गोल्ड ही नहीं बोल्ड भी बहू चाहिए – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मम्मी….. दादी मुझे ऐसा क्यों बोल रही है कहाँ जईबु बहिनी….. जहाँ जईबु आग लगा देबू ….(कहां जाओगी बहन यूपी में स्त्रीलिंग को बहन का संबोधन करके बोलते हैं) जहां जाओगी वहां आग ही लगा दोगी।       सौम्या , अरु की बात सुनकर हँसने लगी और प्यार से समझाते हुए बोली…. नहीं बेटा , दादी तेरे … Read more

चुप एकदम चुप — संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

चुप एकदम चुप…..! एक शब्द भी नहीं बोलोगी तुम किसी से इस विषय पर समझी……। अब जो करना है मैं करुँगी श्वेता ने कड़े शब्दों मे डांटने के लहजे में समझाते हुए  नौ वर्षीय बेटी महक से कहा……! पर क्यों माँ क्यों….?  मैं चुप क्यों रहूँ , मेरी गलती क्या है…..मैंने क्या किया है महक … Read more

खूबसूरत पछतावा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 देखो भाग्यवान …..अब तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं रहती , निर्जला व्रत रखने की आवश्यकता नहीं है , कुछ फलाहारी वगैरह ले लेना  । मैं तो कहता हूं अब व्रत रखना ही बंद  कर दो  । मुंगेरीलाल ने पत्नी विधि से कहा।        अच्छा , तो अब तुम मुझसे वो अधिकार भी छिनना चाहते हो , जो … Read more

मोहरा – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  देख  वासु ….अब मैं तेरा एक नई सुनने वाली …तू शादी करेगा भी या नहीं …मुझे सच सच बता दे…..जब देखो शादी के नाम पर टाल-मटोल करता रहता है….32 साल का हो गया है बुढ़ा हो जायेगा तब शादी करेगा…? सुमित्रा जी ने शिकायत भरे लहजे में अपने बेटे वासु को हिदायत दी…….I             सुमित्रा जी … Read more

मामी डाँटती हैं – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अरे आ गया मेरा लाल नानी के घर से….. माया ने अपने पोते आरव को प्यार से पुचकारते हुए कहा…. । हाँ आ गया दादी ….पर अब वहाँ कभी नहीं जाऊंगा ….मुंह बनाते हुए आरव ने दादी के गले लगते हुए कहा…। अरे क्या हो गया मेरे लाल को ….?? क्यों गुस्सा हो गया नानी … Read more

झूठी मां – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   तेरे शादी करके चले जाने से मैं अकेली रह जाऊंगी ….इसलिए तू अभी शादी नहीं करेगी….. अरे न जाने किस मिट्टी की बनी है तू मेरी पोती ( श्रुति )…… शायद उसी मिट्टी की ….जिससे तेरी मां बनी थी….!       मेरे कुछ अमानवीय व्यवहार जो मैंने कभी तेरी मां के साथ किया था…. तुझे भी तो … Read more

अभागिन – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   बस…. मां… बस…..अब एक शब्द भी मत बोलना ….नहीं सुन सकूंगी अब ……और तू चिंता मत करना मां ….. ये बड़ा अटैची देखकर ये मत सोच लेना कि अब मैं यही रहूंगी…. कुछ दिनों के लिए आई  हूं मां ….हां कुछ दिनों के लिए  ही आई हूं… कहते कहते आंचल का गला भर आया…! अरे … Read more

चनाचूर गरम – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  अंकुर …. अंकुर ….मेला लग गया….? मालूम , नवरात्रि आते ही मुझे मेला घूमने की उत्सुकता बढ़ जाती है… अपन चलेंगे ना….तुम भी ना , बच्चों के समान करती हो आकृति …..आजकल के जमाने में मेला देखने कौन जाता है ….अरे वो तो आसपास के गांव वालों के लिए होता है भाई…!     ठीक है …? … Read more

तिरस्कार – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

      अरे ओ सुदर्शन……मेरी गाड़ी तो जरा धो धा के एकदम से चमक दो…. क्या महाराज ….कहां जाना है…? समधी के समधी के घर …..! मतलब मुस्कान बिटिया के ससुर के साथ उनकी बहू के मायके जाना है….।      अरे तू तो बहुत समझदार हो गया है सुदर्शन…..खुश होते हुए देवदत्त जी ने कहा…!    रिटायर्ड देवदत्त जी … Read more

लेडी बॉस – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

अरे वाह ….इस बार बॉस कोई लेडी आ रही हैं…. ऑफिस में चारों ओर बढ़ी चर्चा थी….ऑफिस में ही नहीं सारे इलाके में भी काफी चर्चा थी….!  मैडम बड़े दिलवाली हैं… इतने बड़े ओहदे पर हैं पर  उनके काम में ईमानदारी व पारदर्शिता साफ झलकता  है ….उन्हें सामाजिक कार्यों में विशेष रूचि है …..!  विशेषकर … Read more

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