डार्लिंग!कब मिलोगी” (भाग -72)- सीमा वर्मा : Moral stories in hindi

नैना सोच रही है…

“प्यार में ऐसी कौन-सी खुशबू होती है कि चारों ओर के वातावरण को सुगंधित कर देती है “

दिनों बाद हिमांशु को इतने करीब पा कर नैना का दिल जोर- जोर से धड़कने लगा है। सांस जैसे थम सी गई।

” पूछोगी नहीं, कब आया हूं ,कैसा हूं ?”

” दिल संभल ले तो पूंछूं “

न चाहते हुए भी उसकी आवाज लरज गई।

” नैना … ” हिमांशू  अटक कर बोला,

” मैं तुम्हारे गृह पूजन में नहीं आ पाया तुम नाराज़ हो मुझसे ?”

” मुझे क्या हक है नाराज़ होने का  … बस महीनों का अकेलापन, पीड़ा और तनाव संभाले नहीं संभल रहा है “

” और शोभित  ? वो ठीक तो है ना ? “

इस बार न चाहते हुए हिमांशु की आवाज़ कटु हो आई है।

” हां! वह भी ठीक है और मैं भी देख तो रहे हो  खूब मोटी हो गई हूं  “

नैना ने खांस कर गला साफ किया। शोभित  के नाम पर उसे गले में कुछ अटकता हुआ सा महसूस हुआ है।

हिमांशु अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ ।

नैना की उंगली टटोल कर उसमें पहनाई हुई अपनी अंगूठी को सहलाते हुए

उसे बांहों में भरा तो नैना की आंखें भीग गईं। दबाव और गंध चिरपरिचित है। जो शायद कुछ समय बीतने से  नैना को और अधिक व्यग्र और आवेगमयी लगी।

हिमांशु की पकड़ और थरथराहट में  उसे कुछ अतिरिक्त हिलोरें महसूस हुई,

” जैसे वह अपने इस स्पर्श से नैना से ज्यादा खुद को आश्वस्त कर रहा हो “

उसकी आंखों से आंसू बह निकले हैं मानों अंदर जमी वर्षों की बर्फ पिघल रही हो  “

नैना ने आंचल की कोर से उसके आंसू पोंछ लिए फिर उसकी भीगी पलकें चूम लीं।

दोनों सोफे पर पास- पास बैठे हैं।

बाहर  हल्की-हल्की हवा बह रही थी जिससे टैरेस पर लगे बागीचे की भीनी-भीनी खुशबू अंदर की ओर आ रही है।

हिमांशु ने भरी हुई सिगरेट सुलगा ली और कश लेते हुए ,

” इस फ्लैट का मिलना बहुत अच्छा हुआ “

” हां !  लगता है जिंदगी में कुछ स्थिरता सी आ गई है “

फिर चौंकती हुई सी आवाज लगाई ,

” मुन्नी, चाय … “

” अभी लाई दीदी … “

थोड़ी ही देर में वह ट्रे लेकर आयी।

जिसमें चाय की केतली के साथ गर्मागर्म पकौड़े भी हैं। वह नैना के सामने टेबल पर रख कर चली गई।

आगे …

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