बहू ये तुम्हारा कंगला पीहर नहीं संपन्न ससुराल है – संगीता अग्रवाल

रविवार की सुबह सरगम अपने बालकनी में खड़ी थी क्योंकि आज  पति की छुट्टी रहती हैं इसलिए नाश्ता तैयार  नहीं करना होता है.  आराम से बालकनी में खड़े होकर ठंडी ठंडी हवा का लुत्फ ले रही थी.  तभी उसकी नजर नीचे गली में पड़ी शर्मा जी अपनी बेटी से कह रहे थे, “नहीं बेटा क्यों गिरेगी तू मैं हूं ना हर पल तुझे संभालने वाला!”शर्मा जी बोले और उनकी बेटी आश्वस्त हो स्कूटी सीखने लगी। और सरगम खो गई अतीत में ….

“पापा पापा मुझे भी स्कूटी  सीखनी है!”पापा के स्कूटी  से घर आते ही बारह वर्ष की सरगम मचल गई।

“अरे बेटा अभी तो छोटी है!”पापा ने कहा।

“नहीं नहीं मुझे तो सीखनी है!”सरगम ज़िद पकड़ बैठी तो मजबूरन पापा को उसकी बात माननी पड़ी 

“पापा …पापा मुझे पकड़े रहना मैं गिर ना जाऊं!”स्कूटी  पर बैठ डरते हुए सरगम बोली।

“नहीं मेरा बच्चा मैं तुझे कभी नहीं गिरने दूंगा!”पापा प्यार से बोले।

अब तो सरगम रोज स्कूटी  सीखने जाने लगी पंद्रह दिन में ही वो अच्छे से स्कूटी  चलाना सीख गई।  और एक दिन पापा की गैरहाजिरी में उनकी स्कूटी  ले निकल पड़ी। उसकी स्कूटी  हवा से बातें कर रही थी। कितनी खुश थी सरगम अकेले स्कूटी  चला कर आज कि अचानक से सामने से बाइक आईं और सरगम अपना संतुलन खो बैठी और धड़ाम से गिर पड़ी। गिरते ही वो रोने लगी। आसपास के लोगों ने उसे उठाया और साइड में बैठाया तभी एक बच्चा उसके घर भागा।

“चाची चाची जल्दी चलो सरगम स्कूटी  से गिर गई है उसके खून आ रहा है!”वो बच्चा सरगम की मम्मी से बोला।

“हे भगवान क्या हुआ मेरी बच्ची को!”घर में घुसते सरगम के पापा ने जब ये बात सुनी तो तड़प उठे और भागते हुए सरगम के पास पहुंचे और गोद में भर डॉक्टर के ले आए।

“डॉक्टर मेरी बिटिया ठीक तो है ना!”पापा डॉक्टर से बोले।

“घबराइए नहीं थोड़ी सी चोट है 8-10 दिन में ठीक हो जाएगी मैने पट्टी कर दी है इंजेक्शन भी दे दिया है आप बस समय से दवाई खिला देना!”डॉक्टर ने कहा।

सरगम के पापा सरगम के चोट लगने से इतने दुखी हुए कि उन्होंने स्कूटी  ही बेच दी जिससे बेटी के साथ ये हादसा दुबारा ना हो।


सरगम का पति राजन बालकनी में आया और सरगम से बोला, ” ब्रेकफास्ट नहीं बना क्या अभी तक किसके ख्यालों में गुम हो!”  सरगम अतीत से वर्तमान में आ गई।

“अभी जा  रही हूं!”सरगम बोली।

“जल्दी करो महारानी जी और भी काम है मुझे!”राजन तुनक कर बोला और चला गया।

“पापा आपने तो बोला था कभी गिरने नहीं दूंगा तुझे पर यहां आपकी बेटी का स्वाभिमान पल पल गिर रहा है क्योंकि वो अमीर घर की बहू तो है पर बेटी नहीं!”सरगम सिसक कर बोली।

असल में सरगम के ससुर उसके पापा के दोस्त थे और उन्होंने ही सरगम का रिश्ता अपने बेटे के लिए मांगा जो सरगम की सास और राजन को पसंद नहीं आया। ससुर की ज़िद से वो इस घर में तो आ गई पर सही मायने में घर की बहु और राजन की पत्नी ना बन पाई। हर घड़ी उसे छोटा महसूस करवाया जाता जलील किया जाता।

“कैसा खाना बनाया है ये तुमने स्वाद ही नहीं कुछ ये तुम्हारा कंगला पीहर नहीं संपन्न ससुराल है घी तेल की कमी नहीं यहां!”सरगम की सास खाते ही बोली।

“ठीक तो है सब वैसे भी ज्यादा घी तेल नुकसान ही देते!”ससुर जी ने सरगम का पक्ष लिया।

“आप तो रहने दीजीए पहले तो इसे हमारी छाती पर मूंग दलने को ला बिठाया और अब उसका पक्ष ले रहे!”सास बोली।

“लाइए मैं दूसरा बना लाती हूं!”सरगम प्लेट उठाने को हुई तो राजन ने उसे धक्का दिया।

“रहने दो तुम अब तुम्हारी कोई औकात नहीं यूजलेस हो तुम कुछ नहीं कर सकती!”

इससे पहले कि सरगम उस धक्के से अपना संतुलन खोती दो बाहों ने उसे संभाल लिया।

“पापा आप!”सरगम आश्चर्य से बोली।


“हां बिटिया बोला था ना तुझे कभी गिरने नहीं दूंगा पर तूने खुद के स्वाभिमान को गिरने से क्यों नहीं बचाया मैने यही सीख दी क्या तुझे!”सरगम के पापा बोले।

“पापा मैं नहीं चाहती थी मेरे कारण आप परेशान हो।”सरगम नम आंखो से बोली।

“पगली परेशान तो अब हैं हम जिस लाडो को हमने कभी स्कूटी  से गिरने नहीं दिया वो यहां पल पल खुद को गिरा रही है कि उसके पापा परेशान ना हो।…चल सामान ले अपना और मेरे साथ चल गरीब जरूर हूं पर मेरी बेटी बोझ नहीं मुझपर! मेरी गलती थी इस घर में तुझे ब्याहना!”पापा बेटी को गले लगाते बोले।

 

“मुझे माफ़ कर दे दोस्त मैं अपना वादा पूरा ना कर सका!”सरगम के ससुर उसके पापा के सामने हाथ जोड़ बोले।

सरगम के पापा बिन कुछ बोले सरगम को ले आए और तलाक का केस डाल दिया। दोनों पक्षों की रजामंदी से तलाक मिल भी गया। सरगम ने तलाक के बदले में एक पैसा नहीं लिया राजन के परिवार वालों से।

 

 

 

 

 

“पिताजी आप!”एक दिन सरगम के ससुर उसके घर आए।

“बेटा तुझे तेरा हक तो ना दिला सका पर ये इस बाप का आशीर्वाद समझ रख ले मेरा थोड़ा प्रश्चित हो जाएगा!”एक लिफाफा पकड़ाते हुए वो बोले।

“नहीं पिताजी ये मैं नहीं ले सकती वैसे भी उस घर में अब मैं खुद ही नहीं रहना चाहती थी।”सरगम बोली।

“बेटा ये मैं एक बेटी को दे रहा हूं इनकार मत कर!”सरगम के ससुर ने हाथ जोड़ दिए तो मजबूरी में सरगम को वो लिफाफा लेना पड़ा जिसमें बीस लाख रुपए का चैक था।

सरगम  ने अपने पिता से इजाज़त ले दुबारा पढ़ाई शुरू कर दी। बीती बात भूल अपना भविष्य बनाने में जुट गई।

दोस्तों शादी एक जुआ है जिसमें किसी की भी हार हो सकती है ऐसे में लड़की की मां बाप का फ़र्ज़ है उसे सहारा दे उसका साथ दे। वहीं लड़की को भी अन्याय के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए अपने स्वाभिमान को कभी गिरने नहीं देना चाहिए। सबसे बड़ी बात हर मां बाप को अपनी बेटी को अच्छी शिक्षा दे पैरों पर खड़ा करना चाहिए जिससे कल को कोई उसे यूजलेस ना कह पाए।

#आत्मसम्मान

आपकी दोस्त

संगीता

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!