बेवफाई- एक दंश (आखिरी भाग) – रचना कंडवाल : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : अविनाश सोचने लगे कि  ये मेरा माया के प्रति प्यार है या उस सच का असर जिसे माया ने मुझे बताया।

अगर मैंने उससे सच्चे मन से चाहा होता तो मैं ये गुनाह कभी नहीं करता।

छह महीने तक मैं उसे धोखा देता रहा।

प्यार तो उसने किया मुझसे बिना किसी स्वार्थ के

मैं उससे नजरें कैसे मिलाऊंगा???

वो फिर से माया का फोन ट्राई करने लगे।

दूसरी तरफ से सुनाई दिया कि this number does not exist

तो माया ने मुझे छोड़ दिया।

वो ऐसा नहीं कर सकती वो बड़बड़ाने लगे।

उन्होंने अपना कोट उठाया और सीधे बाहर निकल ग‌ए।

जहां जहां उसे तलाश कर सकते थे उसे तलाशते रहे।

पर वो कहीं नहीं थी।

क‌ई दिनो तक भटकने के बाद उन्होंने उम्मीद छोड़ दी।

वो घर जिसे माया ने अपने प्यार से सजाया था वो बिखर चुका था। अविनाश रोज माया का कवर्ड खोलते उसकी एक एक-एक चीज को छूते। रातों को अपनी शादी का एल्बम देखते। उसकी साड़ी को बेड के उस कोने पर रखते जहां माया सोती थी। वो माया को अपने भीतर जीने लगे थे।

कभी कभी सपने में माया आती जो उन्हें हौले से छू कर मुस्कुराती वो हड़बड़ा कर उठ बैठते।

नामचीन हार्ट सर्जन आशिक बन कर रह गया था।

दीपिका ने दोबारा अविनाश का हाल देख कर उनके करीब जाने की कोशिश की तो उनकी आंखों का सूनापन देख कर सिहर उठी।

आज अविनाश ने उसे साफ लफ्जों में कह दिया था दीपिका मैं उसी दिन मर गया था जिस दिन माया मुझे छोड़कर गई थी। क्या तुम एक जिंदा लाश के साथ जिंदगी बिताना चाहोगी।

दीपिका बोली कि मैं आपका दुःख बांटना चाहती हूं।

तो अविनाश ने उसे कहा ये मेरा सलीब है इसे मुझे खुद ढोना है।

वैसे तुम जिस बच्चे को जन्म देने जा रही हो अगर तुम चाहो तो मैं उसकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं। जिंदगी में रुपए पैसे से बढ़ कर भी बहुत कुछ है। पैसे की खातिर कभी भी खुद की जिंदगी दांव पर मत लगाना। मुझसे तुम्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा। जबकि तुम अच्छी तरह से जानती हो कि बच्चा किसका है???

वो अस्पताल में उसके और डाक्टर कश्यप के बीच की उड़ती अफवाहों के बारे में सुन चुके थे। पर उस समय उन्होंने इन पर यकीन नहीं किया था।

मेरी एक गलती ने मुझे कहां से कहां ला कर खड़ा कर दिया।  इतना कह कर वो वहां से निकल पड़े।

घर आ कर निढाल हो कर सोफे पर लेट ग‌ए।

सोचने लगे सिर्फ एक बार तुमसे मिलना चाहता था माया।

तुम्हें वापस पाने के लिए नहीं उसका हक तो मैं खो चुका हूं। सिर्फ एक माफी जो मेरे दिल को राहत देगी।

जिंदा रह कर तो शायद मैं तुम्हें वापस कभी

नहीं देख पाऊंगा पर मेरी मौत की खबर सुनकर तुम्हें वापस आना ही होगा।

अगली सुबह न्यूज चैनलों पर न्यूज चल रही थी कि प्रसिद्ध हार्ट सर्जन अविनाश कपूर ने नींद की गोलियां खा कर सुसाइड करने की कोशिश की गंभीर हालत में अस्पताल में एडमिट किया गया है।

माया ने इस खबर को देखा उसकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया।

वो तुरंत अस्पताल के लिए निकल पड़ी।

रो रो कर उसका बुरा हाल था।

अविनाश के दोस्त, डाक्टर शोभना सब अस्पताल में थे।

डाक्टर शोभना ने माया को गले लगा लिया।

माया तुमने आने में बहुत देर कर दी रोते हुए शोभना ने कहा अविनाश का बचना मुश्किल है।

नहीं उन्हें कुछ नहीं होगा माया की रूलाई फूट पड़ी।

अविनाश तुम्हारे जाने के बाद बहुत परेशान थे।

क्या मैं उन्हें देख सकती हूं डाक्टर???

माया डाक्टर के हां करने के बाद अविनाश की ओर बढ़ चली।

उनके पास जाकर उनके माथे को चूमा उनके हाथ को हाथों में लेकर रोते हुए बोली, ये आपने क्या कर दिया अविनाश देखिए मैं आ गई मैं आपको बहुत डाटूंगी कभी माफ नहीं करूंगी। जल्दी से ठीक हो जाइए उसके शब्द टूटने लगे।

डाक्टर प्लीज! आप कुछ कीजिए अविनाश को ठीक कर दीजिए।

डाक्टर माया अपने आप को संभालिए हम कोशिश कर रहे हैं।

माया बगैर कुछ खाए-पिए अस्पताल में बैठी हुई थी डॉक्टर शोभना ने उसे कहा जा कर कुछ खा लो मैं और कपिल यहां रुकते हैं।

नहीं मैं कहीं नहीं जाऊंगी।

अविनाश को होश में आने दो। डाक्टर शोभना ने वहीं पर चाय मंगवा ली।

रात को कपिल यहां रूक जाएंगे तुम मेरे साथ चलो। नहीं मैं तब तक कहीं नहीं जा सकती जब तक उन्हें होश न आ जाए।

तीन दिन बाद अविनाश को होश आया है। जुबान पर माया का नाम है।

माया आई उसने उनका हाथ थाम लिया।

वो बहुत धीमी आवाज में कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे माया ने उनके मुंह पर उंगली रख कर चुप कर दिया।

ठीक होने के बाद बात करेंगे।

हफ्ते बाद अविनाश को लेकर माया घर आ गई है।

माया उनका ख्याल रख रही है बिल्कुल वैसे ही जैसे पहले रखती थी। कोई शिकायत नहीं चेहरे पर वैसा ही तेज वैसी ही पवित्रता

अविनाश कुछ नहीं बोलते चुपचाप माया के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करते रहते हैं।

वो जैसा कहती है वैसा ही मान लेते हैं। डरते हैं कि अगर उसे कुछ भी बुरा लगा तो वो उन्हें छोड़ कर चली जाएगी।

उसके न होने से अच्छा तो यही है कि मौत ही आ जाए।

आज माया ने साबूदाने की खीर बनाई है जो उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं है पर वो चुपचाप खा रहे हैं।

माया देख रही है कि वो खा रहे हैं पर मन मार कर।

जो चीज की इच्छा न हो उसे मत कीजिए नहीं खाना तो छोड़ दीजिए।

वो खा रहे हैं बिल्कुल शांत भाव से।

माया रात को उनके पास ही होती है पर बेड के दूसरे कोने पर पहले वह उनकी बाहों में होती थी। नजदीकियां नहीं हैं पर तसल्ली है कि उसका चेहरा आंखों के सामने होता है।वो चाहते हैं कि वो पहले वाला प्यार वो उसे जबरदस्ती अपनी बाहों में समेटना पर वो हक….. नहीं नहीं अब नहीं।

एक रात माया को अपने पैरों पर स्पर्श महसूस हुआ वो हड़बड़ा कर उठ बैठी देखा तो अविनाश जमीन पर बैठकर उसके पैरों को छूकर रो रहे थे।

क्या हुआ??? उसने अपने पैर समेट लिए

मुझे माफ कर दो माया

जानता हूं कि मैं धोखेबाज हूं पर माया जिस जिंदगी में तुम नहीं वो जिंदगी मुझे नहीं चाहिए।

मुझसे कोई संबंध मत रखना पर तुम मेरी नज़रों के सामने इसी शहर में रहना मैं तुम्हें दूर से देख कर ही जी लूंगा।

अगर मैं किसी और आदमी के साथ आपको चीट करती तो आप मुझे माफ़ कर देते।

मुझे पता है कि नहीं करते।

पर जानते हैं मैंने आपको माफ कर दिया है सिर्फ उस प्यार के लिए जो मैंने आपसे किया था। जिस प्यार की खातिर मैं दौड़ कर चली आई सब कुछ भूल कर। रिश्ते सामान्य होंगे या नहीं पर माया मन को मैला करना नहीं जानती।

अविनाश चुपचाप उसकी बात सुन रहे थे आज माया उनकी नजरों में और भी ऊपर उठ चुकी थी और वो खुद की नजरों में और नीचे गिर चुके थे।

© रचना कंडवाल

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