काश ? – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : भारती भाभी के आंसू अभी भी रूकने का नाम नहीं लेते। दरअसल हुआ यों कि अभी तीन महीने पहले राजेन्द्र भाई का स्वर्गवास हो गया सदमे में इसलिए है कि वो बिल्कुल स्वस्थ थे कोई परेशानी नहीं थी ।

                  राजेन्द्र भाई रोजमर्रा की तरह सुबह दस बजे तैयार होकर दुकान जाने की तैयारी में बैठे थे उनका बिजनेस चलता था जिसको वो और उनका बेटा मिलकर चलाते थे वैसे दुकान की सारी जिम्मेदारी राजेन्द्र भाई पर ही थी बेटा तो साथ में हाथ बंटाता था ।और राजेंद्र भाई शुगर पएसएंट भी थे ।आज सुबह के करीब साढ़े नौ बजे होंगे वो तैयार होकर बैठे थे दुकान जाने को वो भारती भाभी से बोले मुझे दो दिन से नींद नहीं आ रही है और मन में बेचैनी सी है एसिडिटी भी हो रही है ।

भाभी बोली ऐसा है आप थोड़ा नास्ता करके थोड़ी देर हो जाइए दुकान देर से चले जाइयेगा। राजेन्द्र भाई बोले नहीं आज दुकान में बहुत काम है आज मिल आना है उसको देखना है गिनती कराना है मेरा जाना जरूरी है भाभी बोली आप सुनते नहीं है थोड़ा आराम कर ले बेटा देख लेगा लेकिन वो नहीं मानें।

राजेन्द्र भाई बोले अच्छा सुनो तुमसे कुछ बात भी करनी है भाभी बोली अच्छा मैं नास्ता लेकर आती हूं तो बात करती हूं । भाभी जी रसोई में नाश्ता लेने गई नास्ता बहू ने बना दिया था भाभी ने बस हल्का सा गर्म करके प्लेट में डाला और लेकर आ गई मुश्किल से दस मिनट ही लगे होंगे ।

भाभी जी नाश्ता लेकर आईं तो राजेन्द्र भाई वहीं सोफे पर करवट लेटे हुए थे भाभी ने आवाज़ दी उठिए नाश्ता कर लीजिए मैं तो पहले ही कह रही थी कि नाश्ता करके लेट जाइए ।दो तीन आवाजें देने के बाद भी जब वे नहीं उठे तो भाभी ने हाथ पकड़ कर हिलाया तो उनका हाथ बेसुध सा नीचे गिर गया ।

उनको सीधा किया तो देखा कि राजेंद्र भाई तो जा चुके थे । दुकान से बेटे को बुलाया डाक्टर को लेकर आया डाक्टर ने देखा वो बोला इनकी मौत तो आधे घंटे पहले हो चुकी है ।

                     सब सन्न रह गए यह देख कर कि अभी अभी आधे घंटे पहले तक जो इंसान बात कर रहा था वो अचानक कैसे चला गया । लेकिन होनी को कौन टाल पाया है ।ये तो प्रकृति का नियम है जो आया है वो जायेगा कोई जल्दी तो कोई थोड़ा देर में ।

सभी वहां पर आए लोग बोल रहे थे जब बुलावा आ गया तो जाना ही पड़ेगा लेकिन ये तो कितनी अच्छी बात है न तो बीमार हुए न किसी से कोई सेवा कराई न डाक्टरों का चक्कर न अस्पतालों का झंझट नहीं तो आजकल तो जाने क्या क्या भोगना पड़ता है आईं सी यू में पड़े रहो वेंटिलेटर में गले रहो न जाने क्या क्या।

             जब सब कुछ निपट गया और सभी लोग चले गए तो मैंने भाभी से इत्मीनान से पूछा भाभी राजेन्द्र भाई को कोई और परेशानी तो नहीं थी वो सब आप लोगो ने ध्यान नहीं दिया हो क्यों कि वो शुगर पेशेंट थे । फिर भाभी बोली नहीं बस उनको नींद नहीं आ रही थी और एसिडिटी थी हृदय संबंधी कोई दिक्कत नहीं थी ।

हो सकता है ये सबकुछ हृदय से ही संबंधित परेशानी रही हो हम लोग छोटी छोटी परेशानियों को नजरंदाज कर जाते हैं जिसका शायद यही परिणाम होता है ।उनको हार्टअटैक हुआ था ।हो सकता है उनको जो कुछ भी थोड़ी परेशानी थी नींद न आना और बेचैनी जिसको आप एसिडिटी का नाम दे देते हैं इंसान जब काम में व्यस्त होता है तो इन छोटी छोटी बातों को नजरंदाज कर जाता है । शुगर पेशेंट तो थे ही उसमें हार्ट अटैक के चांसेज ज्यादा होते हैं ।

इसी बात का भारती भाभी को अफसोस रहा कि काश ॽ मैं थोड़ा ध्यान दें देती तो तुम्हारे भईया बच जाते और बताएं तुम्हें वो मुझसे कुछ कहना चाहते थे मैं बोली नाश्ता लेकर आती हूं तब बात करती हूं क्या कहना चाहते थे मैं सुन ही नहीं पाई ।इस बात का बहुत अफसोस रहेगा ताउम्र ।ये पश्चाताप के आंसू अब कभी न रूकेंगे ।अब तो जीवन भर इन्हीं आंसुओं के साथ जीना है ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

23 सितम्बर 23

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