बातों मे छिपे रंग – संगीता विज  : Moral stories in hindi

बातों के रंग होते हैं, स्वाद होते हैं, परोसी जाती हैं, छिपाईं जाती है, जताई जाती हैं व भड़काई भी जाती हैं । नीता को सबका पता चला शादी के बाद ।नीता कम बोलने वालीं , सम्पन्न परिवार की उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की थी । घर पर है या नहीं पता नहीं चलता था । पढ़ने व गाने सुनने का शौक़ था , वहीं गुनगुनाती रहतीं ।

ओर किसी काम से कुछ लेना देना नहीं । शादी हुई नया घर, नयें लोग, नया वातावरण । समझने वाले कम परखने वाले सब । संयुक्त परिवार था तो आया-गया भी लगा रहता ।कुछ को तो केवल काम से मतलब , बोलो न बोलो से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता था ।पर हुनर बातों का सिखना बहुत ज़रूरी था ।

                 पर  जब जबलपुर पहुँचे , राहुल कीं शादी के लिए, पति देव के मामा जी का लड़का ।पहला अवसर था , बहुत नए रिश्तेदारों से मिलना होगा । थोड़ी घबराहट भी थी।ट्रेन में नैना ने बातचीत में सलाह दी….. भाभी , अगर बुरा न मानो तो सलाह दूँ । मामा जी के घर पहुँचते ही चेहरे पर मुस्कान व सिर पर पल्लू , बड़ी भाभी के आस पास मंडराते हुए, जता कर कुछ न कुछ काम करते रहना ।बस फिर कमाल देखना।

वह चलता फिरता विविध भारती रेडियो है । शाम को चाय पीते बड़ी भाभी ने कहा…. बुआजी तो पता नहीं क्यों कह रही थी कि तुम बड़ी मगरूर हो, तुम तो सबसे खूब घुलमिल गईं हो, लगता ही नहीं पहली बार मिल रहे हैं ।अब समझी कि अम्मा जी की बड़ी बहन हमारे घर क्यों ख़ुश नहीं लग रही थी ।

यह सब उन्होंने ही पकाया व सजा कर प्लेट में यहाँ परोस दिया था । अब मैं भी नैना की सलाह पर लग गई ।बातों में तारीफ़ों का वर्क लगा कर पेश करने….भाभी आप इतना सब कैसे कर लेती हैं,…. मामा जी ऐसी शानदार शादी का इन्तज़ाम तो बस आप ही करवा सकते हैं , … मौसीजी आप इस साड़ी में कितनी सुंदर लग रही है, आदि -आदि ।

अब पता चला कि सहीं वक़्त पर सही बात कहना भी एक आर्ट है । कुल मिलाकर… गोल्ड मैडल हासिल हुआ, इतने तोहफ़े, न्यौते , व आशीर्वाद । तौहफे रखने को अलग बैग लेना पड़ा।मामा जी ने तो गोल्ड सैट व बनारसी साड़ी दी । फिर बोले….. इतनी अच्छी बहू तो अब आईं हैं हमारे ख़ानदान में ।

अम्मा जी तो मायके में बहू को इतना सम्मान पाते देख फूली नहीं समा रही थी ।नैना ने कहा यह सारा फल मेरी रचित रामायण का है, तो आधे तौहफे मेरे।शादी में गप्पें मारने व ठीठोली करने का बातों यह रूप भी देखा व बहुत मज़ा भी लिया ।

                                     रास्ते भर अम्मा जी तो फूलीं नहीं समा रही थी व कहें जा रही थीं…. भईया को इतना ख़ुश व इतनी तारीफ़ करते पहले नहीं देखा । तुम ने तो बस जादू कर दिया सब पर।अम्मा जी ने तो घर पहुँचते ही  तिजोरी कीं चाबी मुझे सोप दी ।नैना ने तो गले लगा लिया व मज़ाक़ में बोलीं….. भाभी आधा कैश मेरा।

सबकी फ़ेवरेट हो गई हो । अब पता चला कि बातें छिप-छिप कर व सलाह रूप में भी होती है । साहिब बातों का वज़न भी होता है पता चला जब से तिजोरी कीं चाबी मिलीं ।पैसे में वैसे ही बहुत ताक़त है, पर अब सब लगे हुक्म मानने, चापलूसी करने, अनकहे व अनसुने राज़ बताने लगे । पति देव अलग ख़ुश…. क्या जादू कर दिया है तुमने । मेरी व नैना की दोस्ती पक्की बनीं रही ।

                                                        धीरे-घीरे तीन साल बीत गए,  नैना की शादी शहर में ही हो गई,  व मैं भी प्यारी सी बच्ची कीं माँ बन गईं । अब जाना बातों का सतरगी रूप , रंगों से भरा रूप ,  ममता से भरा ।ख़ुशबू व संगीत से भरा, जिसने मुझे तोतलेपन में बात करना व लोरी गाना भी सिखा दिया ।

बातचीत करना भी सिखा व उस पर चल कर सराहना, मीठे बोल बोलना , समझना-समझाना, एतबार करना व सही की बात की सराहना करना व  हंस कर सबको बातों में प्रसन्न करना भी आ गया ।सिर्फ़ बातों में ही नहीं ,सच में सबकी निगाहों में अच्छी बहू बन कर दिखाया ।पर अभी भी खूब बातें करना नहीं सीख पाई ।

जीवन में बहुत सीखा बातचीत में ,पर अभी भी बातों के कुछ  रूप न ही समझ पाईं न ही अच्छे लगे जैसे….. चुग़ली, बेपरदा करना, दूसरे के  ऐब दिखाना, यानी बातों का बदसूरत चेहरा । मैं व नैना मिलकर खूब बातें करतीं हैं व सलाह देती व लेती हैं ।हम दोनों ने हर न्यौते का मान रखा व अम्मा जी के साथ सब जगह गई व खूब मज़े किये ।पति देव नहीं जा पाते थे हर जगह व्यवसाय के चलते पर हम तो जाते व झंडे फहरा कर आते ।

संगीता विज

 

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