” दोस्ती _यारी हो तो ऐसी ” –   रणजीत सिंह भाटिया 

” अरे बेटा राजू.. जा तीन चाय तो तो बोल कर आ और हाँ.. आज जो  बिस्किट बनाए हैं वह भी लेता आ…. ” रेहमत चाचा अपने नौकर राजू से कह रहे थे l उनका पड़ोसी और दोस्त धनीराम भी पास ही में बैठा था l और तीसरे दोस्त मंगल राम को आते देख कर चाचा ने चाय का आर्डर कर दिया था l

                  रहमत चाचा  की बेकरी थी,अच्छी चलती थी,और धनीराम जिनकी पुराने सामान की दुकान पड़ोस ही में थी, और ठीक चल रही थी l और उनका एक तीसरा दोस्त था मंगल राम जो मेहनत मजदूरी करता था l कभी काम मिलता कभी नहीं मिलता गुजारा मुश्किल से चलता था, रोज शाम को तीनों साथ बैठकर चाय पीते और अपना सुख दुख बांटते थे, एक दिन मंगल राम बहुत ही उदास दिख रहा था, दोस्तों के पूछने पर मंगल राम से बताया ” इतनी मेहनत करता हूं फिर भी कभी काम मिलता है कभी नहीं मिलता दाल रोटी का जुगाड़ करना बहुत मुश्किल हो जाता है..!! उसकी बात सुनकर दोनों दोस्त सोच में पड़ गए l रहमत चाचा ने कहा  ” मंगल तू एक काम कर सकता है…मेरी बैकरी से सामान ले जाकर घर – घर  जा के बेच और इस तरह तेरा काम का नागा भी नहीं होगा…और हां..तू पैसों की फिक्र मत कर जैसे-जैसे  तेरा काम चलने लगेगा तो देते रहना l और जो मुनाफा होगा सब तेरा..” धनीराम ने भी कहा ” हां यार यह ठीक रहेगा ” मंगल राम ने दोनों की सलाह मान ली और धनीराम से बोला.. ” मुझे एक  डब्बा चाहिए उसने बहुत से डब्बे  देखें एक टीन के डब्बे पर आकर उसकी नजर टिक गई सुंदर डब्बा था और सामने की ओर एक छोटा सा शीशा भी लगा था l ” यह ठीक रहेगा ” मंगल राम ने कहा उसकी बात सुनकर धनीराम हंसा और बोला  “” यह डब्बा पहले भी कई लोग खरीद कर ले जा चुके हैं पर फिर वापस कर जाते हैं क्योंकि यह थोड़ा भारी है ” पर मंगल राम ने वो डब्बा ले लिया और बाद में उसकी कीमत भी चुका दि l

                अब वह घर – घर जाकर बिस्कुट और छोटा मोटा सामान उस डब्बे में रखकर बेचने लगा उसका काम अच्छा चलने लगा खींचतान कर  घर का गुजारा हो ही जाता था l पर पत्नी सरोज ने कहा ” ऐसा कब तक चलेगा..बेटी बड़ी हो रही है उसके हाथ भी पीले करने हैं  l तब मंगल राम ने कहा  “अरे.. भागवान  क्यों चिंता करती हो…जब भगवान जन्म देता है तो किस्मत भी साथ ही लिख कर भेजता है  समय आने पर सब हो जाएगा.. “

                 एक दिन  जब सरोज उस डब्बे को साफ कर रही थी तो कपड़ा उस डब्बे में नीचे तले में अटक गया वहां पर जंग लगा हुआ था, और कपड़ा अटकने के कारण खींचने से वो उस जगह से टूट गया सरोज बहुत जोर से चिल्लाई  ” जी आ कर देखिए यह यह डब्बे के तले से क्या निकल रहा है ” मंगल सिंह ने आकर देखा तो वह हैरान रह गया डब्बे के तले के नीचे से बहुत सारे चमकते हुए जेवरात निकल रहे थे l डब्बे के एक छोटे नीचे वाले हिस्से में किसी ने वेल्डिंग की हुई थी l और उसमें जेवर रखे हुए थे l



                      पत्नी सरोज के साथ  सलाह मशवरा करके मंगल राम,  धनीराम के पास पहुंचा और सारी बात बताई और कहा “.. यार इन गहनों पर मेरा कोई हक नहीं है l यह तेरी अमानत है..!”और मुझे पता नहीं  कि यह कितने ज्यादा कीमती हैं..!! तब धनीराम ने कहा  ” नहीं दोस्त तू कीमत चुका कर के डब्बा मुझसे ले गया था अब इसमें जो भी है वह सब तेरी किस्मत इन पर मेरा कोई हक नहीं है ” रेहमत चाचा जो हम दोनों की बातें सुन रहे थे कहा ” दोस्त हो तो ऐसे इतने ज्यादा ईमानदार  एक दूसरे के प्रति… “!!! पर भाई पहले सुनार के पास चलकर चेक तो करवा लो कि यह गहने असली है या नकली..!!

              चेक करवाने पर पता चला कि वह जेवरात बहुत ही बेशकीमती है l तब रहमत चाचा ने कहा अगर तुम दोनों मेरी एक सलाह  मानो तो मैं कुछ बोलूं ” तो उन्होंने कहा कि ” बताइए ”  तब रेहमत  चाचा ने कहा “

 

 ” धनीराम तू अपने बेटे की शादी मंगल सिंह की बेटी से कर दे इस तरह दोस्ती रिश्तेदारी में तब्दील हो जाएगी और यह सारी दौलत जो जो रब ने तुम्हें तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से खुश हो कर दी है दोनों घरों में सुख देगी और लालची इंसानों से बच जाओगे क्योंकि इतनी दौलत देखकर कोई भी अपने बच्चों की शादी तुम्हारे बच्चों के साथ करना चाहेगा और दौलत के लालची इंसान कभी  भी अच्छे  रिश्तेदार साबित नहीं होते और फिर भी इंसान सारी उमर अपने परिवार और बच्चों को सुख देना चाहता है तुम दोनों  तो एक दूसरे को इतना करीब से जानते हो “

                  मंगल राम और धनीराम ने अपने बच्चों की   शादी बहुत ही धूमधाम से की और उस ईश्वर का धन्यवाद  अदा किया जिसने उन उन पर अपनी कृपा की और रेहमत चाचा का भी बहुत-बहुत शुक्रिया अदा किया जिन्होंने उन्हें इतनी अच्छी सलाह दी l

 

 मौलिक एवं  स्वरचित

 

 लेखक रणजीत सिंह भाटिया 

 

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