कलंक – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : आज नयना जार जार रोए जा रही थी और उस दिन को कोस रही थी जब वह अपनी ननद के घर गई थी ।नन्द के बहू को छः साल बाद बच्चा हुआं था उसका दसटोन का कार्य क्रम था ।बड़ा हंसी खुशी का माहौल था खूब बड़ी पार्टी रखी थी ननद ने।

सभी रिश्तेदार आए थे दिनभर एक दूसरे से बातें करने में और हंसी ठिठोली में ही समय बीत जाता था।समय का पता ही न चलता थी।नयना अपने नौ साल के बेटे और चौदह साल की बेटी को भी ले गईं थीं ।आज सबेरे से ही मानसी की तबियत कुछ ठीक नहीं थी उसको दो तीन बार उल्टियां भी हुई और लूज मोशन भी लग रहे थे ।

शायद कुछ उल्टा सीधा खाने से और बेहतर खाने से बदहजमी हो गई थी।शाम को घर में पार्टी थी ।नन्द का घर काफी बड़ा था ऊपर नीचे का तीन मंजिला मकान था ।सारे रिश्तेदार घर पर ही रूके थे लेकिन पार्टी घर के बग़ल में ही खाली जगह थी वहां रखा था ।               शाम होते होते मानसी थोड़ी सुस्त सी हो गई थी और हल्का सा बदन भी गर्म लग रहा था ।

फिर सब तैयार होकर पार्टी स्थल पर जाने लगे ।नयना भी दोनों बच्चों को तैयार होने का बोलकर खुद भी तैयार होने लगी।नयना ने बाजार से मंगवा कर कुछ दवा दे दी थी मानसी को । पार्टी में थोड़ी देर बैठने के बाद मानसी ने लेटने की इच्छा जाहिर की मानसी नयना से पूछ कर जिस कमरे में रूकने की व्यवस्था थी वहां लेटने जाने को बोलने लगी नयना ने हामी भर दी जाओ अच्छा लेट जाओ ।घर पर कोई नहीं था घर के ही लोग जिनको कुछ जररूत होती घर के नीचे के हिस्से में आते जाते रहते ‌।

                  नन्द का लड़का पीने पिलाने का शौकीन था घर के तीसरे मंजिल की छत पर कुछ दोस्तों की पीने पिलाने की पार्टी चल रही थी।वो लोग ही कुछ ज़रूरत पड़ने पर आते जाते रहते थे टायलेट वगैरह को ।मानसी ने कमरे में जाकर दरवाजे को ऐसे ही बेड था अंदर से कुंडी नहीं लगाई । चूंकि उसने दवा खाई थी तो उसे नींद आ गई ।

नन्द के बेटे का एक दोस्त बार बार नीचे आ रहा था मानसी के कमरे की खिड़की भी खुली हुई थी वहां से दिख रहा था कि मानसी अकेले ही लेटी हुई है और दरवाजा भी बंद नहीं है । अचानक से उसमें से एक दोस्त की नीयत खराब हो गई और वो सबकी नजरें बचाकर मानसी के कमरे तक आ गया । उसने इधर उधर देखा सब तरफ सन्नाटा था कोई दिखाई नहीं दे रहा था।उधर पार्टी में तेज आवाज में म्युजिक बज रहा था ।

उस दोस्त ने धीरे से मानसी के कमरे में घुसकर लाइट बंद कर दी वो मानसी के पास बैठकर उसपर हाथ फेरने लगा अचानक किसी का स्पर्श पाकर मानसी की नींद खुल गई वो चीखने लगी तो दोस्त ने उसका मुंह बंद कर दिया ।वो मानसी के कपड़े खोलने लगा अनहोनी की आंशका से मानसी घबराने लगी उसने फिर चिल्लाने की कोशिश की तो कपड़ा ठूंस दिया मुंह में ।और वो अपनी गंदी नीयत को अंजाम दे पाता इतने में वहां नयना आ गई ।

नयना तो ऐसे ही आ गई थी मानसी को देखने ।असल में पार्टी में नयना को चिंता हो रही थी यहां आकर जब कमरे में अंधेरा देखा और दबी दबी सी आवाज सुनी तो किसी अनहोनी की आंशका से वो घबरा गई ।जोर जोर से चिल्ला कर नन्द के बेटे के दोस्त जो छत पर थे उन्हें बुलाया सबने मिलकर किसी तरह से दरवाजा खोला तो देखा मानसी अस्त व्यस्त अवस्था में पड़ी थी सबको धक्का देकर बेटे का दोस्त बाहर भागने लगा लेकिन वो भाग नहीं पाया सबने उसे पकड़ लिया ।

नयना  ने मानसी को गले लगा लिया किसी अनहोनी की आंशका से वो रोने लगी कितना बड़ा कलंक लग जाता आज इसी आंशका से वो भयभीत हो रोने लगी । फिर भी ईश्वर का शुक्र मान रही थी कि कलंक लगने से आज बच गई नहीं तो कहीं की न रहती।उस दिन को याद करके नयना सिहर जाती है और उसकी आंख से आंसू आ जाते हैं ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

5 सितम्बर 23 

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