हमारे ख़ानदान में बेटियों की पसंद नहीं चलती – रश्मि प्रकाश: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “ क्यों री प्रमिला बेटी का ब्याह क्या अब बुढ़ापे में करेंगी…पर तू तो लागे है सुमति के पैसे का मोह छोड़ ही नहीं पा रही है.. तीस की हो जावेगी अब कब तक घर में बिठा के रखेंगी….. माना पहले कमाने वाली वो अकेली ही  थी तब बात समझ में आ रही थी कि भई घर खर्ची चलाने को वही एक अकेली है ….पर अब तो बेटा भी कमाने लगा है उसका भी ब्याह करना है ना तेरे को…. ।” प्रमिला देवी से भैरवी जी  ने कहा जो रिश्ते में ताई सास लगती थी 

“ हाँ ताई जी काहे नहीं करेंगे ब्याह बस कोई अच्छा लड़का मिल जावे…. जो सुमति को चाहे उसके पैसों को नहीं … आपकी नजर में कोई हो तो बताइएगा ।” प्रमिला देवी ने घर आई अपनी ताई सास को शरबत थमाते हुए कहा 

“ अरे इसी लिए तो आई हूँ तेरे पास…. अब देख तेरे बारे में सोचने वाला हमारे सिवा है ही कौन…. तेरे सास ससुर और पति ना ट्राली से टकराते ना आग लगती ना तीनों भगवान के पास जाते…. ग़नीमत है तुम चारों उस दिन गाँव की शादी में शामिल होने नहीं जा रहे थे नहीं तो पूरा परिवार ही….।” एक गहरी लंबी साँस लेती भैरवी ताई ने कहा 

“ ताई जी अब होनी को कौन टाल सकता था जो दुखों का पहाड़ हम पर टूटा वो बस हम ही जानते हैं…. वैसे आप कहिए ना किस लड़के के बारे में बात करने आई है?” प्रमिला देवी ने पूछा 

“ अरे वो मेरी छोटी बहन का बेटा है ना उसके बारे में कह रही थी…. तूने तो मेरी बेटी के ब्याह में देखा ही था कितना सजीला नौजवान है…. तुझे खोजे से भी इतना अच्छा ख़ानदान और घरबार ना मिलेगा…. फिर बिटिया भी पहचान में जावेगी तो खुश रहेगी ।” एक दंभ भरते हुए भैरवी ताई ने कहा 

“ हाँ लड़का तो अच्छा है पर ताई जी वो करता कुछ ना है… ऐसे में अपनी पढ़ी लिखी बिटिया को उसके साथ कैसे ब्याहना…..बस ख़ानदान देख कर?” सवाल छोड़ती बात प्रमिला देवी ने कही

“ हाँ तो का हुआ तेरी बेटी कमाती हैं ना….अरे इतनी खेती बाड़ी है…बहन के दो ही तो बच्चे है बेटी का ब्याह वो कर ही चुकी है अब रहा तरुण तो सब कुछ तो उसका ही होगा…. तेरी बेटी राज करेगी प्रमिला …कहे दे रही हूँ इससे अच्छा रिश्ता फिर ना मिलेगा ।”भैरवी ताई ने मुँह बिचकाते हुए कहा 

“ पर ताई जी सुमति की रज़ामंदी भी ज़रूरी है…. वो भी हाँ करेंगी तभी कुछ बात आगे बढ़ाते…. आज ऑफिस से आने के बाद मैं उससे पूछ कर बताती हूँ ।” प्रमिला देवी ने कहा 

“ ये कौन से जमाने की बात कर रही है…. हमारे ख़ानदान में कब किसी लड़की की पसंद से ब्याह हुआ है… जो माँ बाप तय कर देते बेटी को उस घर जाना ही होता…. जैसे भी हो निभाना ही होता…. तु सुमति की छोड़ अपनी बता..?”भैरवी ताई ने पूछा 

“ ताई जी मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूँगी…. मेरी बेटी ने बहुत कम उम्र में पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी सँभाल ली थी….. कौन आया था हमारी तकलीफ़ में हाथ बँटाने….. बस दो पल को सांत्वना देकर चलते बने थे….. मेरी बेटी ने पढ़ाई के साथ साथ नौकरी भी की…अपने भाइयों को पढ़ाया….घर की सारी ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई और आप कह रही है बेटी को कौन पूछता…. वे लोग तब कहाँ थे जब मैं रो रो कर कह रही थी अब हमारा क्या होगा…. बच्चे तब बड़े ही कितने थे… बिटिया बारहवीं कक्षा में ही तो थी… उसने हिम्मत दिखाई पढ़ाई के साथ साथ ट्यूशन करती मैं सिलाई का काम… मेरे बच्चे कभी पीछे नहीं हटे …. सबने एक दूसरे का साथ दिया तो अब जाकर दो बच्चे कमाने लगे है… छोटा बेटा भी चार साल में नौकरी कर ही लेगा…. सच कहते हैं जो खुद हिम्मत नहीं कर सकता उसका कभी कुछ नहीं हो सकता…. आप कह रही हो ताई जी बेटी से क्या पूछना…. तो बता दूँ मेरे बेटे भी बिना दीदी से पूछे उसका ब्याह ना करने देंगे…. अब बेटा बन कर जिसने इस घर को कमा कर दिया उसकी रज़ामंदी कैसे ना होगी… सुमति की हाँ में ही हम सब की हाँ होगी नहीं तो नहीं ।” प्रमिला देवी ने ताई सास को सुनाते हुए कहा 

 भैरवी ताई पाँव पटकती अपना सा मुँह लेकर चलती बनी….. सच ही तो कहा प्रमिला देवी ने जब सब जल गए थे तो कोई आगे ना आया मदद को आज अपने बेरोज़गार भांजे के लिए मेरी सुमति का हाथ माँगने चली आई बस इसलिए की वो अच्छा कमाती है ।

भैरवी ताई को निकलते हुए सुमति ने देख लिया जो ऑफिस की छुट्टी के बाद घर आ रही थी….. ग़ुस्से में बड़बड़ाती भैरवी ने जैसे ही सुमति को देखा उनका पारा और चढ़ गया…. मुँह बिचकाती वो चल दी ।

“ ये भैरवी दादी यहाँ क्या करने आई थी माँ और चेहरे पर बारह बजा कर क्यों गई?” घर में घुसते ही प्रमिला देवी से सुमति ने पूछा 

 प्रमिला देवी ने सारी बात ज्यों की त्यों सुना दी…

“ हद है ये दुनिया के लोग भी….. तकलीफ़ में साथ देवे ना देवे भोज खाने पहले आवेंगे…… माँ मैं कभी ये शादी नहीं करूँगी….. मुझे शादी करनी ही नहीं अभी….. मेरी उम्र जो हो रही हो पहले मेरा परिवार है….छोटे को भी कुछ कर लेने दे फिर सोचेंगे इस बारे में… अभी नहीं ।” सुमति ने कहा 

“ पर बेटा अट्ठाईस की हो गई है और कब तक इंतज़ार करेगी….. और वो लड़का भी कब तक इंतज़ार करेगा…. जो तेरी ख़ातिर अब तक कुंवारा बैठा है…. बचपन से तुझे पसंद करता रहा है जब जब ज़रूरत पड़ी वो तेरा साथ दिया अब इंतज़ार ना करवा सुमति…. एक भाई कमाने लगा ना दूसरा भी कमाने लगेगा….. तू अब ब्याह कर ले।” प्रमिला देवी ने कहा 

” पर माँ भाई के अकेले की कमाई से घर चलाना मुश्किल है तू क्यों नहीं समझ रहीं?” सुमति ने कहा 

“ कोई मुश्किल नहीं है दीदी जैसे आपने अकेले कमा कर ये घर चलाया मैं भी चला लूँगा…. पता अभी घर आते वक़्त परम मिला वो उदास दिख रहा था पूछने पर कहा ..’ घर वाले इसी महीने ब्याह करवाने की बात कर रहे हैं उन्होंने लड़की पसंद कर ली है …. मेरी हाँ का इंतज़ार कर रहे हैं ।”एक ही साँस में सुमति के भाई ने कह दिया 

“ तो कर ले ब्याह…. कौन मना कर रहा उसको..।” कहते हुए सुमति अपना बैग रखने कमरे की ओर चल दी

“ ये क्या दीदी …. आप भी जानती हो परम जी आपसे कितना प्यार करते….आपके साथ आपके ऑफिस में काम करते …. कितनी अच्छी अच्छी नौकरी ठुकरा दी कि बाहर नहीं जाना बस आपके साथ रहने के लिए वो यहाँ रूके हुए हैं और आप है कि…।” भाई ने कहा 

“ पर भाई तू जानता है ना छोटे की पढ़ाई अभी बाकी है उसकी फीस और घर खर्च…. शादी के बाद भी मैं सब कर सकती पर उधर की ज़िम्मेदारी भी तो होगी ना…. बोल भला कैसे होगा?” सुमति कुर्सी पर बैठ परम की शादी की बात से उदास हो बोली 

” सब हो सकता है सुमति बस तुम हाँ कर दो… मैं किसी और से शादी करने का सोच ही नहीं सकता…ज़बरदस्ती घर वालों ने करवा भी दिया तो तीन ज़िन्दगियाँ बर्बाद हो जाएगी…. बस तुम जैसे अभी सब कर रही हो करती रहना…. मैं कभी तुमसे हिसाब किताब नहीं लूँगा…..इतने बरस से देख रहा हूँ तुमको…. पत्थर हो गई हो…. कुछ तो मेरे दिल का हाल भी समझो..।” अचानक से परम सुमति के छोटे भाई के साथ कमरे में प्रवेश करते हुए बोला 

सुमति बहुत असमंजस की स्थिति में थी फिर कुछ सोचते हुए बोली,“ परम मैं जब तक चाहूँ अपने परिवार के लिए जो कुछ करना चाहू कर सकती हूँ ना ….. ना तुम ….ना तुम्हारे घरवाले मुझे ये सब करने से रोकेंगे …तो ही मैं शादी करने को तैयार हूँ….. ये परिवार मेरी ज़िम्मेदारी है परम बस छोटे की नौकरी हो जाएँ फिर मेरी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाएगी…।” सुमति ने कहा 

“ मुझे मंज़ूर है सुमति बस अब हम इस महीने ही शादी कर लेंगे…. मैं जाकर घर वालों को मनाता हूँ…. वो मान जाएँगे क्योंकि सब तुम्हारी परिवार के प्रति लगनशीलता देख चुके हैं जो अपने परिवार के लिए इतनी समर्पित हो वो पति के परिवार को भी ज़रूर समझेंगी ।” परम ने खुश होते हुए कहा 

कुछ वक़्त ज़रूर लगा परम के घरवालों को पास में ही शादी करने की बात पचाने में पर वो इस परिवार को पहले से देख सुन रहे थे तो ज़्यादा ना ना नहीं कर पाएँ

एक महीने के भीतर सुमति परम की दुल्हन बन उसके घर आ गई ।

भैरवी ताई पूरी शादी अपने भांजे से तुलना करती रही … पर वो भी जान ही रही थी सुमति ने जो चुना वो उनकी पसंद से ज़्यादा सुलझा और समझदार लड़का है ।

एक लड़की की ज़िन्दगी में बहुत उतार-चढ़ाव आते हैं…. आजकल की लड़कियाँ बख़ूबी अपने परिवार के लिए ढाल बन कर उनकी मदद करना जानती है…. अपनी बात कहने की हिम्मत भी रखती है…. और जो बहुत मुश्किलों से ज़िन्दगी से लड़ कर आगे आता है तो वो हर कदम सोच समझ कर उठाता है…. ऐसे ख़ानदान के बारे में सबकी सोच भी अलग ही होती है….सुमति ने जो भी किया मेरी नज़र में सही किया अपनी पसंद से शादी जिसे पूरा परिवार समर्थन दे रहा था और फिर उसका पति जो उसे उसकी ज़िम्मेदारियों के साथ अपनाने को तैयार था…. इस विषय पर आपकी क्या राय है ज़रूर बताएँ ।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

मौलिक रचना 

#खानदान

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