बहू का पुनर्विवाह – मीनाक्षी सिंह    : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi: अम्मा जी… ये हम क्या सही सुने हैं आप बहुरिया के दूसरे ब्याह की सोच रही हैं… दूर की चाची आयी हुई थी वो बोली…. 

हां सही सुने हो… अम्मा जी ,, लाठी की तेज आवाज करते हुए बोली… 

क्या… लोक लाज की शर्म हैं कि नहीं…. पूरे खानदान की इज्जत  मिट्टी में मिलाएंगी …… आज तक सात पुश्तों से किसी भी रिश्तेदारी में ऐसा होता सुना हैं क्या … वो बेचारी बिन्दू तो 16 साल की ही विधवा हो गयी थी.. ना ही कोई बच्चा था… फिर भी पूरा जीवन ऐसे ही हंसी ख़ुशी गुजार रही हैं….. बहुरिया के तो एक छोरी हैं… लोग क्या सोचेंगे … 

क्या बोली तू अनिता….लोक लाज गयी चूल्हे में…बिन्दू हंसी ख़ुशी जीवन गुजार रही हैं.. ये तू कैसे जाने हैं… कभी उसके पास बैठकर प्यार से बात कर ,, उसके सर पर हाथ फिराकर उसे गले लगाकर पूछना. .. फफ़क पड़ेंगी …. उसका दुख उसकी आँखों से बह आयेगा… इंसान हैं ही ऐसा दूसरों के देखकर झूठी हंसी दिखानी पड़ती हैं.. उसे रात को नींद भी ना आती होगी…

मेरी रानी (बहू) को मैने देखा कैसे रात को बिट्टी को सुलाने के बाद…मेरे संतोष (बेटे) की फोटो सीने से चिपकाये सिस्कियां भरती हैं… पूरा दिन तो घर के काम, बिट्टी की देखभाल में , उसके साथ भाग दौड़ में निकल ज़ाते हैं… पर ये रात काटे नहीं कटती जब कोई पास नहीं होता…. मैं भी दमा की मरीज उसके पास नहीं सो सकती..

मेरी खांसी से पूरी रात खराब हो जायेगी बेचारी की… जब भी करवाचौथ , तीज , छठ य़ा कोई भी त्योहार आता है तो कैसे खुद को उनसे अलग कर देती हैं… कि कोई ये ना कह दे कि ये विधवा हैं… इसका शुभ कामों में आगे आना ठीक नहीं… जब तक मेरी पूजा नहीं हो ज़ाती मेरे सामने भी नहीं आती चाहे मैं कितना ज़िद कर लूँ…

मेरे संतोष ने भी तो उसे पलकों पर रखा ऐसा प्यार करने वाला पति मिलना मुश्किल है … पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था … चला गय़ा हम सबको छोड़कर … बेचारी मेरी रानी की उम्र ही क्या हैं 24 साल…. उसका दुख देखा नहीं जाता … 

डेंगू बिमारी ही ऐसी हैं अम्माजी… दो दिन में तो बेचारे मुन्ने में कुछ नहीं बचा…. वो सब तो ठीक हैं… पर आपको क्या लगता हैं…क्या बहुरिया के लिए कोई कुँवारा लड़का मिलेगा… वो भी शादीशुदा ही होगा और दो चार बच्चों का बाप… आपको लगता हैं वो बिटवा जैसा ख्याल रख पायेगा बहुरिया का …. बहुत बुरी हैं  दुनिया… एक विधवा को अच्छा आदमी मिलना नामुमकिन  हैं… मेरी मानों अम्मा जी तो य़हीं रखो रानी को… और खराब हो जायेगी उसकी ज़िन्दगी…. आप लोगों के बीच सुरक्षित तो हैं…. 

हम बूढ़ा बूढ़ी कब तक रहेंगे उस बेचारी के साथ…. उसके आगे पूरा जीवन पड़ा हैं… हमारे रहते उस पर कोई ऊंगली ना उठा पायेगा… पर हमारे जाने के बाद हर आदमी उसे गलत नजर से देखेगा..किस किसकी नजरों से बचायेगी खुद को…वैसे ही बहुत सीधी हैं मेरी रानी….एक आदमी औरत की ढ़ाल होता हैं..जिसके साथ औरत रात के दो बजे भी जंगल में हो तो खुद को सुरक्षित समझती हैं कि उसका पति उसके साथ हैं…ऐसे नहीं बनाया गया हैं ये शादी का बंधन…बहुत मायने हैं इसके…मायके में भी कोई  नहीं हैं उसका अब…. मुझे तो उसके भविष्य को लेकर बहुत चिंता होती हैं री अनिता… तभी सोच समझकर उसके दूजे ब्याह की सोची हैं… 

वो सब भी मानती हूँ अम्मा जी… पर तुमने लड़का देख रखा हैं क्या … कौन ब्याहेगा एक बच्चे  की माँ को.. 

तू मेरी खास हैं जिससे मैं दिल की बात कर लेती हूँ… मैं अपने घर के  सामने रोज एक लड़के को फटफटिय़ां से ज़ाते देखती हूँ… रोज वो हमारे घर की तरफ टकटकी लगाये देखता हैं… मुझे आज़ तक समझ ना आयी… कई महीने हो गए तो मौका पाके मैने उसे हाथ का इशारा कर बुलाया उस समय रानी बिट्टी को स्कूल से लेने गयी थी … मैने उसे डांट लगाते हुए पूछा. … मेरे घर की तरफ अगर तूने आज के बाद देखा तो हाथ पैर टूटे ही जायेगा…. आज देख रहा हैं कल को चोरी करने आयेगा झुंड लेकर…. क्यूँ देखता हैं मेरे घर की तरफ बता … 

उसकी आँखों में ना कोई चोर था ,, ना कोई डर अनिता…. सूरत तो इतनी मनमोहक की जैसे कान्हा जी की छवि.. वो बोला… आंटी जी मैं आपको चोर लगता हूँ…. मुझे किसी ने बताया कि मेरी खास दोस्त रानी यहां रहती हैं… कई बार सोचा आने कि पर किसी ना किसी काम से टल जाता…

जब आना चाहा तो पता चला कि रानी के पति अब नहीं हैं दुनिया में.. खुद को संभाल ना पाया… रानी को स्कूल के समय से ही पसंद करता था पर वो बहुत ही सीधी भोलीभाली लड़की थी … मेरे घर के सामने ही इसका घर हैं मायके में… पर अब वो बिक गया… कभी हिम्मत नहीं कर पाया उससे कहने की जब हिम्मत जुटायी तब तक ये आपके घर की बहू बन चुकी थी .. उसके बाद उसकी ससुराल आना सही ना लगा मुझे… बस एक बार उसे देखना चाहता था … कहीं रास्ते में मिल जाए तो बस एक बार पूछना चाहता था … 

अब क्या पूछना चाहता था तू मेरी बहू से बोल… 

अनिता फिर भी मेरी तेज आवाज के बाद भी वो लड़का बोला… य़हीं आंटी जी कि मेरे घरवालों ने मेरा रिश्ता तय कर दिया हैं… पर मेरे दिल में अनिता के लिए अभी  भी एक खास जगह हैं.. अगर वो मुझे अपने काबिल समझे तो मैं उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ.. उस से शादी करना चाहता हूँ… पर अभी तक वो दिखी ही नहीं आज तक … रोज देखता हूँ फिर भी …. 

तुझे पता हैं रे कि उसकी एक बेटी भी हैं फिर भी तू शादी करेगा मेरी रानी से?? 

एक क्या दो बेटी भी होती तो भी कर लेता… उसके बच्चों को इतना प्यार दूँगा कि वो मुझे छोड़कर कहीं ना जाना चाहे… ज़िसे आप चाहो उसकी तो हर चीज से प्यार होता हैं… तो बताईये फिर  आंटी रानी मुझसे शादी के लिए हाँ कर देगी ना ?? आप मनाइये ना  उसे… मैं बैंक में काम करता हूँ … उसको  अच्छे से रख सकता हूँ… 

तब तक अनिता रानी भी बिट्टी को लेकर आ चुकी थी …. रानी की आँखें आंसुओं से लाल… शायद उसने मेरी और उस लड़के की सारी बातें सुन ली थी … वो कुछ ना बोली… बस मेरे सीने से आकर चिपक गयी… और फफ़ककर रोने लगी…. उस लड़के की आँखें भी नम थी… वो बस रानी के रोते चेहरे को ही देखता जा रहा था … मैने रानी से पूछा … ब्याह करेगी इससे .. उसने बस इतना कहा -इनको (संतोष ) नहीं भूल सकती अम्माजी…. 

रानी मैं तुम्हे अपने पति को भूलने को नहीं कह रहा… बस तुम्हारे दुख को थोड़ा कम  करना चाहता हूँ…. 

रानी कुछ ना बोली… 

फिर मैने सोचा अनिता कि इससे ज्यादा प्यार करने वाला लड़का मेरी अनिता को नहीं मिल सकता… फिर मैने किसी की परवाह नहीं की … मैं अपनी रानी को इस छोरे से ब्याह के ही रहूँगी … 

वाह अम्माजी… सास हो तो तुम्हारी जैसी…. अच्छा मैं चलती हूँ… बस पकड़नी हैं… 

आज अम्मा जी तो नहीं हैं… पर वो अपनी बहुरिया के दुख भरे जीवन को सुख में बदल गयी हैं…. रानी उस लड़के से साथ हंसी ख़ुशी अपना जीवन गुजार रही हैं…. और हां ऐसा नहीं कि वो संतोष को भूली हैं.. उसकी तो अलग जगह हैं ही उसके दिल में.. थोड़ी सी जगह अब उस लड़के ने भी ले ली हैं बस…. 

स्वरचित 

मौलिक अप्रकाशित 

मीनाक्षी सिंह 

आगरा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!