घर की जिस बेटी पर सभी को गर्व था , भाई भाभी की गरीब स्थिति पर उसी ने उड़ाया उनका मजाक !! : भाग 1

Moral Stories in Hindi :  भाभी , प्लीज मेरा स्वेटर पहले बुन लिजिएगा ना , ठंड आनेवाली हैं और मुझे सुबह सुबह कॉलेज जाना होता हैं , बहुत मनुहार से गीतांजली ने अपनी भाभी रक्षा से कहा !!

 गीतांजली भलीभांती जानती थी कि रक्षा भाभी सारे काम छोड़कर पहले उसका काम करेंगी , आखिर अपनी छोटी ननंद की बात कैसे मना कर सकती हैं ??

रक्षा बोली , गीतांजली तु क्यों चिंता कर रही हैं ?? अभी सर्दियां आने में पुरे पंद्रह दिन बाकी हैं और स्वेटर बुनने में मुझे सिर्फ दो दिन लगते हैं !!

गीतांजली बोली , पिछली बार आपने भैया का स्वेटर मुझसे पहले बुनकर दे दिया था भाभी इसलिए याद दिला रही थी आपको बस !!

रक्षा बोली अरे पगली !! तेरे भैया को पिछली बार बाहर जाना था इसलिए उनका स्वेटर पहले बुन दिया था मगर इस बार तेरा स्वेटर सबसे पहले तैयार करूंगी बस !!

गीतांजली झट से बोली मेरी प्यारी भाभी !! मैं जानती थी घर में आप सबसे पहले मेरा ही स्वेटर बुनकर तैयार करेंगी और दोनों ननंद – भाभी हंस पड़े !!

रक्षा गीतांजली की प्यार भरी बातें सुनकर अतीत में खो गई जब वह पहली बार इस घर में दुल्हन बनकर आई थी !! कितना डर था उसके मन में ससुराल वालों के प्रति मगर जैसे जैसे दिन गुजरने लगे उसे समझ आ गया कि सभी ससुराल वाले बुरे नहीं होते !! सास रमीला जी और ससुर कृष्णकांत जी बेटे बहु की शादी की बाद भजन कीर्तन और रिश्तेदारी में यहां वहां घूमने में लग गए थे !! रमीला जी ने पुरी ग्रहस्थी का भार रक्षा पर सोंप दिया था और कृष्णकांत जी ने दुकान बेटे भावेश के हवाले कर दी थी !! भावेश पहले तकनीशियन का काम  किया करता था मगर कृष्ण कांत जी ने भावेश को अपनी खुद की दुकान पर बैठा दिया और बोले जब हमारा खुद का व्यवसाय हैं तो दूसरों के यहां नौकरी क्यों करना ?? मन मारकर भावेश ने दुकान संभाल ली !! भावेश की छोटी बहन गीतांजली पर सभी को बहुत गर्व था क्योंकि वह दिखने में बहुत सुंदर और पढ़ने में भी बहुत होशियार थी !! घर में सभी लोग कहते कि वह एक दिन सभी का नाम खुब रोशन करेगी !! भावेश की छोटी बहन गीतांजली के भी रक्षा के सानिध्य में मौज थी !! गीतांजली हमेशा अपनी भाभी रक्षा के इर्द गिर्द मंडराती क्योंकि रक्षा उसकी सारी फरमाईशें जो पुरी करती !!

रक्षा अपने ससुराल में पुरी तरह रच बस गई थी !! पति भावेश का साथ पाकर रक्षा ओर निखर गई थी !!

कृष्णकांत जी और रमीला जी रिश्तेदारों के वहां जाते तो उन पर खुब पैसा लुटाकर आते खासकर कृष्णकांत जी अपनी बहन जो कि भावेश की बुआ होती थी उन्हें खुब पैसा देते जबकि बुआजी के घर में कृष्णकांत जी से ज्यादा अच्छा था बस उनकी यही आदत भावेश और रक्षा को गलत लगती मगर माता पिता को यह बात कहने की दोनों में हिम्मत नहीं थी !! वे नहीं चाहते थे कि बात का उल्टा मतलब निकाला जाए क्योंकि अब वे दोनों बुढ़े कुछ काम काज नहीं करते थे इसलिए बेटे बहु के यह शब्द शायद बर्दाश्त ना कर पाए फिर भी एक दिन भावेश अपने पिताजी से बोला पिताजी , आप इतना पैसा रिश्तेदारों पर क्यों लुटा देते हो ??

कृष्णकांत जी बोले , हमें जब काम पड़ेगा तब यह रिश्तेदार ही तो हमारे काम आएंगें बेटा !! इनके उपर पैसा खर्च करना व्यर्थ नहीं होगा देखना !!

खैर थोड़े महिनों बाद रक्षा ने दो जुड़वा बच्चों को जन्म दिया मगर यह खुशी देखने से पहले कृष्णकांत जी भगवान को प्यारे हो चुके थे !! यहां गीतांजली की भी पढ़ाई पुरी हो चुकी थी और उसके लिए रिश्तों की कतार लग चुकी थी !! गीतांजली सुंदर और पढी लिखी लड़की थी , कोई भी लड़का उसे शादी के लिए रिजेक्ट नहीं कर सकता था यह बात गीतांजली अच्छी तरह जानती थी इसलिए गीतांजली आए हुए सारे रिश्तों के घर परिवार का पुरा बायोडाटा देखती ताकि वह सबसे अच्छा लड़का पसंद कर पाए !!

आखिरकार इतने रिश्तों में से गीतांजली ने एक लड़के को अपने लिए पसंद कर ही लिया !!

महेश नाम था उसका , लंबा चौड़ा और खानदानी रईस !! महेश खुद भी बडी पोस्ट पर कार्यरत था और उनका खानदान भी पहले से अमीर था जैसा गीतांजली चाहती थी !!

गीतांजली और महेश की शादी की तारीख चार महिने बाद की तय हो चुकी थी !!

अगला भाग

घर की जिस बेटी पर सभी को गर्व था , भाई भाभी की गरीब स्थिति पर उसी ने उड़ाया उनका मजाक !! : भाग 2

आपकी सहेली

स्वाती जैंन

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