रेवती को चिंता के साथ-साथ बहुत डर भी लग रहा था क्योंकि उसकी दूसरी संतान भी लड़की थी।
” इतना मत सोचो रेवती !! इस वक्त तुम्हारी सेहत पर असर पड़ेगा” डाॅक्टर नम्रता ने रेवती को समझाया।
पर रेवती अनवरत रो रही थी” आप नहीं जानती डाॅक्टर नम्रता अभी मेरे ससुराल वाले मुझसे बुरा व्यवहार करेंगे। “
” डाॅक्टर विशाल!! अब आप ही रेवती को समझाए इस तरह रोने से इसकी आँखे कमजोर हो जाएगी।”
डाॅक्टर विशाल रेवती के पति और डाॅक्टर नम्रता के बहुत अच्छे दोस्त व कलीग थे।
” क्या पागलपन सवार हैं रेवती!! तुम्हें किसने कहाँ की दूसरी बेटी होने पर सभी नाराज होंगे?” डाॅक्टर विशाल परेशान थे।
” मुझे किसी ने नहीं कहा पर मैंने एक दिन सासु-माँ और बुआजी को बातचीत करते सुना था की दूसरी बेटी नहीं बेटा ही होना चाहिए आपके बड़े भाई-बहन के भी एक संतान बेटा व एक संतान बेटी हैं। “
” क्या माँ बुआजी की बात का समर्थन कर रही थी?”
” नहीं सासु-माँ कुछ नहीं बोली बस मुस्कुराती रही पर उनकी चुप्पी बहुत कुछ कह रही थी” रेवती फिर रोने लगी थी।
” रेवती मैं आन्टी जी को बहुत पहले से जानती हूँ वो दकियानूसी नहीं हैं और डाॅक्टर विशाल का परिवार निःसंदेह अच्छा हैं” डाॅक्टर नम्रता ने रेवती को समझाया।
” पर अभी तक अपनी पोती से मिलने दादा-दादी क्यों नहीं आए?” रेवती अभी भी निराश थी।
” रेवती!! तुम मनोविज्ञान की प्रवक्ता हो कोई अनपढ़ औरत नहीं हो जो इस तरह की बातें कर रही हो?” डाॅक्टर विशाल नाराज नजर आए।
” डाॅक्टर विशाल!! कृपया मेरी मरीज पर नहीं चिल्लाए, इन्हें आराम करने दे” डाॅक्टर नम्रता बोली।
और वे दोनों रेवती को अकेला छोड़ कर बाहर आ गये।
” डाॅक्टर विशाल मुझे लगता हैं रेवती को हारमोनल समस्या हो गयी हैं, कई बार बच्चे के जन्म के बाद माँ मानसिक अवसाद का शिकार होने लगती हैं, यह एक स्वाभाविक शारीरिक स्थिति हैं वरना रेवती जैसी सुशिक्षित औरत इस तरह की बातें नहीं करती, आप संयम से काम ले” डाॅक्टर नम्रता ने समझाया।
” पर कोई घबराने वाली बात तो नहीं हैं?” डाॅक्टर विशाल चिंतित थे।
” नहीं मैंने कुछ दवाईया उन्हें दी हैं जिससे उन्हें नींद आ जाएगी और उठने के बाद वह काफी तरोताजा महसूस करेगी।”
रेवती एक गहरी नींद से जागी और आसपास नजरें दौडाई।
अरे ये क्या ….!!! पूरा कमरा फूलों से महक रहा था एक वेलकम केक मेज पर पड़ा था ,रेवती के ससुराल वाले उसके माता-पिता व भाई सभी एक स्वर में बोले।
” बिटिया के जन्म की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ रेवती।”
रेवती ने देखा सासु-माँ अपनी गोद में लेकर बिटिया को एकटक निहार रही थी उसे अपनी आखों पर विश्वास नहीं हुआ।
जब डाॅक्टर विशाल ने अपने माता-पिता व घरवालों को रेवती की तबीयत के बारे मे बताया तो रेवती की सासु-माँ उससे बोली।
” रेवती तुमने मुझे एक और पौत्री का सुख देकर अपना कर्जदार बना लिया हैं,अरे बेटियाँ तो किस्मत वालों को मिलती हैं ।”
” फिर मम्मी जी आपने उस दिन बुआ जी की अनुचित बातों का जवाब क्यों नहीं दिया?”
” मैंने बात को बढ़ाना उचित नहीं समझा और वैसे भी ननद जी मुझसे उम्र में बड़ी हैं पर तुमने उनकी बातों को दिल से लगा लिया, वैसे वो थोड़े पुराने विचारों की हैं पर दिल से बुरी नहीं हैं, बिटिया के आने की खबर सुनकर वह बहुत खुश हैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आएगी, और रही बात हमारे देरी से आने वाली तो यह सब तैयारियां करने में देर हो गयी” सासु-माँ मुस्कुराते हुए बोली।
” रेवती तुम मनोविज्ञान की प्रवक्ता हो पर मनोभावों को कैसे नहीं पहचान पायी?” डाॅक्टर नम्रता ने कहा।
” ये दूसरी बेटी के प्रति भ्रांतिया हमारे समाज में इस कदर फैली है शायद इसलिए मेरा डर मुझ पर हावी हो गया हैं” रेवती ने कहा।
” आप सब मेरी बात समझे रेवती अभी एक सामान्य निराशावादी मानसिक अवस्था से गुजर रही हैं इस स्थिति में आप सबको उसकी सोच सकारात्मक रखनी होगी अतः ऐसी व्यर्थ बातों से कृपया दूर रखा जाए” डाॅक्टर नम्रता ने रेवती के परिवार से कहा।
सखियों यह एक आम सामाजिक मान्यता हैं लोग तो कुछ भी बोलकर बरी हो जाते हैं पर अति भावुक माँ उसे अपने दिल पर ले लेती हैं।
बेटी हमारा स्वाभिमान हैं और समाज में कितने ही उत्कृष्ट उदाहरण हैं जिसमे बेटियों ने माता-पिता का नाम रोशन किया हैं,बेटियां ना सिर्फ एक वंश का बल्कि दो वंशो का नाम रोशन करती हैं, आज भी कितने ही बुजुर्गों की यह धारणा हैं कि सिर्फ़ बेटे ही वंश को आगे बढ़ा सकते हैं और बेटियां पराई अमानत होती हैं उनसे मेरा अनुरोध हैं कृपया अपने विचार बदले।
उपरोक्त रचना सिर्फ संदेशात्मक रूप से लिखी गयी हैं, पूर्णतया काल्पनिक हैं किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में
पायल माहेश्वरी
यह रचना स्वरचित और मौलिक हैं
धन्यवाद।