शक का घेरा – डॉ उर्मिला शर्मा : Short Moral Stories in Hindi

   Short Moral Stories in Hindi : अक्षिता और आकाश का सम्बंध करीब सात साल पुराना था। बारहवीं कक्षा में थे तब से उनकी दोस्ती चल रही थी जो आज प्यार में बदल गया था। उसके बाद अक्षिता इंजीनियरिंग के लिए बेंगलुरु चली गई और आकाश पुणे से इंजीनियरिंग करने लगा। इतनी दूरी के बाद … Read more

शादी-ब्याह में अगुआई मां भी कर सकती है – डॉ उर्मिला शर्मा

फोन की रिंगटोन बजी तो अनामिका ने देखा उसकी कजन अलका दीदी का फोन था। “नमस्ते दी!…कहिए कैसी है?”- उसने पूछा “सब ठीक है…. एक बात बतानी थी तुम्हें। मेरे बेटे के रिश्ते का साला अमेरिका में इंजीनियर है। आई. आईटीयन है। अपनी आलेख्या के लिए कैसा रहेगा?” “सुनने में तो बहुत अच्छा लग रहा … Read more

हर गलती की क्षमा नहीं  – डॉ उर्मिला शर्मा

   मंदाकिनी अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी। बड़ी ही मधुर स्वभाव की लड़की थी। आमतौर पर एकलौती सन्तान लाड़-प्यार में थोड़े बिगड़े होते हैं, किंतु मंदा (सब प्यार से उसे यही बुलाते थे) के साथ यह बात न थी। जब वह 12 वीं में थी तभी एक दिन रात को जब वह मां के साथ … Read more

** मां की अगुआई ** – डॉ उर्मिला शर्मा

   फोन की रिंगटोन बजी तो अनामिका ने देखा उसकी कजन अलका दीदी का फोन था। “नमस्ते दी!…कहिए कैसी है?”- उसने पूछा “सब ठीक है…. एक बात बतानी थी तुम्हें। मेरे बेटे के रिश्ते का साला अमेरिका में इंजीनियर है। आई.आईटीयन है। अपनी आलेख्या के लिए ये लड़का कैसा रहेगा?” “सुनने में तो बहुत अच्छा लग … Read more

वक़्त का पहिया – डॉ उर्मिला शर्मा

 एक छोटे से शहर के निकटवर्ती गॉव की नम्रता स्नातक की छात्रा थी। जो रोजाना सायकिल से शहर के कॉलेज में पढ़ने जाया करती थी। औसत दर्जे की पढाई में नम्रता बहुत ही महत्वाकांक्षी लड़की थी। घर में तीन भाई- बहनों में नम्रता सबसे छोटी सबकी चहेती थी। उसका निम्न मध्यमवर्गीय परिवार बुनियादी जरूरतों को … Read more

 हमें तो बस बेटी व रोटी चाहिए – डॉ उर्मिला शर्मा 

ममता जी यहां आज चहल-पहल थी। उनके एकलौते बेटे सागर का 25वां जन्मदिन के साथ उनकी रेलवे में नियुक्ति की दोहरी खुशी का अवसर था। मित्र परिचित उसे इतनी छोटी उम्र में सफलता के लिए बधाईयां दे रहे थें। आज की बुराइयों से दूर सागर बड़ा ही होनहार एवं मधुर स्वभाव का लड़का था। ममता … Read more

गैसलाइटिंग : मानसिक उत्पीड़न * – डॉ उर्मिला शर्मा 

हमें रोजमर्रा के जीवन में कभी- कभी या लगातार गैस लाइटिंग का शिकार होना पड़ता है जिसका हमें पता ही नहीं लगता। सर्वप्रथम ‘गैसलाइटिंग’ शब्द पैट्रिक हैमिल्टन के नाटक गैस लाइट (1938) से लिया गया है, जुसपर बाद में फ़िल्म भी बनी। इस सम्बंध में डॉ इशिता नागर कहती हैं -“गैस लाइटिंग एक प्रकार का … Read more

औरतों को इतना सर पे नहीं चढ़ाना चाहिए – डॉ उर्मिला शर्मा

 अजय  और नीतीश गहरे दोस्त थे। वह गर्मी की छुट्टियों में महानगर से अपने होमटाउन आया था। जैसा कि वह हर साल आया करता था। प्रायः रोज ही वो दोनों मिलते थे। फोन पर भी अक्सर उनकी बातें होती रहती थीं। एक सप्ताह अभी आये हुए थे। और हर बार  की तरह इस बार नीतीश … Read more

वो आई……(हास्य व्यंग रचना) – डॉ उर्मिला सिन्हा

  ‘वो’आपको यत्र तत्र सर्वत्र मिल जायेंगी। बागों में , बहारों में , गलियों में , चौबारे में, गांव में, शहर में , स्कूल में, कालेज में। उनकी परिचय देने की जरूरत नहीं है वे अपने आप में परिचय है। चांदनी से उन्होंने गोरा रंग चुराया है। फूलों की कोमलता , परागों की सुरभि , हवाओं … Read more

 लेखा – जोखा  – डा उर्मिला सिन्हा

      पूरी महिला मण्डली में कोहराम मचा हुआ था,”मेरा मायका बड़ा “!    ” तो मेरा मायका उससे भी बड़ा “!   “मेरे भ‌ईया ने राखी पर झुमके दिलवाए “। “तो मेरे छोटे भाई ने कंगन”!, कोई रंग-बिरंगी सिल्क, बनारसी,बंधेज,छापेदार साड़ियों का तह खोलकर प्रर्दशन कर रही थी ।  तो कोई मन ही मन कुढ़ रही थी,”इतना कमाता … Read more

error: Content is Copyright protected !!