करवाचौथ – पिंकी नारंग

सुनो ना, प्रीति ने प्यार से पति आशु के कंधे पर सिर रखते हुए कहा “करवाचौथ मे सिर्फ दो दिन रह गए है |क्या गिफ्ट चाहिए तुम्हें |”आशु ने प्रीति की बात बीच मे काटते हुए तल्खी भरी आवाज मे कहा, जैसे वो जानता हो की प्रीति क्या कहना चाहती है |

  प्रीति ने भी आशु के रूखेपन की परवाह ना करते हुए, अपनी बात जारी रखते हुए कहा “उपहार की बात नहीं कर रही हूँ आपसे |”मै तो बस यही कह रही थी

“भाभी अभी तक सरगी देने नहीं आयी |”(करवाचौथ के व्रत पर सास या जेठानी द्वारा आशीर्वाद के रूप मे दिए जाने वाले मिठाई और सुहाग के सामान को सरगी कहते है |)

वो हमेशा सरगी व्रत से एक हफ्ते पहले ही दे जाती है |आशु ने गुस्से मे प्रीति को घूरते हुए कहा “भूल गई बड़े भईया ने मेरा कितना अपमान किया है, और जो मुझसे रिश्ता ना रखने की धौंस  दी है, क्या अब भी तुम्हें लगता है भाभी इस बार सरगी देने आएंगी? “

आशु ये तो गलत बात है ना, बिज़नेस मे एकमत ना होने पर आपस मे लड़ो आप दोनों भाई, और परिणाम भुगते हम दोनों औरते | भाभी नहीं आयेंगी तो मै खुद जा कर उनका आशीर्वाद और सरगी दोनों ले आऊंगी |आपको साथ चलना हो तो चलना, वैसे भी वो बड़े है आपको |

 प्रीति का सिर अपने कंधे से  झटकते हुए आशु दूसरे कमरे मे चला गया |तभी डोरबेल की आवाज़ सुन जैसे ही प्रीति ने दरवाज़ा खोला, भाभी सरगी के थाल के साथ दरवाज़े पर खड़ी थी |

  प्रीति उनके चरणस्पर्श कर उनसे लिपट गई |आँखों मे आँसुओ की बरसात रोके हुए रूंधे  गले से कहने लगी “मुझे तो लगा इस बार….. भाभी ने बात बीच मे काटते हुए कहा “क्या लगा तुम्हें अपना फ़र्ज भूल गई |रिश्ते खत्म करने आसान है, मुश्किल तो प्यार से निभाने है |

कहाँ है हमारे लक्ष्मण जैसे देवर जी, खीचे उनके कान |

तभी आशु नज़रे झुकाय कमरे से बाहर आ कर भाभी के पैरो मे गिर कर माफ़ी मांगने लगा  |भाभी भी अपने आँसू पोछते हुए आशु से कहने लगी “अब अपने रामजी को भी अंदर ले आओ मुँह फुलाए गाड़ी मे बाहर बैठे है |”

आशु बिजली से भी तेज गति से बाहर भईया को लेने भागे |ये देख कर भाभी और प्रीति की खनकती हुई हंसी से पूरा घर रोशन हो गया |करवाचौथ का त्योहार तो दिवाली का त्योहार बन गया था |

मौलिक

पिंकी नारंग

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