उसके आंसू – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

हमारे पड़ोस में एक चित्रकार परिवार रहने आया है। चित्रकार का नाम अजित है। लोग कहते हैं कि उनके बनाये चित्र बहुत पसंद किये जाते हैं। कई शहरों में उनके चित्रों की प्रदर्शनियां हो चुकी हैं। मैंने कुछ सोचा और फिर एक दिन उनके दरवाजे की घंटी बजा दी। द्वार अजित ने खोला। बोले-‘आइये, अंदर … Read more

दावत का दिन – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

मैं स्टैंड पर बस की प्रतीक्षा का रहा था। तभी आवाज आई-‘ भगवान के नाम पे कुछ मिल जाये….’-यह चरण की गिडगिड़ाती आवाज थी। वह बस स्टैंड के पास बैठ कर भीख माँगा करता है। कई बार पुलिस उसे वहां से भगा चुकी है पर कुछ दिन बाद दोबारा लौट आता है। मैंने कुछ सोचा … Read more

खरा खोटा – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

रंगी बाबा को सब सनकी कहते थे। उनकी आदतें कुछ विचित्र थीं। जैसे एक तो यही कि उन्होंने कभी कोई दुकान नहीं चलाई, लेकिन फिर भी मोमबत्तियाँ बेचा करते थे। हमारी गली में कोने वाले मकान में रहते थे। जब कभी रात को बिजली चली जाती तो वह झट छोटी-सी चौकी दरवाजे के पास रख … Read more

माँ के पास जाना है – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

एक बार की बात है, दो डाकुओं ने बहुत उत्पात मचाया हुआ था। वे हमेशा काले कपड़ों में रहते, चेहरों पर भी काली नकाबें लगाते। कोई उन्हें पहचान ही न पाता। और वैसे भी पहचानने का कोई सवाल नहीं था, अँधेरे में उनकी गरजदार आवाज सुनकर लोगों की आधी जान तो पहले ही निकल जाती … Read more

मैं यहाँ= तुम कहाँ – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

किसी पहाड़ी स्थान पर एक संत की कुटिया थी। पहले वह पर्वत शिखर पर, गुप्त गुफाओं में तप करते थे। बाद में कभी-कभी लोगों के आग्रह पर बस्ती में भी आने लगे। भक्तों ने कुटिया बना दी तो वहाँ रहना उनकी विवशता हो गई। भला अपने श्रद्धालुओं का आग्रह कैसे टालते। संत रहने लगे, तो … Read more

चिड़िया ने क्या बिगाड़ा था – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

गाँव के बाहर था एक खंडहर। सूना और उजाड़। और कोई नहीं बस, एक चिड़िया रहती थी। उसने तिनके चुन-चुनकर अपना घोंसला बनाया था। गाँव के लोग खंडहर से बचकर चलते थे, लेकिन चिड़िया को कोई परेशानी नहीं थी। लेकिन एक दिन मुसीबत आ ही तो गई। बारिश का मौसम था। एक मुसाफिर वहाँ तक … Read more

प्रणाम बंद मकान को – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

रत्ना बहुत दिनों से पार्क की चार दीवारी के पास सब्जी का ठेला लगाती आ रही है। ठीक सामने बहुत बड़ा हवेली जैसा मकान है,जो काफी समय से बंद पड़ा है। पहले यहाँ एक बड़ा परिवार रहता था।उसकी मुखिया थीं एक बूढी महिला, जिन्हें सब दादी अम्मा कह कर बुलाते थे। रत्ना को वह छोटी … Read more

हवा और खुशबू की तरह – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

रामदास थक गए थे। सोसाइटी की लिफ्ट ऊपर कहीं अटकी हुई थी, इसलिए लिफ्ट के सामने वाली सीढ़ियों की पैडी पर बैठ गए। तभी कानों में आवाज आई—‘ लीजिये पानी पीजिये। ’ रामदास चौंक गए,देखा—सामने एक बच्चा पानी का गिलास लिए खड़ा है। सचमुच प्यास से गला सूख रहा था। उन्होंने पानी पी लिया फिर … Read more

बैगन की सब्जी – नेकराम Moral Stories in Hindi

सड़क पर मुझे एक किताब पड़ी मिली उस किताब का नाम था बंगाल का जादू वैसे तो मैं जादू पर विश्वास नहीं करता फिर भी किताब उठाकर मैंने पेंट की जेब में मोड कर डाल ली किताब का सम्मान करना लेखक जाति का धर्म होता है सो मैंने भी किया रात 1:00 बजे अचानक आंख … Read more

मैं खामोश थी – नेकराम Moral Stories in Hindi

उस दिन लड़के वाले हमारे घर आए लड़के ने मुझे देखा और पसंद कर लिया मगर मैं खामोश रही किसी ने मेरी पसंद नहीं पूछी लड़के का अच्छा बिजनेस और देखने में सुंदर था दोनों परिवार वालों ने मिलकर मेरी सगाई की तारीख रख दी लड़के ने सब लोगों के सामने मेरी उंगली में अंगूठी … Read more

error: Content is Copyright protected !!