पछतावा – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

गंगा शांत बह रही थी | वातावरण शांत, सुखद और मनमोहक था | एक नाव गंगा की लहरों पर मंद गति से तैर रही थी | नाव पर सेठ मनोहरलाल बैठे थे | सामने अपनी पत्नी  उमा की एक बहुत सुंदर तस्वीर रखे थे | तस्वीर पर एक बहुत खूबसूरत हार चढा था और सामने … Read more

” टका सा मुंह लेकर रह जाना ” – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

” भाभी, आपने अपनी बहू को बहुत छूट दे रखी है | जरा उसपर नजर रखो | ” माधुरी घर में घुसते हुए अपनी भाभी उषा से बोली |       ” अरे माधुरी, आओ बैठो | ऐसे क्यों बोल रही हो ? जरा बताओ तो क्या बात है? क्या किया है, मेरी बहू नूतन ने? ” … Read more

ढलती सांझ – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

” चाचाजी, कल जो अंकल यहाँ आये है ं ना, उन्होंने कल से कुछ भी नहीं खाया है | सुबह की चाय भी नहीं पी है और अब नाश्ता भी नहीं कर रहे हैं |” मालती ने रमाशंकर जी से कहा |          ” तुमने पूछा नहीं , क्यों नहीं खा रहे  हैं? ” रमाशंकर जी … Read more

बड़ा दिल – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

 ” दीदी, मुझे कुछ पैसों की बहुत आवश्यकता है | कृपा करके आप मुझे दस हजार रूपये उधार दे  दिजिए|  थोड़े- थोड़े करके मेरे पैसों से काट लिजिएगा |” ममता की गृह सहायिका चंदा उससे विनती करते हुए बोली  |        ” पर पिछले महीने के पूरे पैसे तो तुम ले चुकी हो और आज तो … Read more

मोहताज कौन – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

 ” बहुत हो गया | आज तुम्हें फैसला करना ही होगा | इस घर में या तो मैं रहूंगी या तुम्हारी माँ | मैं अब इनके साथ नहीं रह सकती | तुम्हें इन्हें गाँव में छोडकर आना ही पडेगा, नहीं तो मैं अपने दोनों बेटे के साथ इस घर से  चली जाऊंगी | ” शोभा … Read more

भाभी – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

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”  नैना, बहू , मीता बिटिया की शादी में तुम्हारे मायके से क्या- क्या आया, हमें भी तो दिखाओ |” नैना की चाची सास ने नैना से कहा |       ” इसके मायके में है हीं कौन, जो कुछ भेजेगा |” सास ने मुंह बनाते हुए कहा |       ” क्यों मां  और भाभी तो है ना … Read more

सही रिश्ते – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

सुमन के जीवन का एक कठिन समय आ चुका था। एक दिन जब वह घर में कुछ काम कर रही थी, तभी उसे एक जोर की आवाज़ सुनाई दी। यह आवाज़ उसके पति मनोहरलाल के कमरे से आ रही थी। वह घबराई और तुरंत कमरे में दौड़ी। देखा कि मनोहरलाल पलंग पर बेहोश पड़े थे, … Read more

मन का अकेलापन – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

निर्मला देवी उम्र के इस पड़ाव पर, जब उन्हें अपने बेटे आशीष और बहू आरती का सहारा चाहिए था, वह अकेलेपन और पछतावे में डूबी हुई थीं। उनका स्वास्थ्य दिनों-दिन खराब होता जा रहा था। शरीर की कमजोरी और मन का अकेलापन उन्हें अंदर से तोड़ रहा था। आरती और आशीष को जब उनके पड़ोसी … Read more

पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यूँ – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

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रचना अपनी शादी के सात महीने के बाद मायके आई थी | उसके पति रंजन उसे पहुंचाने आये थे | एकदिन रहकर वे दूसरे दिन लौट गये | कहकर गये कि सात दिन रहकर पापा के साथ वापस आ जाना | मैं लेने नहीं आऊंगा | रचना को यह अच्छा नहीं लगा कि रंजन सिर्फ … Read more

स्वार्थी रिश्ते – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

राधा चुपचाप बैठी हुई थी, लेकिन उसके मन में पुरानी यादों की एक सूनामी उमड़ रही थी। उसके चेहरे पर गहरी सोच के साथ-साथ कुछ दर्द के भाव थे, जो अतीत की उन चुनौतियों और जिम्मेदारियों की याद दिला रहे थे, जिनसे वह वर्षों से जूझती आई थी। करीब बीस साल पहले की बात है। … Read more

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