हार की जीत (भाग 1) – माधुरी बसलस : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अपनी माँ कामिनी के घर से वापिस निकलते ही राधा के मन मे विचारों की सुनानी सी

आगई,मन मस्तिष्क मे विचारों का ऐसा भयानक बवंडर उठा उसके दिमाग़ ने काम करना

बंद कर दिया ।माँ उसके साथ कैसा कर सकती है ? माँ के सिवाय इतनी बड़ी दुनिया मे

आख़िर उसका कहने को है ही कौन ? अपने मन की समस्या किस को बताये ?

       माँ की वे रुखी उसकी समझ से परे है क्या रमेश से उसकी शादी माँ ने जानबूझकर

कराई थी जो अब कहती है कि रमेश का घर तुम्हारा घर है

     उसे समझ नहीं आरहा था कि इन सवालों के ज़बाव वह आख़िर किस से पूछे ।

उसकी ज़िन्दगी का क्या होगा ,यदि माँ ही उसका साथ नहीं देगी तो ,और जिस रमेश के

घर को माँ उसका घर कह रही थी उस रमेश से वह क्या उम्मीद करे जिसे अपने शराब

के नशे के अलावा कुछ सूझता नहीं ।

  दो साल पूर्व उसका विवाह रमेश से हुआ था परिवार के नाम पर रमेश के घर मे

सिर्फ़ उसकी माँ थी जो कि अस्थमा की मर्रीज थी । उसकी माँ कामिनी ,रमेश की माँ

ललिता एक ही कन्या विद्यालय मे पढ़ाती थी अत: एक दूसरे के घर आना जाना था ।

दोनों परिवारों मे एक समानता अवश्य थी कि राधा के पिता को काल के क्रूर  हाथो मे उससे

तभी दूर कर दिया था जब वह तीन साल की थी । जब कभी उसके पिता शराब पी कर घर

लौटते और माँ के मना करने पर उस पर हाथ उठाते तो वह डरी सहमी माँ के पीछे छिप जाया

करती ।दो चार दिन सब ठीक ठाक चलता पिता समय से घर लौट कर आते ,उसको गोद मे

लेकर दुलराते ,प्यार करते ओर वह तीनों एक सुखी परिवार की तरह साथ साथ खाना खाते ।

राधा को उन दिनों अपने पिता दुनिया के सबसे अच्छे पिता लगते । क्योंकि इस से अधिक

सोच पाने की उसकी उम्र भी नहीं थी ।कुछ दिनों बाद पिता का वही रवैया जारी रहता ,पीकर

घर लौटना माँ के मना करने पर हाथ उठाना। इसी नशे की आदत ने ही ,उसके पिता को उससे

दूर कर दिया था ।

     कुछ दिन तो नाते रिश्ते दारो ने साथ दिया ,एकाध ने तो कामिनी को दूसरा विवाह करने

की सलाह दी थी, परन्तु कामिनी ने मन के शान्त व संयत होने पर सोचा कि विवाह कर

लेने पर दूसरा पति क्या जाने राधा को अपनायेगा या नहीं ,काफ़ी सोच विचार के बाद

कामिनी ने ख़ुद ने अपने बल बूते पर राधा को पढ़ा लिखा कर सुयोग्य बनाने का निर्णय लिया ।

 कामिनी के पास बी.ए.बीएड को डिग्री थी ,शादी से पहले भी कामिनी एक कन्या विद्यालय

मे अध्यापिका थी लेकिन शादी के बाद पति को उसका काम करना पसंद नहीं था इसलिये उसने

नौकरी छोड़ कर अपने आपको घर परिवार के लिए समर्पित कर लिया था और शादी की बाद

कुछ सालों तक तो वह ख़ुश भी थी पति के साथ आम दम्पत्तियों को तरह कामिनी ओर नरेश

साथ साथ घूमने जाते ,नरेश उसको उसकी मन पसंद चीज़ों की शोपिंग भी ख़ूब कर वाता।

दोनों अमन चैन की ज़िन्दगी जी रहे थे ।कामिनी तो नरेश को पति रूप मे पाकर सुख के

हिडोले मे झूल रही थी ।

       अगला भाग

हार की जीत (भाग 2) – माधुरी बसलस : Moral Stories in Hindi

       माधुरी

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