स्वार्थी बहन – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सिया.. क्या तुम सच में अविनाश से प्रेम करती हो, देखो सिया.. मैं तुम्हारी बड़ी बहन होने के नाते तुम्हें समझा रही हूं तुम अविनाश से दूर ही रहा करो माना की अविनाश एक अच्छी कंपनी में काम करता है और उसका घर परिवार भी काफी जाना माना है किंतु मैंने सुना है उसके पहले … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – पूजा दत्ता : Moral Stories in Hindi

सारा काम ख़त्म करके चाय का कप लेकर बालकनी में बैठी ही थी कि दरवाज़े की घंटी बजी… इस समय कौन आया होगा, सोचती हुई गेट पर गई तो मेरी बचपन की सहेली सुमेधा सामने खड़ी थी। “अरे सुमेधा, तुम… आओ ना… कितने दिन बाद आई हो…” उसे बिठाकर मैं उसके लिए भी एक कप … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सीधे सीधे चलते चलते अचानक रोड चारों दिशाओं में बंटने लगी। इधर देखा उधर देखा कोई साइन नजर ही नहीं आया। उतर दिशा की ओर बड़ी बड़ी बिल्डिंगे खड़ी थी जिसके गलियारे एकदम शांत थे। बालकनी से कुछ कुछ बच्चे झाक रहे थे पर आवाज उनकी भी नहीं आ रही थी। किसी किसी बालकनी से … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

माधवी अपने कमरे से निकल कर माँ को आवाज़ देती है कि माँ जल्दी से लंच बॉक्स दे दीजिए सुनीता आ रही होगी । हो गया है बेटा ला रही हूँ कहती हुई सरस्वती बॉक्स उसके हाथ में थमा कर कहती है कि जल्दी आ जाना बिटिया देरी करोगी तो मेरा दिल बैठा जाता है … Read more

कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता – ममता सिंह : Moral Stories in Hindi

घड़ी की सूइयाँ रात के तीन बजा रही थीं। बाहर घना अंधेरा था और अंदर उतनी ही गहरी ख़ामोशी थी। राजन की आँखों में नींद का नामोनिशान नहीं था। वह कुर्सी पर बैठा सामने रखी शराब की बोतल को घूर रहा था। हर घूंट के साथ एक चेहरा उसकी आँखों के सामने आता— एक खूबसूरत … Read more

प्रायश्चित – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

इतने बड़े वर्मा निवास के पीछे वाले कमरे में राजेश जी उपेक्षित से अपने बिस्तर पर अकेले ही लेटे हुए थे। डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार अब उनको डायलिसिस के लिए प्रत्येक  15 दिन में जाना पड़ेगा। रोज सुबह एक अटेंडेंट उनको नित्यकर्म से निवृत करवाकर रात के लिए डायपर बांधकर चला जाता था। आज जब … Read more

“कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नहीं होता” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

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आज ऑफिस से पिताजी जल्दी ही घर आ गये थे। पूरे घर में सन्नाटा पसरा हुआ था।  माँ ने पिताजी से कहा -” आप हाथ मूंह धोकर बैठ जाइए मैं खाना परोस रही हूँ।”  पिताजी ने मुझे पास बुलाकर पूछा-” बेटा दीदी के बिना तेरा दिल नहीं लग रहा है क्या?”  मैंने सिर हिला कर … Read more

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