देवरानी जी , हां मैं गंवार हुं-स्वाति जैन Moral stories in hindi

रीमा की शादी को अभी एक ही महिना हुआ था !! संयुक्त परिवार होने की वजह से घर में किसी ने भी उस पर काम का बोझ नहीं डाला था !! रीमा की जेठानी सीमा घर की सारी जिम्मेदारियां खुशी खुशी निभाती थी !!

घर में सास और नंनद भी थे मगर सीमा की वजह से सास और नंनद पर भी काम का ज्यादा बोझ नहीं था !!

रीमा जब भी रसोई में आती देखती सीमा भाभी ने ज्यादातर काम कर लिया होता था इसी वजह से सास सुदिप्ता जी और ननद राखी सीमा भाभी की बहुत तारीफ किया करते थे मगर रीमा को कभी उसकी जेठानी तारीफे काबिल नहीं लगी !!

रीमा एक अमीर घराने की इकलौती पढ़ी- लिखी लड़की थी जो अपने साथ काफी सामान लेकर आई थी इसलिए उसे सीमा भाभी कतई पसंद नहीं थी !! उसका मानना था कि जो लड़कियां पढ़ी लिखी नहीं होती और गरीब मायके से आती हैं उनका जीवन ससुराल वालों की सेवा करने में ही निकल जाता हैं !! रीमा की सीमा के बारे में यही राय थी कि यह अनपढ़ गवार गरीब घर की लड़कियां सिर्फ घर में चूल्हा चौके के लिए ही बनी हैं !!

रीमा का पति मोहन एक बड़ा ऑफिसर था और सीमा का पति आलोक एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था !!

आलोक ,सोहम और  मोहन कुल मिलाकर तीन भाई थे जिसमें बीच का भाई सोहम और उसकी पत्नी नौकरी की वजह से दूसरे शहर में रहते थे !!

रीमा के पति मोहन ने घर में सबको पहले  ही खबर दे दी थी कि वह और रीमा सिर्फ तीन महिनों के लिए ही यहां हैं उसके बाद मोहन का भी ट्रांसफर दूसरे शहर होने वाला था इसलिए उनका यहां आना सिर्फ साल में एक बार ही हो पाएगा !!

एक यह भी वजह थी कि ससुराल में कोई भी रीमा से घर के कामों की या ससुराल में सबकी सेवा की उम्मीद नहीं लगा रहा था क्योंकि सब जानते थे कि रीमा यहां उन सबके साथ सिर्फ तीन महिनों के लिए हैं !!

सीमा भाभी घर में जो भी कहती , सभी उनका आदेश तुरंत मान लेते !! अपने ससुराल में रीमा को अब अपनी ही जेठानी से जलन होने लगी , उसे लगने लगा मानो उसकी जेठानी घर में अकेले वर्चस्व जमाकर बैठी हैं जबकि इसमें ऐसा हैं क्या कि सब इसकी बात माने , बस वह अब हर पल अपनी जेठानी सीमा को नीचा दिखाने लगी !! 

आज रसोई में रीमा ने एक सब्जी बनाई और बोली भाभी दूसरी सब्जी आप बना देना और झट से रसोई से बाहर निकल गई !!

सीमा रसोई के दूसरे काम निपटा रही थी !!

उसकी सास और ननद भी वहीं खडे थे मगर कोई कुछ बोला नहीं !!

सीमा ने उस दिन दूसरी सब्जी बना दी मगर फिर दूसरे दिन रीमा ने एक सब्जी बना दी और दूसरी सब्जी सीमा को बनाने कह दी !!

सीमा तपाक से बोली – देवरानी जी , मैं भी घर के दूसरे काम ही निपटा रही हुं , मैं कोई फ्री नहीं बैठी जो तुम मुझे रोज इस तरह आर्डर दे रही हो !!

रीमा बोली – भाभी , तो क्या हुआ ?? यह आपका काम हैं मैं तो अभी बस एक महिने से ही इस घर में आई हुं , आप तो पांच सालों से इस घर में यहीं कर रही हैं तो अब भी कर दीजिए !!

सीमा बोली मेरी शादी के पांच या छः दिन बाद ही मैंने घर की सारी जिम्मेदारियों को निभाना शुरू कर दिया था , तुम्हारी तरह महीने भर का इंतजार नहीं किया था और अब जब मैं तुमसे घर के इतने काम भी नहीं करवा रही फिर भी मुझसे छोटी होते हुए तुम मुझे ऑर्डर दे रही हो !!

रीमा भी तपाक से बोली इसमें आर्डर कैसा भाभी ?? मुझे लगता हैं आपको मेरे इस घर में आने से तकलीफ हो रही हैं क्योंकि पहले जो काम आप हंसते खेलते कर देती थी वहीं काम अब आपको भारी पड़ रहे हैं !!

पहले तो दोनों सब्जियां आप ही बनाती थी अब एक बनाने में भी दिक्कत हो रही हैं आपको !!

सास और ननद भी सारा तमाशा देख रही थी मगर दोनों चुप थी !!

सीमा को सास – ननंद का यूं चुप रहना बहुत बुरा लगा और वह बोली छोटी अगर तुम यह सब करके मुझे झुकाना या दबाना चाहती हो तो कान खोलकर सुन लो मैं इस घर की बड़ी बहू हुं और इस घर की सारी जिम्मेदारियो को अच्छे से निभाती हुं !! मैं तुमसे दबकर नहीं रहने वाली समझी और आज दूसरी सब्जी तुम ही बनाओगी !!

दो सब्जी बना दोगी तो घस नहीं जाओगी बोलकर सीमा गुस्से में अपने कमरे में आ गई और उसकी आंखों से झर झर आंसू बहने लगे !!

सीमा अतीत के उन गलियारो में खो गई जब वह शादी करके इस घर में आई थी !!

सास और नंनद ने कोई खामी नहीं छोड़ी थी सीमा को परेशान करने में !! शादी होते ही सीमा पर घर की सारी जिम्मेदारी डाल दी !!

सीमा को हर काम के लिए ताने उलाहने दिए जाते फिर भी सीमा किसी बात का उल्टा जवाब नहीं देती थी !!

सीमा के मंझले देवर सोहम की शादी सुरेखा से हुई थी !! सुरेखा खुद नौकरी करने वाली लड़की थी जो महिने के पचार हजार अपनी नौकरी से कमाती थी !!

घर में वह ज्यादा काम नहीं कर पाती थी क्योंकि उसे सुबह आठ बजे अपने ऑफिस के लिए निकलना होता था और वह रात के आठ बजे तक वापस घर आती थी !!

सास और ननद सुरेखा भाभी के आगे पीछे घूमते थे और सभी रिश्तेदारों में कहते फिरते कि हमारी मंझली बहू महिना पचार हजार कमाती हैं और बड़ी बहू सीमा जो कि दिनभर सबकी सेवा करती उसकी इस घर में कोई इज्जत नहीं थी , वह बस कोल्हू के बैल की तरह पूरे दिन भर काम करती रहती !!

आज काम करने के दौरान सीमा की कांच की चूडियां टूट गई थी इसलिए बाहर जैसे ही चूडीवाले ने आवाज दी चूडियां ले लो चूडियां !!

सीमा भागकर बाहर चूड़ी खरीदने आई तो देखा कि उसकी सास और ननद पहले से ही वहां खड़े थे और सुरेखा के लिए चूडियां पसंद कर रहे थे जबकि सुरेखा कहे जा रही थी मम्मी जी मुझे ऑफिस जाना होता हैं तो मैं वैसे भी चूडियां नहीं पहन पाऊंगी मगर सुदिप्ता जी ने जबरदस्ती सुरेखा को नई चूडियां दिलवाई जिसे लेकर सुरेखा अपने कमरे में चली गई !!

सुदीप्ता जी ने जब देखा कि सीमा भी बाहर चूडियां लेने आई है तो वे गुस्से से बोली तुम्हें क्या जरूरत हैं चूडियां खरीदने की !!

कमाती तो एक रुपया नहीं और खर्च करना जरूरी हैं महारानी को !!

उसके हाथ में टूटी हुई चूडियां देख कर भी सुदिप्ता जी ने उसे नई चूडियां नहीं खरीदने दी !!

सुदीप्ता जी का यह भेदभाव सीमा को अंदर तक कचौटने लगा और उसने रात को अपने पति आलोक से सारी बात कही !!

आलोक भी अपनी मां और बहन के कारनामों से अनजान नहीं था इसलिए उसने हमेशा के लिए यह घर छोड़कर जाने का फैसला किया !!

सुदीप्ता जी को बेटे बहू के जाने का कुछ भी अफसोस ना था उन्होंने आलोक और सीमा को रोकने तक की कोशिश नहीं की बल्कि  सुदीप्ता जी सीमा से बोली मेरे पास एक कमाने वाली बहू हैं अभी , तुझे क्या लगता हैं तु चली जाएगी तो इस घर के सारे काम रुक जाएंगे !! किसी के चले जाने के बाद भी कोई काम रुकता नहीं हैं समझी !!

 

जैसे ही यह बात सोहम और सुरेखा को पता चली उन लोगो ने तुरंत भाई भाभी को रोका और सुरेखा बोली भाभी , आप इस घर की बड़ी बहू हो , आप इस घर को छोड़कर कैसे जा सकती हो ?? मैं नहीं जानती थी कि मम्मी जी मुझे मेरी नौकरी की वजह से इतनी इज्जत देती हैं और मम्मी जी , आप मेरी जिस नौकरी पर इतरा रही हो , अगर भाभी ने घर छोड़ा तो मैं वह नौकरी भी छोड़ दूंगी क्योंकि भाभी ही वह शख्श हैं जिन्होंने अब तक हम सभी को दिल के मजबूत रिश्ते से बांधे रखा हैं !! अगर आप मेरी नौकरी की वजह से भाभी को इतना सुनाती हो तो ऐसी सौ नौकरियां भाभी पर कुर्बान !!

सोहम भी अपने भैया के लिए बोला – भैया , आप हमें छोड़कर नहीं जा सकते !! मां ने भाभी को अब तक बहुत प्रताडित किया हैं जिसकी सजा उन्हें जरूर मिलनी चाहिए !!

हम चारों को यह घर छोड़कर चले जाना चाहिए !!

छोटे भाई और उसकी पत्नी का अपने बड़े भाई भाभी के लिए यह प्यार और सम्मान देखकर सुदीप्ता जी को भी बड़े बेटे और बहू के सामने झुकना पड़ा !!

उन चारो ने मिलकर आज एकता का परिचय दिया था !!

आखिर भाई – भाई का तो खून का रिश्ता होता ही हैं पर देवरानी – जेठानी में भी दिल का रिश्ता होता हैं , यह बात आज दोनों जेठानी देवरानी ने साबित कर दी थी !!

उस दिन से घर में सीमा भाभी के लिए सास और ननद में भी प्यार और सम्मान बढ़ गया था और अब घर में सभी सीमा का कहना मानते थे !! सीमा पहले से ही समझदार और होशियार थी मगर उसकी कद्र घरवालों को बाद में समझ आई थी !!

उसके थोडे ही महिनों बाद सोहम और सुरेखा की नौकरी की वजह से दूसरे शहर में तबादला हो गया था और वे लोग वहां रहने चले गए थे और थोडे ही महिनों बाद छोटे भाई मोहन की रीमा से शादी हो गई थी !!

रीमा का यूं हर पल सीमा को नीचा दिखाने की कोशिश करना सीमा को बहुत चुभने लगा था , वैसे ही सीमा बहुत परेशानियों से पहले गुजर चुकी थी और काफी समय तक उन सबमें झूंझती रही थी !! जहां एक देवरानी ने सीमा भाभी की कदर पहचानकर घरवालो को उनकी अहमियत बतलाई थी !!

वहीं दूसरी देवरानी आकर फिर से सीमा को नीचा दिखाना चाहती थी !!

सीमा ने अपने ससुराल से हमेशा दिल से रिश्ता निभाया था तभी तो सभी का वह इतना ध्यान रखती थी मगर उसके इस त्याग और सर्मपण को आज की लड़किया गंवार और कम पढ़ी लिखी समझकर उसका अपमान करना चाहती थी !!

खैर सीमा को दुःख तो इस बात का था कि घर में सभी जानते हैं कि मैंने इस घर के लिए कितने त्याग और सर्मपण किए हैं फिर भी कोई रीमा को कुछ कह नहीं रहा !!

पांच सालों की शादी के बाद अब सीमा भी चुप रहने वाली नहीं थी , यह उसके आत्मसम्मान का सवाल था !!

आलोक ने आवाज लगाई तो सीमा की तंद्रा टूटी !! आलोक ऑफिस से आ चुका था !!

सीमा आलोक को खाना देने बाहर आई तो देखा कि उसके कहने के बावजूद भी रीमा ने अपनी ही मनमानी की थी !!

उसकी सास सुदीप्ता जी दूसरी सब्जी बना रही थी !!

सीमा बोली मम्मीजी !! मेरी शादी के बाद तो तुरंत आपने पुरे घर की जिम्मेदारी मुझ पर डाल दी थी फिर रीमा से आप क्यूं कुछ नहीं कहती ?? वह तो एक की दो सब्जी तक नहीं बनाना चाहती जबकि वह भी नौकरी नहीं करती , मेरी तरह घर में ही रहती हैं !!

सुदीप्ता जी बोली जाने दे ना बेटा !! वह कुछ ही महिनों में यहां से चली जाएगी इसलिए जैसा चल रहा हैं चलने दे !!

सीमा बोली मम्मी जी रीमा हर पल मेरे आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रही हैं और आप कह रही हैं जैसा चल रहा हैं चलने दे !!

मम्मी जी !! अब अगर एक ओर बार उसने अगर मुझे नीचा दिखाने की कोशिश की तो मैं चुप नहीं रहूंगी !!

थोड़ी देर बाद घर में सभी लोग साथ में रात का खाना खा रहे थे तब रीमा आचार खाते हुए बोली मम्मी जी !! यह आचार तो जरूर सीमा भाभी ने ही बनाया होगा क्योंकि मैंने देखा हैं जो औरते ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं होती वे ही इतना स्वादिष्ट आचार बना सकती हैं !!

सीमा यह सुनते ही तुरंत अपने कमरे में गई और अपनी सारी डिग्रिया लाकर रीमा के सामने रख दी !!

सीमा बोली रीमा मैंने पीएचडी कर रखी हैं यह देखो !!

रीमा ने जब सारी डिग्रिया देखी तो उसके होश उड़ गए क्योंकि सीमा ने तो रीमा से भी ज्यादा पढ़ाई कर रखी थी !!

और तुम्हे क्या लगता हैं मैं गरीब मायके से आई हुं तो तुमको बता दुं कि मेरे पापा  जवेलर्स के व्यापारी हैं !!

मेरे पति एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और तुम्हारे पति अफसर हैं मगर क्या तुम जानती हो मेरे पति की तनख्वाह तुम्हारे पति से ज्यादा हैं ??

रीमा को यह सब सुनकर झटके पर झटका लग रहा था क्योंकि वह इन सब बातो में से कुछ भी नहीं जानती थी !!

हां मैंने कभी शादी के बाद ना अपने मायके के पैसों का रोब दिखाया और ना अपनी पढ़ाई का रौब दिखाया !!

अपने आप को ससुराल , पति और बच्चों के लिए सर्मपित कर दिया जिन्हें तुम आजकल की लड़कियां गंवार समझती हो शायद तुम नहीं जानती कि मेरे जैसी बहुत सी लड़कियों ने अपने परिवार के लिए अपनी खुशियोँ का त्याग किया होता हैं !!

रीमा उस समय तो चुप हो गई मगर दूसरे दिन से फिर वह अपना घमंड दिखाने लगी !!

रीमा उस दिन रसोई में सबसे बोली मुझे इस घर में बराबरी का हक चाहिए !!

सीमा भाभी की इस घर में जरूरत से ज्यादा ही चलती हैं जो मैं बरदाश्त नहीं कर सकती !!

सीमा ने अब फैसला ले लिया था वह बोली मम्मी जी मैं चाहती हुं कि इस घर का बंटवारा कर लिया जाए !!

रीमा को हमारे घर का एक फ्लोर दे दिया जाए ताकि वह वहां खुशी खुशी रहे और जब भी यहां रहने आए उसकी रसोई अलग बनाए ताकि उसे भी समझ आए कि पका पकाया खाना कितना आसानी से मिल जाता हैं मगर खाना बनाने में कितनी मेहनत करनी पड़ती हैं !!

सुदीप्ता जी ने बोला छोड़ो सीमा अब !! वह तो छोटी हैं कुछ भी बोलती हैं मगर तुम तो घर की बड़ी बहु हो और समझदार भी हो !! ऐसा कुछ भी बंटवारा नही होगा इस घर में !!

मम्मी जी !! सारी समझदारी का ठेका सिर्फ मैंने लेकर नहीं रखा !! यह मत भूलिए की आप लोगों को तो यहां मेरे पास ही रहना हैं यह तो चली जाएगी दूसरे शहर !!

मैं तो कहती हुं आप लोग भी बीच बीच में वहा जाकर रहना !! बराबर का हक चाहिए तो जिम्मेदारी भी तो बराबरी की निभानी पड़ेगी सीमा बोली !!

उतने में रीमा के पति ने उसे साईड में ले जाकर समझाया भाभी ने तुम्हें कभी कुछ नहीं कहा रीमा मगर तुमने उनसे दुश्मनी मोल लेकर अच्छा नहीं किया !!.

यदि हमारा फ्लोर यहां अलग हो गया तो जब भी हम यहां अपने घर आएंगे तुम्हें पहले पुरी सफाई करनी पडेगी , घर को साफ करना पड़ेगा और फिर अलग से खाना भी बनाना पड़ेगा !! मम्मी पापा भी वहां रहने आएंगे और तुम्हें उनकी भी सेवा करनी पड़ेगी जो तुम्हारे बस का नहीं हैं !!

अब भी देर नहीं हुई , भाभी से माफी मांग लो !! भाभी दिल की बहुत अच्छी हैं वे तुम्हें माफ भी कर देंगी !!

रीमा भी समझ चुकी थी कि उसने अपनी भाभी से पंगा लेकर अच्छा नहीं किया !!

रीमा ने सीमा भाभी से माफी मांगी और सीमा ने उसे माफ भी कर दिया !!

सीमा बोली रीमा मेरी तुमसे कोई दुश्मनी नहीं हैं , तुमने ही बेवजह मुझे अपना दुश्मन बना लिया !!

मैं अब तक सास और ननद से दबती आई थी फिर मंझली बहु ने आकर मेरा खोया आत्मसम्मान मुझे वापस लौटाया और अब मैं अपनी छोटी देवरानी से दबकर नहीं रहना चाहती थी इसलिए मुझे यह सब करना पड़ा !!

रीमा बोली भाभी !! वैसे भी अंत में जीत आपकी ही होती क्योंकि आपने हर रिश्ते को दिल से निभाया है और मैंने बस मतलब से !!

आपसे मुझे बहुत कुछ सीखने मिला हैं भाभी मैं आपका यह एहसान कभी नहीं भूलूंगी !!

दोस्तों , आजकल की कुछ लड़कियां पहले की उन औरतों को गंवार समझती हैं जिन्होंने अपने घर के लिए अपनी डिग्रियां  रददी बना दी मगर शायद वे यह नहीं जानती कि यह औरतें तो अपनो के लिए जी रही होती हैं अपने लिए नहीं !! यही औरतें हैं जो दिल से रिश्ता निभा रही होती हैं मतलब से नहीं !!

आपको यह कहानी कैसी लगी कृपया जरूर बताइएगा तथा ऐसे अन्य रचना पढने के लिए  पेज को फॉलो अवश्य करिएगा !! धन्यवाद !!

स्वाति जैन

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