गलती का अहसास – के कामेश्वरी 

रमेश और रचना के तीन बच्चे थे । सबसे बड़ा लड़का शिशिर था उसके बाद जूही और ख़ुशबू । रचनाके घर जो भी आते थे उनके बच्चों के नाम सुनकर कहते थे तुम्हारा घर तो बाग है । शिशिर नेइंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और एक बहुत बड़े कंपनी में नौकरी करने लगा था । जूही बी एस सीके आख़री साल में थी और ख़ुशबू इंटरमीडिएट सेकेंड इयर में पढ़ रही थी 

एक दिन सुबह सुबह रचना के भाई आए। रचना की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था।  वे उसके सबसे बड़ेभाई विराट थे । जो हज़ारों बार बुलाने पर भी काम का बहाना बनाकर नहीं आए थे ।उन्हें आज अपनेघर में देख कर उसे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था । 

विराट ने कहा कि— बहना मैं ही हूँ आज तुमसे काम की बात करने आया हूँ । रमेश कहाँ है?

रचना ने कहा—- बड़े भैया रमेश आ रहे हैं आप बैठिए मैं आपके लिए कॉफी लाती हूँ । उसे मालूम थाकि बड़े भाई चाय नहीं पीते हैं उन्हें कॉफी पीने की आदत थी । इसके लिए पिताजी उन्हें बहुत डाँटाकरते थे । माँ चुपचाप कॉफी बनाकर उन्हें पिला देती थी । 

रमेश भी फ़्रेश हो कर आ गए उन्हें भी भाई को देखते ही आश्चर्य ही हुआ था । मैं सबके लिए चाय भाईके लिए कॉफी बनाकर लाई चाय नाश्ता के बाद बैठकर हम बातें कर रहे थे तब भाई ने कहा रमेशशिशिर तो नौकरी कर रहा है न !

रमेश ने कहा कि-जी दो साल से नौकरी कर रहा है । 




विराट ने कहा कि— तुम दोनों से इसके बारे में बात करने के लिए ही मैं सुबह सुबह आया हूँ । अगर तुमदोनों उसकी शादी करने के लिए तैयार हो तो मैं कुछ कहूँगा । 

दोनों ने एक साथ कहा कि—भाई हमने शिशिर से बात की है वह भी शादी के लिए राज़ी हो गया है बसअब लड़की ढूँढने का काम है । 

विराट ने कहा— चलो अब मुद्दे पर चर्चा करते हैं । मेरी नज़र में एक लड़की है जो पढ़ी लिखी है सुंदर हैऔर नौकरी कर रही है । अगर आप लोगों को कोई एतराज़ नहीं है तो मैं उन लोगों को बुला लेता हूँ । 

रचना ने कहा कि— आप जो भी करोगे हमारे भले के लिए ही करोगे हमें आप पर बहुत भरोसा है । हमही उनके घर लड़की देखने चले जाते हैं क्यों रमेश आपका क्या कहना है ?

रमेश ने कहा कि— मोहतरमा आप जैसा कहें वैसा ही । फिर क्या था सबने तय कर लिया था किशनिवार का दिन अच्छा है दोनों बच्चों की भी छुट्टी रहेगी । उसी समय शिशिर आया मामा को देखते हीउनके गले लग गया । विराट से सभी बच्चों को लगाव था । 

विराट ने उसे भी सब बताया वह भी राजी हो गया । विराट ने कहा कि—बहना अब मैं चलता हूँ शनिवारको आऊँगा हम सब मिलकर उनके घर चलेंगे । 

रचना ने कहा कि—भाई खाना खाने के लिए रुकिए न । 

विराट ने कहा— रचना शादी में खाएँगे न बेटा अभी मुझे काम है उन लड़की वालों को बताना भी है नचलता हूँ कहते हुए चले गए । 

रचना बहुत ही खुश थी साथ ही डर भी लग रहा था कि घर में कैसी बहू आएगी घर सँभाल पाएगी यानहीं? फिर उसने सोचा पहले शादी तो हो जाए फिर देख लेंगे । रचना अपने परिवार के साथ भाई केबताए पते पर पहुँची । उनका घर बहुत बड़ा था । उनकी अकेली लड़की थी सुगंधी । औपचारिकताओंके बाद सुगंधी को बुलाया गया था । रचना को तो देखते ही सुगंधी भा गई थी । उसे और शिशिर कोबात करने का मौक़ा दिया गया । आपस में बातें करने के बाद दोनों ने हामी भर दी ।  किसी काइंतज़ार तो करना नहीं था इसलिए चट मँगनी पट ब्याह हो गया । सुगंधी घर में आ गई थी । ख़ुशबूसुगंधी के आगे पीछे घूमती थी । जूही को मालूम नहीं पहले ही दिन से सुगंधी पसंद नहीं आई थी ।इसलिए वह उससे सीधे मुँह बात भी नहीं करती थी । सुगंधी ने कभी भी इस बारे में किसी से भी बातनहीं की थी । वह सबेरे ही उठकर रचना के काम में हाथ बँटाती थी सबके साथ अपना और शिशिर काभी टिफ़िन बाँध लेती थी और शिशिर उसे छोड़ता हुआ अपने ऑफिस जाता था । सुगंधी शाम को आतेही फिर काम में लग जाती थी । 




रचना हमेशा सोचती थी कि इतने बड़े घर में अकेली संतान होने पर भी सुगंधी में गर्व नहीं है और सारेकाम करने आते हैं । वह हमेशा जूही से कहती थी कि बहू को देखकर सीख कल तुझे भी ससुरालजाना है । जूही को और ग़ुस्सा आता था इसलिए मौके की तलाश में रहती थी कि कब सुगंधी को घरवालों की नज़र में नीचा दिखाऊँ । एक दिन उसने सोचा आज भाभी से पहले ही उठकर रसोई में माँ काहाथ बँटाती हूँ तो माँ को लगेगा कि बहू अब तक उठी नहीं है और बेटी को काम करना पड़ रहा है ।ऐसा सोचते हुए गुनगुनाते हुए रसोई में पहुँची ये क्या भाभी तो पहले से ही वहाँ मौजूद है । उसे बहुतग़ुस्सा आया । जब कोई माँ के आसपास नहीं थे तब माँ के कान भरने लगी क्या माँ आप भी भाभी केसाथ बहू जैसा व्यवहार क्यों नहीं करती हैं । सास बनो और अपने तेवर दिखाओ न !!

रचना ने कहा कि— देख जूही कई दिनों से मैं तेरे रंग ढंग देख रही हूँ । सुगंधी तुझे फूटी आँख नहीं भारही है । तुझे भी तो ससुराल जाना है । मैं इस तरह के बर्ताव को बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ । उससेअच्छी बातें सीख । 

अरे!! रहने दो माँ मुझे उनसे कुछ नहीं सीखना है।  मैं जैसी हूँ वैसी ही भली।  आपकी बहू आपकोमुबारक आप भी भैया के समान उनके आगे पीछे घूमते हुए रहिए । छुटकी है न आपका साथ देने केलिए । 

जब उनकी असलियत सामने आएगी तब रोओगे बैठकर हाँ । 

रचना सोच रहीं थीं कि इसमें किसके गुण आएँ हैं मालूम नहीं हम तो कोई भी ऐसे नहीं हैं । 




दो दिन बाद शाम को सुगंधी अपनी माँ से बात कर रही थी और जूही चुपके से उनकी बातों को सुन रहीथी । उसने सुना कि सुगंधी कह रही थी कि माँ वह सेट मुझे बहुत पसंद आया है।  आप ले लीजिएपैसों की चिंता मत कीजिए ।मैं आपको ट्रांसफ़र कर दूँगी । और हाँ जो ड्रेस मैंने भेजा है उसी के मापका सिलवा दीजिए। माँ मुझे दो दिन में चाहिए ठीक है और माँ मेरे ऑफिस में भेज देना घर पर नहीं ।माँ मैं आपसे बाद में बात करती हूँ कहकर फ़ोन रख देती है । 

जूही माँ के पास पहुँच जाती है और कहती है कि—-मैंने कहा था न भाभी बड़ी होशियार है । वहआपको कुछ नहीं बताती है । 

रचना ने कहा कि— क्या हो गया है जूही अब बहू ने क्या कर दिया है जो उसके पीछे पड़ गई है ।

 जूही को ग़ुस्सा आया और कहने लगी —- हाँ हाँ मैं ही बुरी हूँ आपकी बहू तो दूध की धुली हुई है ।मालूम है वह अपनी माँ को फोन करके सोने का सेट बनवा रही है । आपको बताया है उसने नहीं न ।मैंजानती हूँ माँ वह आपको बुद्धू बनाती है । 

रचना ने कहा कि— जूही वह नौकरी करती है और उसके पैसों को वह कैसे भी खर्च करेगी हमें उसमेंदख़लंदाज़ी नहीं करना चाहिए । 

वाहह माँ क्या कहने आपको तो वह बहुत मानती है पर ख़रीदारी की भनक भी नहीं लगने दी । मुझे क्याहै जो मुझे मालूम था उसे मैंने बताया है बाद में आपकी मर्ज़ी । जूही ने देखा कि जैसे ही उसने भाभी कीख़रीदारी के बारे में बताया माँ के चेहरे के रंग बदल गए हैं । 

उसने सोचा कि चलो माँ के मन में भाभी के लिए एक शक का बीज बो दिया है । अब दोनों के बीच वोदोस्ती नहीं रहेगी । जूही ख़ुशी ख़ुशी वहाँ से चली गई । 




ऐसी लड़कियाँ हों तो मायके और ससुराल दोनों की शांति भंग हो जाएगी । 

(दो दिन बाद)जूही ने देखा कि जब भाभी ऑफिस से आई थी । उनके हाथों में बैग था जिसे वे अपनेकमरे में लेकर चली गई थी । 

सुगंधी ने हाथ पैर धोया और खाना बनाने में लग गई । 

रात का खाना सब एक साथ बैठकर खाते थे । जैसे ही सुगंधी ने खाने पर बुलाया सब लोग खाना खानेआ गए । सास बहू ने मिलकर पूरा काम ख़त्म किया था । रचना अब सुगंधी से खुलकर बात नहीं कररही थी । जूही इस बात पर बहुत खुश थी । 

सुगंधी ने कहा—- आप सब सोने के लिए जाएँ इससे पहले मैं आप लोगों से कुछ कहना चाहती हूँ ।सब लोग सुगंधी की तरफ़ देखने लगे कि क्या बात है क्या कहना चाहती है । उसने जूही से कहा जूहीइधर आना जरा । 

जूही डर गई कि कहीं उन्हें पता तो नहीं चल गया है कि माँ के इस तरह के बर्ताव का कारण मैं हूँ । डरतेडरते वह आगे आई ।

सुगंधी ने कहा— जूही कल तुम्हारा जन्मदिन है और मैं ऑफिस चली जाऊँगी इसीलिए तुम्हें जन्मदिनकी बधाई देना चाहती हूँ कहते हुए सोने का सेट उसे दिया और कहा मैंने अपनी माँ से कहकर ऑर्डरदिलवाया है मुझे बहुत अच्छा लगा था मैंने सोचा तुम पर भी अच्छा लगेगा । जूही को काटो तो खूननहीं था । उसी समय सुगंधी ने कहा— मुझे माफ करना जूही तुमसे बिना पूछे मैंने तुम्हारी एक ड्रेस माँको भेज दी थी ताकि वे उसी नाप से तुम्हारे लिए एक नया ड्रेस सिलवा सके सॉरी कान पकड़ कर कहा। जूही की तो जैसे बोलती ही बंद हो गई थी । उसके आँखों से आँसू बहने लगे उसने सुगंधी को गलेलगाया और रोने लगी कि— भाभी मुझे माफ कर दीजिए । मैं आपको कितना ग़लत समझती थी ।आज मुझे मालूम हो गया है कि माँ आपकी तारीफ़ क्यों करती हैं । इस घर में मैं ही एक हूँ जो कान कीकच्ची हूँ । मैं अपनी सहेलियों से उनकी भाभियों की करतूतें सुनती थी तो मुझे लगता था कि मेरी भाभीभी ऐसी ही होगी । माँ ने मुझे बहुत समझाया परंतु मुझे लगता था कि आप दिखावा कर रही हैं ।आजमुझे अपनी गलती का अहसास हो गया भाभी मुझे माफ कीजिए न प्लीज़ । 




रचना ने कहा कि— देखो जूही जब जागे तभी सवेरा है । तुम्हें अपनी गलती का अहसास हो गया हैइससे ज़्यादा अच्छा और कुछ नहीं है । 

सुगंधी ने कहा कि—आप लोग यह कौनसी बातें लेकर बैठ गए हैं । कल जूही का जन्मदिन मनाना हैवह भी ख़ुशी से तो चलो बारह बजने वाले हैं केक कट करते हैं । सबने केक काटा और जूही कोजन्मदिन की बधाइयाँ दीं । रचना सोच रही थी कि चलो जूही को समझ आ गई है । अब मेरी भी चिंतामिट गई है । 

स्वरचित 

बेटियाँ जन्मोत्सव 

पाँचवीं— कहानी 

के कामेश्वरी

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