उम्र तो सिर्फ एक नंबर है

बिल्कुल सच बात है कि इंसान नियति के हाथों का खिलौना है।नियति के हाथों इंसान कभी-कभी मजबूर हो जाता है,चाहे राजा हो या रंक।मनुष्य अपना कर्म तो लगन से करता है,परन्तु कभी-कभार नियति उसके साथ ऐसा क्रूर मजाक करती है कि विश्वास करना कठिन हो जाता है।नियति के खेल को समझते हुए  ही तुलसीदास जी … Read more

नियति तेरे करतब कमाल..

…..all the world is a stage and every man and woman is merely player…. कितना सही लिखा है ग्रेट शेक्सपियर ने ….इस संसार रूपी रंगमंच पर हर व्यक्ति को नियति द्वारा निर्धारित अलग अलग भूमिकाएं रोल दिए गए हैं अलग अलग किरदार हैं…. पर्दा खुलता है अभिनय शुरू हो जाता है ….चलता रहता है अभिनय  … Read more

यही मेरी नियति है – Parivarik kahani

उस दिन बहुत बारिश पड़ रही थी इसलिए गली में बहुत सा कीचड़ हो गया था राशि यानी मैं जैसे ही दूध लेने गई तो स्कूटी अंदर ले जाने में मिट्टी में फस रही थी इसलिए मैं अपनी स्कूटी को बाहर ही खड़ी कर कर पैदल अंदर दूध लेने चली गई जहां पर दूध रखा … Read more

सास बहू का रिश्ता : Saas bahu ki kahani

“अंतरा ! एक कटोरी खीर और देना।  बहुत स्वादिष्ट बनी है ! “ “अच्छा…  भैया लगता है खीर कुछ ज़्यादा ही अच्छी बनी है ! तभी आप और मांगकर खा रहे हो !” श्रृष्टि ने एक पूरी अपने प्लेट में डालते हुए कहा। निर्मला जी को भी खीर अच्छी लगी थी और सृष्टि को भी। … Read more

नियति का न्याय : Motivational Story in Hindi 

 कांता रोती जा रही थी, और अपने बेटे रघु को घुटने की चोट पर हल्दी लगाते हुए डांट रही थी,   “तुझे कितनी बार समझाया… उधर कॉलोनी में खेलने मत जाया कर इतनी मार भी खाता है,..और फिर वहीं जाता है, भला उन लोगों का और हमारा क्या मेल…!  पर तुझे तो समझ में ही … Read more

 किस्मत के रंग – प्राची लेखिका

छाया अपनी आलीशान गाड़ी में बैठकर मंदिर जा रही थी। गाड़ी से उतर कर वह मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ी। तभी वह मंदिर के पास लगी दुकानों से फूल खरीदने के लिए रुक जाती है। ‘बहन जी पूजा के लिए फूल देना‌’ उसने फूल बेचने वाली साधारण सी महिला से कहा। लेकिन जैसे ही उसकी … Read more

पछतावा – A Short Love Story in Hindi

माँ-पापा के कहने पर भी अच्छे से मन ना लगाकर पढ़ने का पछतावा अब ज़िंदगी भर रहेगा। माँ-पापा ने बहुत समझाया, कि ” मन लगाकर पढाई करो, अपने पैरों पर खड़े रहो, इतने काबिल बनो कि, ज़िंदगी में कभी भी किसी के आगे हाथ फ़ैलाने की ज़रूरत ना पड़े। ” मगर क्या करे, १६ साल … Read more

बोनस – दीपा माथुर

पिताजी के गुजरने के बाद घर की स्थिति खराब ही चल रही थी। तभी तो शिवि ने पढ़ाई छोड़ प्राइवेट नौकरी शुरू कर दी। मकान की किश्त ,छोटे भाई की स्कूल ,और दाल रोटी को व्यवस्था इतना आसान नहीं था। साइंस से 91 प्रतिशत लाने वाली पापा की परी शिवि का सपना डॉक्टर बनने का … Read more

नियति की मोहर – रुचि पंत

अपने ग्राहक के दुपट्टे पर उन रंगबिरंगे फूलों के गुच्छों बीच पीले पराग की कढ़ाई करती चित्रा के घर के समीप से गुज़रती गाड़ी की तेज हॉर्न एकदम से सुन वो काँप उठी और अनायास नुकीली सुई उसके कोमल हाथों में चुभ गई। “ये रवि के आने का समय नहीं है।” अपने आपको संभालती वो … Read more

खुश रहने का हक तो उन्हे भी है ना ?

” हेलो जी मेरा नाम सिमरन है आप शायद इस क्लब मे पहली बार आये हो क्योकि आपको पहले नही देखा यहाँ ?” आहना रैकेट लिए खड़ी थी कि एक औरत उसके पास आकर बोली। ” जी हाँ असल मे हम अभी कुछ दिन पहले ही यहां शिफ्ट हुए है और आज क्लब मे पहला … Read more

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