डिग्री – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुनिए जी…. रीता ने इस साल अपना बीए कंप्लीट कर लिया है तो मैं सोच रही हूं कि अब यह b.ed. और कर ले जिससे इसके पास एक अच्छी डिग्री हो जाए, समय का क्या पता जी कब किस मोड़ पर ले आए। भगवान ना करें कभी इसकी कोई मजबूरी या स्थिति ऐसी आ जाए तो  कम से कम इसके पास में ऐसी डिग्री होगी तो अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने लिए कुछ कर तो सकेगी।

हम जिस आधुनिक समाज में रहते हैं वहां आज लड़की को अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत जरूरी है! विमला जी के ऐसा बोलते ही रमेश जी भड़क गए….. मां होकर अपनी बेटी के लिए ऐसी बातें कैसे बोल सकती हो, तुम मां बेटी का दिमाग खराब हो गया है क्या,? जितना पढ़ना था पढ़ लिया, अब उसकी शादी करके उसको अपने घर जाने दो!

  मैंने इसके लिए एक खूब अच्छे खाते पीते घर का लड़का देख लिया है और तुम चिंता मत करो इसके कभी भूखे मरने के दिन नहीं आएंगे। अच्छा खासा बिजनेस है उनका और यह भी तो सोचो, जो पैसा हम इसकी पढ़ाई में बर्बाद करेंगे उस पैसे से इसके जो छोटे तीन बहन भाई हैं

उनकी पढ़ाई लिखाई का खर्चा  पूरा होगा और फिर रमेश जी के  अटल निर्णय  के बाद मां और बेटी दोनों की एक न चली और बेटी रीता को ससुराल भेज दिया गया। शादी के 10 साल तक रीता के ससुराल में सब कुछ हंसी-खुशी चलता रहा, इधर रमेश जी बार-बार अपनी पत्नी से कहते…

देखा मैंने कहा था ना राज करेगी राज… तुम्हारी बेटी, अब तो खुश हो! किंतु “जाने कब जिंदगी में कौन सा मोड़ आ जाए यह कोई नहीं जानता” ।  अचानक रीता के पति के बिजनेस में लगातार घाटा होता चला गया ,उनके विश्वास पात्र नौकर ने ही उनका दीवाला निकलवा दिया, नौकर ने  अपने ही मालिक के साथ  विश्वास घात करके बिजनेस को पूरी तरह डुबो दिया।

अब तो घर में स्थिति भूखे मरने जैसी आ गई। जमा पूंजी भी कब तक साथ देती। अब क्या करें…किसी के कुछ समझ में नहीं आ रहा था! रीता भी दो बच्चों की मां बन चुकी थी उनकी परवरिश, पढ़ाई लिखाई, घर का खर्च सोच कर वह घबराने लगी!रीता और उसकी मां को जिस बात का डर था आज  वही हुआ।

जिंदगी कभी ना कभी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहां समझ नहीं आता कि वह क्या करें। रीता के माता-पिता ने उनकी हर संभव मदद करने की कोशिश की किंतु वह भी बेचारे कब तक मदद करते, समस्या आर्थिक और मानसिक दोनों ही थी।  काश! आज अगर रीता ने b.Ed की डिग्री ले ली होती तो वह किसी भी स्कूल में अच्छी अध्यापिका के पद पर होती।

खैर…. समय को तो कौन बदल सकता है, अब रीता  कॉलोनी के छोटे-छोटे बच्चों को ट्यूशन पढाने लगी और रीता का पति जिसका खुद का अपना बड़ा बिजनेस था वह भी किसी के यहां पर नौकरी करने लगा! और रीता के पिता और  इस समय पछताने के सिवा और कुछ नहीं कर सकते! किंतु उन्हें जिंदगी ने एक सबक सिखा दिया था।

   हेमलता गुप्ता स्वरचित

  #जाने जिंदगी में कब कौन सा मोड़ आ जाए कोई नहीं जानता

#जाने कब ज़िन्दगी में कौन सा मोड़ आ जाये ये कोई नहीं जानता….

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