चलन – मीना माहेश्वरी

 “मम्मी  तैयार है आप”, निधि झुंझलाते हुए बोली । मैने झोपड़ी वाले दो_तीन परिवार बुला लिए हैं, सब पैकेट्स भी तैयार है । आप फटाफट सामने वाले गेट पर आ जाइए। सभी लोग गेट पर ही खड़े हैं। नीतू जी अपनी शानदार साड़ी का पल्लू संभालते हुए गेट की

ओर बढ़ी। पीछे_ पीछे निधि सारे पैकेट्स लेकर पहुंची।

                 गेट पर खड़े सभी लोगों के चेहरों पर चमक_सी आ गई, पैकेट्स काफ़ी भारी भरकम लग रहे

थे, कुछ कुछ वस्तुएं बाहर की ओर निकलती दिखाई दे रही थी। निधि बेटा, फोटोज ठीक से लेना, सब कुछ अच्छे से दिखाई देना चाहिए।”अरे मम्मी, क्या मैं पहली बार ये सब कर रही हूं, आप का तो हर दूसरे_तीसरे दिन यही काम रहता है ।”, निधि ने फिर झुंझलाकर कहा ।

नीतू जी उसकी बात को अनसुना कर दिया।

                      नीतू जी के चहेरे पर बड़ी सी स्माइल थी, एक पैकेट उठाकर ज्यों ही देने के लिए आगे हाथ बढ़ाया, मां से पहले गोद से बच्चा उछल पड़ा। निधि ने इशारे से मां से बच्चा संभालने के लिए कहा।

                       किसी तरह”फ़ोटो सेशन” का महत्वपूर्ण

काम पूरा हुआ। निधि ने राहत की सांस ली।


                        मम्मी मैने आप से कितनी बार कहा है कि मुझे ये सब अच्छा नही लगता। बेटा, आप ठीक कह रहे हो, मुझे भी ये सब करने का शौक़ नही है। पर बेटा मैं जिन लोगों से जुड़ी हूं, कई ग्रुप्स ओर संगठनों से जुड़ी हूं,

उनमें आए दिन इस तरह के आयोजन होते रहते हैं, ग्रुप

के सदस्य होने के नाते गतिविधियों में हमारी सहभागिता जरूरी है। कई तरह के मुहिम चलाए जाते है, लोगों में किसी विशेष विषय पर जागरूकता लाने के लिए , अपने संगठन का प्रचार _प्रसार करने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल आजकल जोरो से चलन में है।

                   लेकिन इस दिखावे के चलन में भी

कुछ नेक और अच्छे काम हो जाते है जरूरतमंदों की छोटी _मोटी मदद हो जाती है। और बेटा, प्रशंसा की चाह मानवीय कमज़ोरी है इससे कोई अछूता नहीं है।

             एक_दूसरे। के फोटोज पर लाइक कमेंट्स कर के एक दूसरे की सराहना कर देते है, खुश हो जाते हैं।

तुझे इसमें कोई बुराई नज़र आती हैं______

         एक अनुत्तरित प्रश्न??????????

मीना माहेश्वरी स्वरचित

रीवा मध्य प्रदेश

 

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