तुम पहले मां तो बनो – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुहासिनी जी अपनी बेटी और नातिन के साथ आज अपनी सहेली,शांति के घर आई थी घूमने।रविवार होने की वजह से शांति जी की बहू पूरे घर की साफ-सफाई में व्यस्त थी।अखबार पढ़ती हुई शांति जी जब  को बहू ने बताया कि उनकी सहेली सुहासिनी आंटी आईं हैं,तो तुरंत उन्होंने कहा”हो गया कल्याण। अब आज फिर … Read more

सिंदूर चमकता रहे मांग में – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

शिखा बचपन से ही अपनी दादी को सजती संवरती देखती आई थी।शाम ठीक चार बजे कंघी से बाल बनाकर बढ़ा सा जूड़ा बनाती थीं वोन।बड़े माथे पर उंगली से ही सिंदूर की डिबिया से सिंदूर लेकर गोल बड़ी सी बिंदी लगाती थीं,और उसी सिंदूर से मांग भर कर अपने शाखा-पोला(बंगाली सुहागिनों की विशेष चूड़ी)में भी … Read more

पारिजात – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

आज सुदर्शना की मां का फिर फोन आया”,सुन बेटा,तू जितनी जल्दी हो सके,आ जा।तेरे भाई की तबीयत बहुत खराब है। हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ेगा।मुझे साथ रहना पड़ेगा।तू रहेगी तो दोनों छोटी बहनों को सहूलियत हो जाएगी।”सुदर्शना असमंजस में पड़ गई।कल से तो कुशल और पीहू की अर्धवार्षिक परीक्षा भी शुरू होने वाली है।स्कूल से … Read more

सामर्थ्य हीन – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

देखते-देखते एक साल बीत गया,अमित को गए।अगली अमावस्या में ही उनकी बरसी की तिथि निश्चित हुई है।बेटे की नौकरी लगी नहीं अभी।कार्यालयों में दौड़-धूप कर रहा है वह।अनुकंपा नियुक्ति के काम जल्दी नहीं होते। मालिनी ने पंडित जी से पूछकर सामान की लिस्ट बनवा ली।दोनों ननदों को भी फोन कर दिया था,महीने भर पहले ही।अपने … Read more

जीवन प्रयाग – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

दिसंबर में रिटायरमेंट है पूनम जी के पति का। हॉस्पिटल में रेडियोलॉजिस्ट हैं वो।सरकारी (कॉलरी)नौकरी में रहते हुए अपने बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ अपने परिवार को भी सहारा दिया था उन्होंने।पत्नी,पूनम ईश्वर में अगाध आस्था रखने वाली थीं।पति को शराब पीने की आदत थी।इस व्यसन की वजह से कार्य क्षेत्र और मोहल्ले में काफी … Read more

गाल फुलाना – शुभ्रा बैनर्जी  : Moral Stories in Hindi

“बहू,लो अब टी वी पर दिखाने लगा, रीचार्ज करना पड़ेगा।आज रात को बंद हो  जाएगा।गज़ब है ये आजकल का डिश सिस्टम।पहले ही ठीक था,हर महीने केबल वाले आकर ले जाते थे पैसा।ये धमकी तो नहीं देते थे,बंद करने की।”शीला जी यह चेतावनी सुना रही थी। निर्मला सुन रही थी,पर रसोईघर साफ करने में व्यस्त होने … Read more

“विश्वास और भरोसा” – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सुधा विद्यालय की सीनियर टीचर थी।सोशल पढ़ाते समय समाज और संस्कृति को जोड़ देती थी।बच्चों को सिलेबस की पढ़ाई के साथ-साथ,मानवीय मूल्यों की शिक्षा देना आज के वर्तमान परिपेक्ष्य में नितांत आवश्यक हो गया है। अलग-अलग प्रेरणादायक कहानियों, कविताओं व धार्मिक संस्करणों के माध्यम से,पढ़ाना सुधा को बहुत रोमांचित करता था।वैसे तो आजकल लोग अधिकतर … Read more

भादों का भय – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

बड़ी मुश्किल से दो महीने ही हुए थे , निर्मला जी  (मां )को अपनी बेटियों के पास गए हुए।ससुर जी जब थे,साथ ही जातीं थीं बेटियों के पास,वो भी बहुत कम दिनों के लिए।ससुर जी की बरसी पर आई छोटी बेटी की बिटिया ने कहा था नानी से”हमारे साथ चल कर रहिए ना कुछ दिन … Read more

मन का अब इलाज और नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

यह आत्मसम्मान विषय पर रची गई कहानी एक विवाह योग्य पुरुष के मन के घांवों की वेदना है।जब पीड़ा का आभास होना ही खत्म हो जाता है,तब चोटिल होता है आत्म सम्मान। नीता के परिवार के पुराने मित्र ,जो अब स्थानांतरित होकर कोरबा में रह रहें हैं ,थॉमस परिवार।जाति में भिन्नता होते हुए भी नीता … Read more

मृगतृष्णा – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

रामनाथ जी शादी करके अपनी धर्म पत्नी के साथ गांव में ही रहते आए हैं।जमीन -जायदाद असीमित थी उनके पास।बड़ी सी हवेली पुरखों की विरासत थी।घर‌ में नौकर -चाकर बहुत थे।रामनाथ जी का गांव में बहुत सम्मान‌ भी था।बस एक ही दुख था उन्हें कि उनकी कोई संतान‌ नहीं थी।पत्नी(प्रभा)ने कोई भी व्रत,उपवास ,पूजा बाकी … Read more

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