बांझ – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुगना आज अपने बच्चों को दूध पिलाते हुए अपने आप को संपूर्ण मान रही थी ,उसे एहसास हो रहा था कि जैसे वह आज पूर्ण स्त्री हो गई ,प्रभु जी ने उसकी लाज रख ली जो उसे मां बनने का सौभाग्य प्रदान किया, नहीं तो उसका आदमी बिरजू और उसकी सास अशर्फी और पूरे गांव वालों ने तो उसको बांझ कहने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। जीते जी ही उसको मार डाला था कोई कहता बांझ है ,इसका मुंह नहीं देखना चाहिए। अपने बच्चों को भी कोई उसके पास फटकने नहीं देता।

उसका कितना मन होता कि किसी बच्चे को गोद में लेकर खिलाये, अपनी ममता उसे पर लुटा दे, दिन रात उस बच्चे की परवरिश में अपने को झोंक देना चाहती थी वो, लेकिन अफसोस उसको वो सुख नहीं मिला।

सब कहते सिर्फ नाम की ही सुगना है, वैसे तो अपसुगना ही है, बाकि तो उसका चेहरा देखना भी अपशगुन है, जो इसका मुंह देख ले उसे दिन भर रोटी नसीब ना हो। और न जाने क्या-क्या कहकर उसे बार बार जलील किया जाता। इज्जत और सम्मान तो उसके नसीब में न था।

किसी को कह भी क्या सकती थी, जब अपने घर वालों ने ही उसकी कदर नहीं की। बस ब्याह दिया उसे जैसे कोई बोझ हो। किसी की मेहंदी हो या गोद भराई या कोई भी शुभ कार्य हो कोई उसे शामिल न करता। वो मन ही मन अपनी किस्मत को कोसती,भगवान को उलहाना देती, किसी से  कह भी नहीं सकती थी अपने दिल का दर्द कि…. दोष उसमें नहीं,…..

तभी उसका शराबी पति बिरजू आकर उसकी गोदी से बच्चे को छीनने की कोशिश करता है ,कहता है कब तक इस पिल्ले को दूध पिलाती रहेगी कलमुंही…

चल उठकर मेरे लिए खाना परोस।

तभी पीछे से उसकी जालिम सास भी आकर उसे ही उल्टा सीधा कहना शुरू कर देती है, कहती है कुलक्ष्नी किसका पाप लेकर बैठी है, कहां मुंह काला किया बता, ये मेरा पोता नहीं हो सकता।

सुगना पास में पड़ी साग काटने की दराती को उठा लेती है और कहती है खबरदार जो मेरे बच्चे को किसी ने हाथ लगाने की भी कोशिश की ,काट कर रख दूंगी। अब मुझे पहले वाली सुगना मत समझना जो तुम्हारा सब अत्याचार चुपचाप सहन कर लूंगी।

क्यूं रे बिरजू तू बता तुझे अपनी मर्दानगी पर जरा भी विश्वास नहीं है कि तू औलाद पैदा कर सकता है? और तू इस पापी को साथ देने वाली मां, तू जानती थी ना कि तेरा बेटा कभी बाप नहीं बन सकता, तब भी तू सच छुपा कर पूरी दुनिया के सामने मुझे ताना देती रही,

दिन रात मुझे जलील करती रही, बांझ कहती रही।

तेरा बेटा मुझे शराब पीकर मारता तब भी तेरे भीतर औरत के लिए दर्द पैदा ना होता।अरे मैं तो जिंदगी भर बिन औलाद रह जाती यदि जरा भी तुम दोनों का प्यार मुझे मिलता।

पर अब मैं सुगना तुम दोनों मां बेटे को खुली चेतावनी देती हूं कि जो दम हो तो बता दो गांव वालों को की यह तुम्हारी औलाद नहीं। जहां मैंने दुनिया की इतनी सुनी और सुन लूंगी, पर तेरी झूठी मर्दानगी का पर्दा सबके सामने फाश करके रहूंगी। जा हिम्मत है तो बता दे सबको की क्या है सच? में भी तो देखूं जिस दोष को मैं इतने सालों तक सुनती रही ,तू कैसे जिंदा रहता है उसे सुनकर।

किसी औरत को बांझ कहना कितना आसान होता है तुम मर्दों के लिए, उस औरत की आत्मा तक छलनी कर देते हो तुम बार-बार यह शब्द कहकर। पर जब बात तुम्हारे ऊपर आती है तो क्यों तुम मर्दों की नाक कट जाती है इस बात को स्वीकार करने में कि तुम बाप नहीं बन सकते।

अरे एक औरत तो सिर्फ उस बीज को पालती,पोसती है, औरत तो धरती मां होती है। पर तुम मर्द और यह समाज कहां समझ पाएगा , एक मां का दर्द उसकी पीड़ा। और मैं तो तेरे वंश की खातिर बच्चा गोद लेने को भी तैयार थी, पर तुम मां बेटे को इसमें भी अपनी शान में बट्टा लगता दिखाई दिया।

फिर मजबूरन मुझे उस डाक्टर साहिबा की बात माननी पड़ी, जिसमें एक डाक्टरी तरीके से उन्होंने बिना किसी जिस्मानी संबंध के मुझे मां बनने का तरीका बताया। मेरे ईश्वर ने ये बहुत अच्छा किया , मेरी सारी प्राथनाएं सुन ली जो मेरे ऊपर लगा बांझ का कलंक हटा दिया।

आज सुगना हारी,थकी, बेजान औरत नहीं थी, उसमें आक्रोश था, समाज से टक्कर लेने की झटपटहट थी। उसने कहा,अब तुम मां बेटे जिंदगी भर पीना ये कड़वा घूंट ,पर मैं अपने जिगर के टुकड़े को कुछ होने ना दूंगी चाहे हिम्मत हो तो आजमा कर देख लेना तुम दोनों।

कहकर सुगना अपने बच्चों को लेकर देवी के मंदिर की ओर गाती हुई चल दी …

यशोदा का नंदलाला जग का उजाला है,

मेरे लाल से तो मेरा जग झिलमिलाये ,जू…जू…जू…

ऋतु गुप्ता

खुर्जा बुलन्दशहर

उत्तर प्रदेश

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