इज्ज़त तेरी मेरी नहीं हमारी …!! – संध्या त्रिपाठी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: ललिता आज शाम थोड़ा जल्दी आ जाना…मेरी किटी पार्टी है और सुन आज प्याज का कोई आइटम बनाने की थीम है….तो तू प्याज के पकौड़े बना लेना…! और हाँ अच्छे से बनाना…मुझे पहला स्थान मिलना चाहिए ताकि ईनाम मुझे मिल सके समझी…!

मुस्कुराते हुए सीमा ने अपनी काम वाली बाई ललिता से कहा….I हाँ – हाँ दीदी मैं जल्दी आ जाऊँगी…अरे देखियेगा ना हमारा पकौड़ा ही पहला नंबर आएगा….I ललिता जल्दी आने का आश्वासन देकर चली गई….I

सीमा जिस घर मे रहती थी उसी घर में उपर उसकी देवरानी विभा रहती थी असल में ये उनके सास ससुर द्वारा बनवाया हुआ घर था जिसके एक हिस्से में सीमा का परिवार और दूसरे हिस्से में देवरानी विभा का परिवार रहता था प्रॉपर्टी विवाद के कारण दोनों परिवार के रिश्ते अच्छे नहीं थे……चूँकि घर एक ही था तो एक दूसरे की सारी गतिविधियाँ एक दूसरे को पता होती थीं…..I

सीमा तैयारी में जुटी थी घर की साज सज्जा से लेकर खुद भी तो तैयार होना था….भाई किटी पार्टी जो थी….और सबसे विशेष लगना भी तो था….I अरे.. 6 बजे सब आ जाएंगे … ये ललिता अभी तक क्यों नहीं आई 5 बज गए न जाने कब आएगी…इसी बीच फोन की घंटी बजी….ललिता का फोन…?

ललिता का नाम देखते ही गुस्से से लाल सीमा चीखती हुई बोली….तेरा समय अभी नहीं हुआ है क्या आने का…..जिस दिन कुछ विशेष काम होता है तेरा नाटक शुरू हो जायेगा…..बिना ललिता की बातें सुने ना जाने क्या- क्या गुस्से में आकर सीमा बोले जा रही थी….तभी उधर से किसी पुरुष की आवाज आई……मैडम ललिता हॉस्पिटल में है वो घर से जल्दी निकली थी कि आज मैडम के घर कुछ ज्यादा काम है पर हडबडी में आटो वाले से टक्कर हो गया है और उसे चोट लग गई है…..I

सीमा के पांव तले ज़मीन ही खिसक गए……अब वो क्या करे पकौड़े बनाए या घर ठीक करे या खुद तैयार हो…ये सब उसके समझ से परे थी….आधे घंटे के अंदर सभी महिलाएँ आ जाएंगी…I कुछ सोच कर फोन की ओर हाथ बढ़ाया ही था कि बाहर से ऑर्डर कर दूँ…..वैसे भी आज तो मेरी इज्जत का फालूदा बनना ही है…..!!

तभी अचानक एक आवाज…….दीदी……..हाथ में थाली भर के प्याज के पकौड़े लिये देवरानी सामने खड़ी थी…I दीदी आप फोन पर बात कर रहीं थीं तो मैंने सुन लिया था……सो मैंने पकौड़े बना लिये है…आप तैयार हो जाँए …..!! हमारे बीच मतभेद जरूर है पर जब घर परिवार की बात आती है तो …. “इज्जत तेरी मेरी नहीं है हमारी होती है “….!! और पकौड़े से भरा थाली रखकर विभा चली गई..I

सीमा कुछ सोच पाती इससे पहले ही किटी की सभी महिलाएं सीमा के घर आ गईं…..! मौज – मस्ती के बीच सीमा के पकौड़ों की भी खूब तारीफ हुई…..इतने कुरकुरे पकौड़े….वाह सीमा आज तो तुमने कमाल कर दिया….लगता है दिन भर मेहनत किया है पकौड़े बनाने में….I तारीफ की पुल बांधती महिलाएँ चटखारे ले ले कर पकौड़ों का आनंद ले रहीं थीं….I

हमेशा से प्रतिद्वंद्वी समझने वाली सीमा विभा के इस व्यवहार को समझ ही नहीं पा रही थी….कहीं ना कहीं दिल से देवरानी का धन्यवाद बोलना चाहती थी….I जैसे ही पार्टी खत्म हुई …..प्रथम आये पकौड़े……गिफ्ट हाथ में लिए …..विभा के पास पहुँच कर सीमा ने धन्यवाद के साथ विभा के हाथ में गिफ्ट देते हुए कहा…..इसकी असली हकदार तुम हो विभा….!!!!

श्रीमती संध्या त्रिपाठी

 

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