फेसबुक का प्यार – प्यार या धोखा- संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :

” अर्पिता हमें बात करते हुए कितने दिन हो गये क्या आपको नही लगता अब हमें मिलना चाहिए और अपने भविष्य के लिए कोई फैसला करना चाहिए ?” सिद्धार्थ ने अर्पिता से फोन पर कहा।

” मिलना तो मैं भी चाहती हूँ आपसे बताइये ….कहाँ मिलना है इस इतवार का प्रोग्राम बनाते है आप दिल्ली आ जाइये !” अर्पिता ने कुछ सोच कर मिलने की हां कर दी।

कहानी को आगे बढ़ाने से पहले मैं आपको बता दूँ अर्पिता एक बत्तीस साल की विधवा है जो की बैंक मे नौकरी करती है। उसकी एक पांच साल की बेटी भी है। तीस वर्षीय सिद्धार्थ से उसकी बात छः महीने पहले फेसबुक के जरिये हुई थी। धीरे धीरे दोस्ती हुई और फिर दोनो मे प्यार हो गया । क्योकि अर्पिता के घर वाले भी उसकी दूसरी शादी करना चाहते थे और अर्पिता सिद्धार्थ से मिलकर आगे का फैसला करना चाहती थी । वैसे भी सिद्धार्थ अर्पिता के बारे मे सब जानते हुए उसे बेटी सहित अपनाना चाहता था।

तय समय पर सिद्धार्थ अपने तय किये होटल मे पहुंचा जहा अर्पिता पहले से उसका इंतज़ार कर रही थी।

” हेलो अर्पिता कैसी हो ?” सिद्धार्थ अर्पिता के पास आ हाथ मिला कर बोला।

” मैं ठीक हूँ आप बताइये !” अर्पिता ने मुस्कुरा कर कहा औपचारिक बातो के बाद बात असली मुद्दे पर आई।

” देखो अर्पिता तुम तो जानती हो मेरे माता पिता तो है नही भैया भाभी है जो कि मुंबई मे रहते है और बहुत जल्द यहां आने वाले है जैसे ही वो आते है मैं उनसे तुम्हे मिलवा दूंगा !” सिद्धार्थ बोला।

” ठीक है सिद्धार्थ पर इससे पहले तुम मेरे माता पिता और मेरी बेटी से मिल लो !” अर्पिता ने कहा इतने उन दोनो का ऑर्डर भी आ गया क्योकि सिद्धार्थ मेरठ से आया था तो उसे भूख भी लगी थी । दोनो ने खाना शुरु किया।

” देखो अर्पिता मैं चाहता हूँ तुम पहले मेरे भाई भाभी से मिल लो फिर हम तुम्हारे माँ बाप से भी मिल लेंगे अभी मैं दस बारह दिनों के लिए दिल्ली मे हूँ क्योकि मेरे भाई भाभी भी अगले हफ्ते आ रहे है और मुझे भी यहाँ काम है फिर हमारी शादी फाइनल करके ही यहां से जाऊंगा मैं !” सिद्धार्थ अर्पिता का हाथ पकड़ प्यार से बोला । अर्पिता शरमा गई। खाना खत्म कर दोनो उठ गये ।

” ओह्ह शिट लगता है मैं अपना पर्स होटल मे ही भूल आया मेरे सारे कार्ड्स भी उसी मे है !” जेब मे हाथ डालता सिद्धार्थ परेशान हो बोला।

” कोई बात नही पेमेंट मैं कर देती हूँ !” अर्पिता बोली।

” नही नही तुम क्यो करोगी ..पता नही कैसे ये गलती हो गई पहली बार तुमसे मिला और ये सब !” सिद्धार्थ दुखी हो बोला ।

” कोई बात नही अब हम अलग थोड़ी है !” ये बोल अर्पिता ने पेमेंट कर दी जो की अच्छी खासी थी क्योकि सिद्धार्थ ने उसे 5 सितारा होटल मे बुलाया था।

अगले दिन शाम को मिलने का वादा कर दोनो ने विदा ली। अर्पिता सिद्धार्थ के दिल्ली रुकने से खुश थी क्योकि अब उससे रोज मिलकर उसके बारे मे और जान सकेगी।

” अर्पिता चलो तुम्हे शॉपिंग करवाता हूँ आज कल तो मैं कोई गिफ्ट भी नही लाया था वो क्या है ना कि मुझे लड़कियों के गिफ्ट लेने नही आते !” अगले दिन सिद्धार्थ बोला ।

” नही नही मुझे कुछ नही चाहिए !” अर्पिता बोली पर सिद्धार्थ नही माना और दोनो एक मॉल मे आ गये।

” देखो ये ड्रेस कितनी सुंदर है !” सिद्धार्थ अर्पिता को एक ड्रेस दिखाता हुआ बोला।

” हाँ सुंदर तो है !” अर्पिता ड्रेस हाथ मे ले बोली।

” तुम इसे ट्राई करो इतने मैं अपने लिए कुछ देखता हूँ !” ये कहकर सिद्धार्थ मेन्स वियर सेक्शन मे आ गया !

” कुछ पसंद आया तुम्हे !” थोड़ी देर बाद अर्पिता ने आकर पूछा।

” हां ये सब …तुम ऐसा करो इनका बिल बनवाओ इतने मुझे मोबाइल लेना है मैं आ कर पेमेंट करता हूँ !” सिद्धार्थ अर्पिता को कई जोड़े कपड़े पकड़ाता हुआ बोला। अर्पिता बिल काउंटर की तरफ चली गई चूँकि वहाँ भीड़ थी तो अर्पिता को दस मिनट लग गये पर सिद्धार्थ नही आया तो पेमेंट करके अर्पिता मोबाइल शॉप् मे जाने लगी पर सिद्धार्थ उसे गेट पर मिल गया।

” ले लिया मोबाइल !” अर्पिता उसे देख कर बोली।

” नही …वो असल मे मेरे कार्ड का के वाई सी नही हुआ व्यस्तता के कारण मुझे ध्यान ही नही रहा अब पेमेंट हो नही सकती और बैंक मेरा मेरठ का है । ड्रेस भी वापिस करनी पड़ेंगी !” सिद्धार्थ मुंह लटका कर मासूमियत से बोला।

” अरे ड्रेस के पैसे मैने दे दिये और तुम मोबाइल भी मेरे कार्ड से ले लो !” सिद्धार्थ को कार्ड पकड़ाती अर्पिता बोली।

“नही नही ऐसे कैसे मुझे तो लगता है कल ही वापिस भी जाना पड़ेगा क्योकि बिन पैसे मैं यहाँ कैसे रह सकता हूँ !” सिद्धार्थ बोला ।।

” तुम और मैं अलग थोड़ी और फिर भी तुम्हे दिक्कत है तो बाद मे पैसे वापिस कर देना अभी तुम अपने सब बिल मेरे कार्ड से पे कर देना !” अर्पिता ने कहा । थोड़ी ना नुकुर के बाद सिद्धार्थ ने चालीस हजार का मोबाइल ले लिया और दोनो बाहर आये ।

अगले एक हफ्ते तक अर्पिता सिद्धार्थ का सब खर्च उठाती रही क्योकि वो उससे शादी करने वाली थी तो उसे इसमे कुछ गलत भी नही लग रहा था वैसे भी सिद्धार्थ का कार्ड ब्लॉक हुआ था तो और कोई चारा भी नही था ।

” सिद्धार्थ तुम्हारे भाई भाभी आने वाले थे ?” एक दिन अर्पिता ने पूछा।

” हां पर अभी आये नही !” सिद्धार्थ उसे टालता हुआ बोला।

अगले कुछ दिन वो उसे ऐसे ही टालता रहा अब अर्पिता को शक होने लगा सिद्धार्थ पर कि कहीं वो उसे बेवकूफ तो नही बना रहा।

” सुनो सिद्धार्थ मम्मी पापा तुमसे और तुम्हारे भाई भाभी से मिलना चाहते है ऐसा करते है वो लोग यहां नही आ पा रहे तो इस इतवार हम मुंबई चलते है और उनसे मिल लेते है !” एक दिन अर्पिता ने सिद्धार्थ को फोन करके कहा ।

” अरे नही नही वो लोग खुद आ जाएंगे …अच्छा ये बताओ आज कहा चलना है मेरे होटल चले अभी तक हम पब्लिक मे मिले है थोड़ा वक़्त हमें अकेले मे भी बिताना चाहिए !” सिद्धार्थ बोला।

” नही सिद्धार्थ तुम पहले मुझे अपने भाई भाभी से मिलवाओ या फिर कम से कम मेरे माता पिता से ही मिल लो तुम अब हमें यूँ मिलते हुए पंद्रह दिन हो गये है !” अर्पिता बोली।

” अच्छा कल मिल लेंगे आज तुम आ रही हो ना मेरे से मिलने !” सिद्धार्थ बोला । सिद्धार्थ का बार बार अकेले मे मिलने बुलाना अर्पिता को अजीब लग रहा था वैसे ही उसके मन मे शक का बीज पड़ गया था इसलिए उसने इंकार कर दिया।

” जब तक तुम अपने भाई भाभी से नही मिलवाओगे मैं तुमसे ना अकेले मे मिलूंगी ना पब्लिक मे !” अर्पिता थोड़े गुस्से मे बोली। सिद्धार्थ उसकी बात से खफा हो गया और फोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद अर्पिता ने उसे फिर कॉल किया तो फोन बंद आ रहा था उसे बड़ा अजीब लगा फिर उसे लगा शायद सिद्धार्थ ने नाराजगी मे फोन बंद कर दिया उसने मेसेंजर पर उसे मेसेज छोड़ने की सोची। पर ये क्या जैसे ही उसने मेसेंजर खोला देखा सिद्धार्थ ने तो उसे ब्लॉक कर रखा था। उसने अपनी दोस्त और बैंक सहकर्मी की id से सिद्धार्थ से सम्पर्क करना चाहा पर उसे सिद्धार्थ की id मिली ही नही मतलब उसने बंद कर दी थी id।

पर क्यो अर्पिता के मन मे सवाल कौंधा उसने अपनी दोस्त से अपनी शंका जाहिर की।

” अर्पिता तुझे अभी भी बस शक है पर मुझे यकीन है वो भाग गया है । तुम्हे पता है वो किस होटल मे रुका है ?” उसकी दोस्त मानसी बोली।

” नही मुझे उसने होटल का नाम ही नही बताया!” अर्पिता परेशान हो बोली।

” अच्छा तुम्हारे पास उसकी कोई पिक्चर होगी चलो पुलिस स्टेशन रिपोर्ट करते है !” मानसी बोली।

” नही मानसी उसने कोई पिक्चर खींचने ही नही दी ये बॉल कि उसे पसंद नही और जब शादी हो जाएगी तब तो मैं असलियत मे साथ होऊंगा पिक्चर की क्या जरूरत !” अर्पिता अब रुआंसी हो उठी !

” ओह मतलब वो तुम्हारे पैसे खर्च करवा भाग गया अब उसका नाम भी असली है या नही इसमे भी शक है अब !” मानसी सिर पीटते हुए बोली।

” अब मैं क्या करूँ मानसी !” अर्पिता रोते हुए बोली।

” देख अर्पिता पुलिस स्टेशन चल उसके खिलाफ रिपोर्ट तो लिखवा सकते है हम पर कोई सुबूत नही ऐसे मे पुलिस वाले तुम्हे ही परेशान करेंगे तुम्हारे चरित्र पर ऊँगली उठायेगे । तुम ये शुक्र करो अभी सिर्फ पैसा गया तुम्हारा इज्जत नही क्योकि ऐसे लोग तुम जैसी मासूम औरतों का भरोसा जीत हर तरह से फायदा उठाते है बस !” मानसी ने उसे समझाया।

अर्पिता दुखी और हैरान थी कैसे कोई इंसान छह महीने तक प्यार के वादे करने के बाद ऐसे धोखा दे सकता है वो भी कुछ रुपयों के लिए वो टूट चुकी थी इस धोखे से इसलिए छुट्टी ले घर आ गई और अपने कमरे मे आ कटे वृक्ष सी बिस्तर पर गिर पड़ी और रो दी।

अगले कुछ दिन तक उसने बार बार सिद्धार्थ का नंबर मिलाने की कोशिश की पर वो बंद आ रहा था । उसके नंबर के आधार पर उसने पुलिस कम्प्लेन की सोची भी पर फिर ये सोच कर चुप हो गई कि इससे उसकी बेटी को उसके माँ बाप को कितना कुछ सहना पड़ेगा क्योकि हमारा समाज औरतों को ही दोष देता है ऐसे मामलो मे और वो तो विधवा भी है। और फिर उसने सिद्धार्थ पर भरोसा करके उसे अपनी मर्जी से पैसे दिए थे।

थोड़े दिनों मे अर्पिता ने खुद को सामान्य कर लिया पर वो सिद्धार्थ के धोखे को कभी नही भूल सकती थी क्योकि उसने सच्चा प्यार किया था और बदले मे उसने उसके लाखो रूपए के साथ साथ उसके विश्वास पर भी डाका डाला था। अब उसने सारी उम्र शादी ना करने की कसम खाई।

दोस्तों अक्सर हम सोशल मीडिया पर ऐसे लोगो से टकरा जाते है जो हमारे सच्चे हितेषी बनने का नाटक कर हमारी सारी जानकारी हांसिल कर लेते है और तब शुरु होता है इनका खेल । ये अपना खेल इतनी मासूमियत से खेलते है कि जब तक इन पर शक हो ये हमें चपत लगा रफूचक्कर हो जाते है ऐसे लोगो से सावधान रहना चाहिए । मैं ये नही कहती सब गलत होते है पर जहाँ बात पैसे की आये वही समझ लो कुछ गड़बड़ है वैसे भी फेसबुक वाला प्यार बहुत कम सच्चा होता है।

आपकी दोस्त संगीता अग्रवाल (( स्वरचित)

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