछ लो । तुम मैच्योर हो , पढ़े- लिखे और समझदार हो । दिलोदिमाग़ में कोई शंका मत रखना । चाहो तो बाहर  बरामदे में चले जाओ ।

नहीं-नहीं अंकलजी , यहीं ठीक है ।मुझे तो ऐसी कोई विशेष बात नहीं पूछनी । अगर वंशु जी कुछ पूछना चाहती है, पूछ लेंगी ।

जी , शायद मेरी नौकरी करने वाली बात तो आपको पता ही होगी-वंशु ने थोड़ी रुखाई से कहा ।

अरे बिटिया, इसमें बताने या पूछने की तो बात ही नहीं । तुम्हें पूरा अधिकार है, अपनी ज़िंदगी का फ़ैसला करने का । तुम्हें परिवार का पूरा सहयोग मिलेगा ।हमारे जमाने की अलग बात थी ।

आदित्य की मम्मी ने वंशु के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा ।

निशा और प्रदीप महसूस कर रहे थे कि वंशु कुछ परेशान सी दिख रही थी । हालाँकि आदित्य के माता-पिता शगुन का रुपया देना चाहते थे पर अपने अनुभव से स्थिति को भाँपकर ताऊजी बोले-

जल्दी की बात नहीं है । बच्चों को थोड़ा समय दीजिए । अब हमारा तुम्हारा ज़माना नहीं रहा । शांति से सोचने दीजिए । सगाई करने में क्या देर लगती है ।कम से कम दोनों बच्चों को एक आध महीने का समय मिलना चाहिए ।भई , वंशु की परीक्षा तक तो इंतज़ार करना पड़ेगा ।

सभी ताऊजी के बात से सहमत हो गए और जल्दी ही दुबारा मिलने की उम्मीद में सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक-दूसरे से विदा ली ।

सबके जाते ही वंशु ने रो रोकर पूरा घर सिर पर उठा लिया-

मम्मी, मैं उस अंकल टाइप लड़के से हरगिज़ शादी नहीं करूँगी । आपने उनके कपड़े देखे , कितने पुराने जमाने के पहने थे? उनकी गाड़ी भी बाबाआदम के जमाने की थी । उनकी मम्मी भी सिर पर पल्लू ढके बैठी थी । पापा तो कह रहे थे कि ऊँचे ख़ानदान के लोग हैं । मुझे तो कहीं से वे लोग ख़ानदानी नहीं लगे ।

सारी बात सुन रहे प्रदीप बेटी के कमरे में आए और पास बैठते हुए बोले – 

वंशु मेरी बेटी, उठो , पहले तो मैं भाई साहब के मुँह से सुनी बात कह रहा था कि ख़ानदानी लोग हैं पर अब मैं अपने अनुभव से उनके ऊँचे ख़ानदानी होने का दावा करता हूँ । बेटा , धन-दौलत से ऊँचे ख़ानदान का कोई लेना-देना नहीं है । ऊँचे ख़ानदान वाले अपने संस्कारों से पहचाने जाते हैं । बेटा ! तुमने शायद गौर ना किया हो पर वहाँ तुम्हें आदर और अधिकार मिलेगा । वहाँ तुम्हें आडंबर और ढोंग के स्थान पर सच्चाई मिलेगी । तुमने आदित्य की सादगी और सरलता की तरफ़ ध्यान नहीं दिया ? वंशु ! फ़िल्मी और वास्तविक जीवन में अंतर होता है । विवाह तीन/चार घंटे की प्रेम कहानी नहीं, उम्र भर का साथ निभाने का वादा है। तुम्हारे ऊपर कोई दबाव नहीं है । जल्दबाज़ी में नहीं, आराम से सारी बातों को सोचकर निर्णय करना । आदित्य के साथ थोड़ा मिलो , बातचीत करो । फिर बताना ।

इस बीच आदित्य और उसके परिवार के बारे में किसी ने कोई बात नहीं की ।अपने फ़ाइनल पेपर के बाद वंशु बोली –

पापा ,  आपका दावा बिल्कुल सही है कि ऊँचे ख़ानदान वाले दूसरों को मान- सम्मान देते हैं, किसी का दिल नहीं दुखाते, कर्म में विश्वास रखते हैं । उनके जीवन में ढोंग और आडंबर का स्थान नहीं होता । मैं आदित्य से विवाह के लिए तैयार हूँ ।

आज प्रदीप और निशा को अपनी बेटी के फ़ैसले पर ख़ुशी हो रही थी जो ऊँचे ख़ानदान की सही परिभाषा समझ चुकी थी ।

करूणा मलिक 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!